कोरोना वायरस कोविड-19 पर अपनी सक्रियता और कार्यवाहियों की वजह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) दुनिया भर के 116 देशों के निशाने पर है. भारत समेत भारत समेत दुनिया के 116 देश ये चाहते हैं कि वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली में यह मुद्दा उठाया जाए कि कोरोना वायरस कोविड-19 को लेकर WHO की प्रतिक्रिया और सक्रियता की स्वतंत्र, निष्पक्ष और विस्तृत जांच की जाए. 73वीं वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली आज यानी 18 मई से शुरू स्विट्जरलैंड के जेनेवा में शुरू हो रही है. (फोटोः AFP)
कोरोना वायरस कोविड-19 को रोकने को लेकर WHO की भूमिका पर अमेरिका समेत कई देशों ने सवाल उठाए थे. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और यूरोपियन देशों के कहने पर दुनिया भर के 116 देश WHO के खिलाफ खड़े हो चुके हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
दुनिया भर के 116 देशों में यूरोप के 27 देश, ब्राजील, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, तुर्की, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया के साथ 54 देशों का अफ्रीकी समूह भी शामिल हो गया है. इस सूची में भारत, रूस, इंडोनेशिया, जापान, ब्रिटेन और कनाडा भी हैं. (फोटोः AFP)
इन सभी देशों ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है जिसमें यह लिखा गया है कि कोरोना वायरस कोविड-19 को संभालने के लिए WHO ने सही से काम नहीं किया. जिसकी वजह से पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैल गया. ऐसा माना जा रहा है कि आंकड़ों को छिपाने और कोरोना की सही जानकारी न देने में WHO ने चीन का साथ दिया है. इसलिए भी यह जांच जरूरी है. (फोटोः रॉयटर्स)
अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि इस 116 देशों में अमेरिका शामिल है या नहीं. यूरोपियन यूनियन और ऑस्ट्रेलिया की और से बनाए गए ड्राफ्ट में किसी देश का नाम नहीं है. इसी वजह से बहुत से देशों ने इस ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर कर दिया. (फोटोः AFP)
ड्राफ्ट में लिखा गया है कि चीन द्वारा फैलाई गई महामारी की जांच में पारदर्शिता न रखने के लिए सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जबकि यहां WHO की जिम्मेदारी थी कि वो सक्रियता दिखाए. साथ ही WHO पर यह भी आरोप है कि उसने इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशंस 2005 के नियमों के तहत महामारी को रोकने के लिए पर्याप्त मैकेनिज्म तैयार नहीं किए. न ही उसपर अमल किया. (फोटोः रॉयटर्स)
WHO के खिलाफ बनाए गए ड्राफ्ट में पांच प्रमुख बिंदु लिखे हैं- कोरोना वायरस कोविड-19 महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुभवों और सीखों की स्वतंत्र, निष्पक्ष और विस्तृत जांच हो. WHO के स्तर पर मौजूद मैकेनिज्म ने कितना काम किया. इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशंस कितने लागू हुए और उनकी क्या स्थिति है. संयुक्त राष्ट्र के स्तर पर किए जा रहे कार्यों में WHO का कितना योगदान है. कोविड-19 को लेकिर WHO की कार्यों और टाइमलाइन की जांच होनी चाहिए. (फोटोः AFP)
भारत ने भी 116 देशों के इस रेजोल्यूशन में साथ दिया है. सूत्र बताते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने WHO की मजबूती के लिए हमेशा समर्थन किया है. सभी सदस्य देशों के साथ खड़े रहने और बड़े पैमाने पर सोचने की बात कही है. (फोटोः रॉयटर्स)
इस रेजोल्यूशन का मकसद है एकता दिखाना. दवाओं, जांच और वैक्सीन को लेकर आपसी सहयोग को बढ़ाना. ताकि कोविड-19 जैसी बीमारियों का सफाया किया जा सके. ऐसी बीमारियों से लड़ाई की जा सके. किसी भी तरह के अफवाहों से बचा जा सके.
रेजोल्यूशन में कहा गया है कि सभी देशों को आपसी मदद में कोताही नहीं बरतनी चाहिए. क्योंकि ये बीमारी किसी को बख्श नहीं रही है. इसलिए दवाओं, जांच और वैक्सीन समेत अन्य जरूरतों के लिए सभी सदस्य देशों की एकजुटता से मदद करनी चाहिए. (फोटोः रॉयटर्स)