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कोरोना

इस देश ने आतंकियों को पकड़ने के लिए किया था लॉकडाउन

aajtak.in
  • 22 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 11:45 PM IST
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कोरोना वायरस एक ऐसी महामारी बनकर सामने आया है, जिसे रोकने के हर देश कोशिश कर रहा है. जहां एक ओर कई देश लॉकडाउन का सहारा ले रहे हैं, वहीं भारत जनता कर्फ्यू का पालन कर कोरोना वायरस को रोकने की  कोशिश कर रहा है. आपको बता दें, लॉकडाउन और जनता कर्फ्यू के दौरान लोगों के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी जाती है. सिर्फ महामारी ही नहीं, बल्कि कई अन्य वजहों से भी कुछ देशों को लॉकडाउन किया गया है.





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अमेरिका

सबसे पहले  बात करते हैं अमेरिका की. जब 11 सितम्बर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर आतंकी संगठन अल-क़ायदा ने हमला किया था. अपहरणकर्ताओं ने जानबूझकर दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स से टकरा दिया, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग तथा भवनों के अंदर काम करने वाले अन्य अनेक लोग भी मारे गए थे. दोनों बड़ी इमारतें 2 घंटे के अंदर ढह गई थीं.





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उस समय तत्कालीन अमेरिकी सरकार ने वहां तीन दिन का लॉकडाउन किया गया था. इस दौरान तीन दिन तक लोगों के बाहर निकलने पर पाबंदी थी.






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दिसंबर 2005 में न्यू साउथ वेल्स पुलिस फोर्स ने दंगा रोकने के लिए लॉकडाउन किया था.

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आतंकियों को पकड़ने के लिए लॉकडाउन

ये बात साल 2013 की है. जब बोस्टन शहर को आतंकियों की खोज के लिए लॉकडाउन कर दिया गया था.



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इसी के साथ साल 2015 में पेरिस हमले के बाद संदिग्धों को पकड़ने के लिए ब्रुसेल्स में पूरे शहर को लॉकडाउन किया गया था.





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कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई देशों जैसे चीन, इटली, स्पेन, लंदन आदि में पूरी तरह लॉक डाउन की स्थ‍िति कायम है.  







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कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए दिल्ली के सात जिले भी 31 मार्च तक लॉकडाउन किए गए हैं.

आपको बता दें, कोरोना वायरस के चलते राजस्थान, दिल्ली और नोएडा के इतिहास में पहली बार लॉकडाउन किया गया है. 

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