नेपाल ने कोरोना वायरस के टेस्ट, ट्रीटमेंट और क्वारनटीन सेवाओं को घटा दिया है. wsj.com की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल का कहना है कि अगर वह इसी तरह पैसे खर्च करता रहा तो उसके पास कुछ नहीं बचेगा. नेपाल वैक्सीन के लिए पैसे बचाकर रखना चाहता है.
अन्य देशों की तरह नेपाल में भी कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. लेकिन नेपाल के हेल्थ सेक्रेटरी लक्ष्मण आर्यल ने कहा- 'हम अभी अधिक खर्च नहीं कर सकते क्योंकि ऐसा करने पर कुछ नहीं बचेगा. कोरोना संक्रमण की दर सिर्फ वैक्सीन से कम की जा सकती है.' हालांकि, नेपाल का यह बयान विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों के मुताबिक नहीं है. WHO का कहना है कि वैक्सीन का इंतजार किए बिना कोरोना रोकने के लिए काम करते रहने की जरूरत है. (फोटो में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली)
वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल ने फ्री टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और क्वारनटीन सेंटर को बंद करने की कोशिश भी की थी. लेकिन इसको लेकर देशभर में विरोध हुए और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला बदल दिया था. वहीं, नेपाल की सरकार कोरोना को लेकर अब तक करीब 1238 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. (फोटो में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली)
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति दिन किए जाने वाले कोरोना टेस्ट में पिछले महीने के मुकाबले 40 फीसदी की कमी कर दी गई है. सरकारी क्वारनटीन सेंटर में भी लोगों की संख्या 80 फीसदी घट गई है.
करीब 3 करोड़ की आबादी वाले नेपाल में अब तक 2.1 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और रोज करीब 2 हजार मामले आ रहे हैं. अब तक कम से कम 1,298 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. वहीं, देश में पॉजिटिविटी दर करीब 25 फीसदी पर पहुंच गई है.