कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से चीन भेजे गए जांच दल के एक वैज्ञानिक ने अमेरिका पर हमला बोला है. ब्रितानी-अमेरिकी महामारी रोग विशेषज्ञ पीटर डसजक ने ट्वीट करके कहा कि अमेरिकी इंटेलिजेंस पर अधिक भरोसा न करें. वे कई मायनों में गलत हैं.
पीटर डसजक ने एक खबर का लिंक शेयर करते हुए अमेरिका पर आरोप लगाए हैं. खबर में कहा गया था कि अमेरिका, विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से वुहान में की गई जांच को वेरिफाई किए बिना स्वीकार नहीं करेगा. पीटर डसजक ने लिखा- 'जो बाइडेन को चीन के खिलाफ सख्त दिखना है. कृपया अमेरिकी इंटेलिजेंस पर ज्यादा भरोसा न करें. वे कई मायनों में स्पष्ट रूप से गलत हैं. WHO की रिपोर्ट को वेरिफाई करने में मदद करके खुशी होगी, लेकिन ये न भूलें कि पहले 'भरोसा' होता है, फिर 'वेरिफाई'.'
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, पीटर डसजक ने अमेरिकी सूचनाओं पर अधिक भरोसा नहीं करने की बात कही है, लेकिन दूसरी ओर, चीन की थ्योरी को आगे बढ़ाते नजर आ रहे हैं. बता दें कि चीन का दौरा करने के बाद WHO के वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोरोना वुहान की लैब से लीक नहीं हुआ. WHO की टीम ने चीन के दावों का समर्थन करते हुए यह भी कहा है कि हो सकता है कि विदेशों से ही मांस के निर्यात की वजह से चीन में कोरोना फैल गया हो.
रिपोर्ट के मुताबिक, पीटर डसजक की खुद की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं. डसजक इकोहेल्थ अलायंस नाम के संगठन के प्रमुख हैं. यह सामने आया है कि इकोहेल्थ अलायंस कई साल से वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को फंड दिलाने में मदद कर रहा था. वहीं, डसजक ने पिछले साल ही लैब से वायरस लीक होने की थ्योरी को कम करके आंका था और द गार्डियन में एक लेख लिखकर इन थ्योरी को बकवास करार दिया था.
बता दें कि अमेरिका, WHO और चीन के बीच लंबे वक्त से कोरोना वायरस को लेकर टकराव चल रहा है. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने WHO के खिलाफ कई बयान दिए थे और कहा था कि संगठन, चीन से मिला हुआ है. उन्होंने ऐलान किया था कि अमेरिका WHO से अलग हो जाएगा और उन्होंने फंड पर भी रोक लगा दी थी.