दुनिया के ज्यादातर देश सबसे पहले बुजुर्गों को कोरोना वायरस की वैक्सीन लगा रहे हैं. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन और इजरायल जैसे देश शामिल हैं. इसके पीछे वजह है कि बुजुर्गों को कोरोना वायरस से सबसे अधिक खतरा रहता है. लेकिन इंडोनेशिया ने कोरोना टीकाकरण को लेकर अलग रणनीति बनाई है और बुजुर्गों से पहले उन लोगों को वैक्सीन देने जा रहा है जिनकी उम्र काम करने की (18 से 59 साल) है. आइए जानते हैं इसके बारे में...
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडोनेशिया बड़े पैमाने पर टीकाकरण की तैयारी कर रहा है. सबसे पहले हेल्थ केयर वर्कर्स और फिर सरकारी कर्मचारियों को वैक्सीन दी जाएगी. इसके बाद बुजुर्गों को नहीं, बल्कि वयस्कों को वैक्सीन मिलेगी जिनकी उम्र काम करने की यानी 18 से 59 साल है.
इंडोनेशिया अपनी वैक्सीन रणनीति से देश में जल्द हर्ड इम्यूनिटी हासिल करना चाहता है ताकि इकोनॉमी को फिर से बेहतर स्थिति में पहुंचाया जा सके. इंडोनेशिया की इस रणनीति पर दुनिया के अन्य देशों की नजर रहेगी. हालांकि, इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि पहले बुजुर्गों को वैक्सीन देने के ट्रेंड को वे बदल नहीं रहे हैं और सरकार बुजुर्गों को वैक्सीन देने के लिए देश के ड्रग रेग्यूलेटर की सिफारिश का इंतजार कर रही है.
27 करोड़ की आबादी वाला एशियाई देश चीनी कंपनी सिनोवैक बायोटेक की वैक्सीन से टीकाकरण करने जा रहा है. इंडोनेशिया का कहना है कि बुजुर्गों पर इस वैक्सीन के प्रभावी होने का डेटा फिलहाल उपलब्ध नहीं है क्योंकि देश में चल रहे क्लिनिकल ट्रायल में सिर्फ 18 से 59 साल के लोगों को शामिल किया गया है.
इंडोनेशिया ने सिनोवैक के साथ वैक्सीन की 12.5 करोड़ खुराक के लिए डील की है और इनमें से 30 लाख खुराक पहले ही देश में मौजूद है. इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्री गुनादी सदिकिन का कहना है कि देश की 67 फीसदी आबादी यानी करीब 18 करोड़ लोगों के टीकाकरण के लिए 42 करोड़ खुराक की जरूरत पड़ेगी. करीब 15 फीसदी खुराक के खराब होने को भी इसमें शामिल किया गया है.
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ पीटर कॉलिंगनन का कहना है कि इंडोनेशिया की वैक्सीन रणनीति से वायरस से संक्रमण की रफ्तार धीमी हो सकती है, लेकिन इससे मृत्यु दर पर असर नहीं पड़ेगा. वहीं, कई एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि वैक्सीन से हर्ड इम्यूनिटी बनेगी या नहीं, इसको लेकर अभी और रिसर्च की जरूरत है. क्योंकि फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि वैक्सीन लगाने के बाद लोग संक्रमण फैलाते हैं या नहीं.