फेस मास्क का काम लोगों को वायरस और अन्य प्रदूषित कणों से बचाने का है. इसी वजह से कोरोना महामारी में लोगों को फेस मास्क पहनने की सलाह दी गई है. लेकिन ऐसा लगता है कि फेस मास्क गलती से लोगों तक कम मात्रा में वायरस पहुंचा रहा है जिससे लोग अधिक बीमार नहीं पड़ रहे और इम्यून भी हो रहे हैं. कुछ एकेडमिक्स ने 'न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन' के लेख में ये दावा किया है. हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि ये महज थ्योरी है और इस पर स्टडी करने की जरूरत है.
ब्रिटिश टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एकेडमिक्स का कहना है कि हो सकता है कि मास्क अनजाने में ही लोगों को कोरोना की इम्यूनिटी दे रहे हों. इसकी वजह से लोग कोरोना से कम बीमार पड़ रहे हैं. हालांकि, साइंटिफिक रूप से अभी ये थ्योरी साबित नहीं हुई है, लेकिन एडेकमिक्स को उम्मीद है कि इस थ्योरी को साबित किया जा सकता है.
एकेडमिक्स का कहना है कि मास्क पहनने की वजह से आबादी में बड़ी संख्या में लोग बिना लक्षण के कोरोना संक्रमित हो रहे हैं. क्योंकि मास्क की वजह से वायरस की बहुत कम मात्रा उन तक पहुंचती है.
कुछ रिसर्च में ऐसे संकेत मिले हैं कि शुरुआत में व्यक्ति वायरस की जितनी मात्रा (infectious dose) से संक्रमित होता है, उसके आधार पर ये तय हो सकता है कि वह कितना अधिक बीमार होगा. हालांकि, इन थ्योरी को साबित करने के लिए क्लिनिकल स्टडी की जरूरत है.
अर्जेंटीना के एक जहाज पर सवार यात्रियों पर ऐसी ही स्टडी की गई थी. इस दौरान पाया गया कि जिन लोगों ने N95 मास्क पहने थे, उनमें बिना लक्षण के संक्रमित होने की दर 81 फीसदी थी. लेकिन इससे पहले के जिन जहाजों पर लोगों ने मास्क नहीं पहने थे, उनमें बिना लक्षण के संक्रमित होने वाले लोगों की दर सिर्फ 20 फीसदी थी.