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कोरोना

टिटनेस की वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी भारतीय कंपनी QUAD देशों को देगी कोरोना का टीका

aajtak.in
  • हैदराबाद,
  • 15 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 11:24 AM IST
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टिटनस और सांप के जहर की वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी दवा कंपनी हैदराबाद में स्थित है. इस कंपनी का नाम है बायोलॉजिकल-ई. इस कंपनी की एक खास बात ये है कि इस कंपनी को एक महिला चलाती हैं. इस कंपनी में ज्यादातर कर्मचारी महिलाएं ही हैं. अब कंपनी क्वाड देशों में कोरोना वैक्सीन की सप्लाई करेगी. क्वाड देशों में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया आते हैं. इन देशों में कोरोना वैक्सीन सप्लाई करने के लिए भारत ने इन देशों के साथ क्वाड बैठक के दौरान यह घोषणा की है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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हैदराबाद स्थित दवा कंपनी बायोलॉजिकल-ई (Biological E) दवा कंपनी दुनिया भर में अपने टिटनेस और सांप के जहर बनाने वाली वैक्सीन और दवा के लिए प्रसिद्ध है. अब क्वाड देशों (QUAD Countries) को कोरोना वैक्सीन की सप्लाई करने के भारत के दावे को यह कंपनी पूरा करेगी. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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क्वाड देशों (QUAD Countries) की बैठक के बाद अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जेक सुलिवन ने इस वैक्सीन के लिए किए गए शुरूआत के बारे में जानकारी दी. क्वाड देशों (QUAD Countries) ने वादा किया है कि वो ASEAN देशों में 100 करोड़ कोरोना वैक्सीन की सप्लाई अगले साल के अंत तक करेंगे. यानी 2022 के अंत तक. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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बायोलॉजिकल-ई (Biological E) दवा कंपनी अगले साल के अंत तक 100 करोड़ कोरोना वैक्सीन का उत्पादन करेगी. वह अमेरिकी दवा कंपनी जॉन्सन एंड जॉन्सन द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन का उत्पादन अपने यहां से करके क्वाड और आसियान देशों में सप्लाई के लिए भारत सरकार को देगी. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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बायोलॉजिकल-ई (Biological E) दवा कंपनी पूरी तरह से महिलाओं द्वारा चलाई जाती है. यह टिटनेस वैक्सीन और सांप के जहर की दवा बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है. इस कंपनी को वैक्सीन बनाने का काम देने के पीछे एक मकसद ये भी है कि दुनिया में लिंगभेद के खिलाफ एक संदेश दिया जा सके. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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बायोलॉजिकल-ई (Biological E) दवा कंपनी ने अपनी शुरुआत 1953 में की थी. यह भारत की पहली निजी कंपनी थी जो वैक्सीन के व्यापार में साल 1962 में आई. इस कंपनी की एमडी और सीईओ महिला डटला (Mahima Datla) हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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अमेरिका और जापान मिलकर बायोलॉजिकल-ई (Biological E) दवा कंपनी को फंडिंग करेंगे ताकि यह अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा सके. इससे अगले साल के अंत तक कोरोना वैक्सीन का उत्पादन जल्द से जल्द होगा. साथ ही विकासशील देशों को वैक्सीन की सप्लाई तेजी से हो पाएगी. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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ऑस्ट्रेलिया ने इस प्रोजेक्ट के लिए 407 मिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी 2959 करोड़ रुपए का वादा किया है. अभी उसने 560 करोड़ रुपए दिए हैं. जापान ने इस प्रोजेक्ट के लिए 298 करोड़ रुपए दिए हैं ताकि कोरोना वैक्सीन को रखने और ट्रासंपोर्ट करने के लिए सही क्लाइमेट कंट्रोल्ड सुविधाओं की खरीदी की जा सके. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

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