दिल्ली-एनसीआर में आम आदमी की जिंदगी पर लॉकडाउन और अनलॉक-1 का क्या असर पड़ा है. एक सर्वे में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों को सबसे ज्यादा झटका लगा है. (Photo: File)
नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (NCAER) ने दिल्ली-एनसीआर में 15 जून से 23 जून के बीच ये सर्वे किया है. सर्वे के मुताबिक लॉकडाउन में सरकारी कर्मचारियों पर सबसे कम असर पड़ा है. करीब 79 फीसदी सरकारी कर्मचारियों को अप्रैल और मई में पूरी सैलरी मिली. (Photo: File)
प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों की बात करें तो लॉकडाउन के दौरान ये सबसे ज्यादा प्रभावित थे. प्राइवेट सेक्टर के केवल 24% कर्मचारियों ने कहा कि उनकी सैलरी में कोई कटौती नहीं हुई. हालांकि, जून में ये आंकड़ा बढ़कर 64% हो गया. (Photo: File)
सर्वे में खुलासा हुआ है कि सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूर और छोटे कारोबारियों पर लॉकडाउन का असर पड़ा है. करीब 85% परिवारों ने सर्वे में बताया कि पहले की तुलना में लॉकडाउन के दौरान इनकम में कमी आई. (Photo: File)
रिपोर्ट की मानें तो लॉकडाउन से ग्रामीण परिवारों के मुकाबले शहरी परिवारों की आमदनी में ज्यादा गिरावट आई. 50 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों ने कहा कि उनकी आय घटी है, जबकि 59 फीसदी शहरी परिवारों ने कहा कि उनकी इनकम में काफी कमी आई है. (Photo: File)
जहां तक सरकारी मदद यानी मुफ्त अनाज की बात है कि शहरी से ज्यादा ग्रामीण परिवारों तक ज्यादा पहुंची है. करीब 62% ग्रामीण परिवारों को ज्यादा राशन मिला, वहीं शहरी परिवारों में ये आंकड़ा 54 फीसदी है. (Photo: File)
NCAER के डेटा के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान करीब 75 फीसदी दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए थे. अगर कृषि की बात करें तो लॉकडाउन का सबसे कम असर इस सेक्टर पर पड़ा है. रोजगार के मामले में कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के मुकाबले कृषि से जुड़े मजदूरों की स्थिति बेहतर थी. (Photo: File)
सप्लाई और डिमांड में अंतर की वजह से छोटे बिजनेस पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. लॉकडाउन की वजह से अप्रैल और मई में करीब 52 फीसदी छोटे कारोबार बंद थे. कोरोना संकट की वजह से 12 फीसदी छोटे कारोबार तो पूरी तरह से बंद हो गया है. (Photo: File)
सर्वे से पता चला है कि दिल्ली-एनसीआर में करीब 78 फीसदी लोगों ने काम पर जाना शुरू कर दिया है. संक्रमण से बचने के लिए करीब 95.3 फीसदी लोग मास्क पहन रहे हैं. जबकि सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोने को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोना, इन तीनों का पालन करने वाले महज 32.2 फीसदी लोग हैं. (Photo: File)