फाइजर-बायोएनटेक ने अपनी कोरोना वैक्सीन को लेकर चेतावनी जारी की है. कंपनियों ने कहा है कि इस बात को साबित करने के लिए कोई डेटा उपलब्ध नहीं है कि वैक्सीन की दूसरी खुराक में देरी करने पर भी पहली खुराक प्रभावी रहेगी. इससे पहले ब्रिटेन-जर्मनी सहित कई देशों ने योजना बनाई थी कि फाइजर की कोरोना वैक्सीन की दूसरी खुराक देरी से दी जाए ताकि अधिक से अधिक लोगों को पहली खुराक मिल सके.
सोमवार को फाइजर-बायोएनटेक ने एक बयान जारी कर कहा कि इस बात के सबूत नहीं हैं कि तीन हफ्ते के बाद भी वैक्सीन की पहली खुराक लोगों को सुरक्षा देगी. इसी वजह से कंपनी ने तीन हफ्ते के भीतर वैक्सीन की दूसरी खुराक दिए जाने की बात कही है. क्लिनिकल ट्रायल के दौरान भी ज्यादातर लोगों को तीन हफ्ते के भीतर ही वैक्सीन की दूसरी खुराक दी गई थी.
ब्रिटेन की सरकार ने कहा था कि वह फाइजर की वैक्सीन की दो खुराक के बीच के समय को तीन हफ्ते से बढ़ाकर तीन महीने तक करने जा रही है ताकि अधिक से अधिक लोगों को पहली खुराक मिल सके. कई हेल्थ एक्सपर्ट ने दावा किया था कि पहली खुराक से भी लोगों को काफी सुरक्षा मिलेगी. हालांकि, अमेरिका के जाने माने संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फाउची ने दूसरी खुराक में देरी किए जाने पर सवाल उठाए थे और कहा था कि क्लिनिकल ट्रायल में इस बात की जांच नहीं की गई है.
फाइजर की वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल में छह देशों के 43 हजार लोगों को शामिल किया गया था. ट्रायल डेटा से पता चलता है कि पहली खुराक पाने के करीब 12 दिन बाद वॉलेंटियर ने कुछ इम्यूनिटी हासिल कर ली थी. लेकिन डेटा से यह पता नहीं चलता है कि पहली खुराक कितने वक्त तक प्रभावी थी.
वहीं, ब्रिटेन के कुछ स्वास्थ्य अधिकारियों का यह भी मानना है कि ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन की दो खुराक के बीच के समय को बढ़ाने पर बेहतर इम्यूनिटी हासिल होती है. ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के डायरेक्टर एन्ड्रू पोलैर्ड ने कहा कि दो खुराक के बीच समय बढ़ाए जाने पर हमें बेहतर इम्यून रेस्पॉन्स मिला था.