लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक बढ़ाने के साथ ही मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात बातों पर देश का साथ मांगा. इसमें से छठी बात पर उन्होंने कहा कि उद्योगों में काम करने वालों को लोग नौकरी से न निकालें. पीएम ने उनके प्रति संवेदनाएं रखने को भी कहा. पीएम की इस अपील के पीछे छुपी सच्चाई बहुत गूढ़ है. आइए जानें- पीएम ने क्यों कहा कि लॉकडाउन में किसी को नौकरी से न निकालें. उद्योगों में अपने साथ काम करने वाले लोगों को नौकरी से ना निकालें। उनके प्रति संवेदनाएं रखें...
बीते सप्ताह यूनाइटेड नेशन के अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने भी इसकी चेतावनी थी. जिसमें बताया गया कि भारत में लॉकडाउन के दौरान नौकरियों पर गंभीर संकट मंडरा रहा है. लॉकडाउन के दौरान जब लोग घरों से नहीं निकल रहे, ऐसे में रिटेल सेक्टर समेत तमाम क्षेत्रों में नौकरियों पर संकट है.
बता दें कि ILO ने अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस संकट की वजह से इस साल दुनिया भर में 19.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरी छूट सकती है. ILO ने इसे दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे भयानक संकट बताया है. आईएलओ ने कहा कि भारत हालात से निपटने के लिए कम संसाधन वाले देशों में से है.
आईएलओ के ये आंकड़े वाकई चौंकाने वाले हैं, जिसके मुताबिक कोरोना वायरस संकट के चलते भारत में असंगठित क्षेत्र के करीब 40 करोड़ लोग गरीब हो सकते हैं.
आईएलओ ने कहा है कि भारत, नाइजीरिया और ब्राजील में लॉकडाउन और अन्य नियंत्रण उपायों से बड़ी संख्या में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के श्रमिक प्रभावित हुए हैं.
बता दें कि भारत में असंगठित अर्थव्यवस्था में काम करने वालों की हिस्सेदारी लगभग 90
प्रतिशत है, इसमें से करीब 40 करोड़ श्रमिकों के सामने गरीबी में फंसने का
संकट है. क्योंकि इतने लंबे लॉकडाउन के चलते उनकी जॉब जा सकती है. इससे उनके गरीब होने की संभावना और प्रबल होगी.
अगर प्राइवेट जॉब्स की बात करें तो इसमें भी कई तरह के खतरे बताए जा रहे हैं. कॉर्पोरेट कंसल्टेंट एडवोकेट रोहित श्रीवास्तव ने aajtak.in से बातचीत में कहा कि औद्योगिक विभाग अधिनियम के सेक्शन 25(N) में नौकरी से छंटनी संबंधित प्रावधान दिया गया है. इसके अनुसार किसी आपदा के आने पर या अन्य कारणों से कंपनी अपने कर्मचारी की छंटनी करती है तो उसे पहले नोटिस देकर बताना होगा कि उसे क्यों हटा रहे हैं.