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कोरोना

कोरोना से जंग में US कर रहा ये बड़ी गलती, बड़े इतिहासकार ने चेताया

aajtak.in
  • 14 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 8:33 PM IST
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कोरोना लॉकडाउन के बीच इंडिया टुडे ग्रुप ने ई-कॉन्क्लेव सीरीज की शुरुआत की है, जिसमें दुनिया की नामचीन हस्तियों से कोरोना संक्रमण को लेकर हर पहलू पर चर्चा की जा रही है. इस कड़ी में इंडिया टुडे और आजतक के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल ने दुनिया के मशहूर इतिहासकार और दार्शनिक प्रोफेसर युवाल नोआ हरारी से चर्चा की. जानें, इस चर्चा की 10 मुख्य बातें-

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1- प्रोफेसर युवाल नोआ ने कहा कि कोरोना महामारी मध्य काल में आयी ब्लैक डेथ महामारी के लिहाज से काफी कम है. हमारे पास इस महामारी को जानने समझने के लिये तकनीक है और इसे रोकने के साइंटिफिक तरीके हैं. लेकिन मध्य काल के ब्लैक डेथ महामारी के वक्त किसी को कुछ नहीं पता था, लोग उसे ईश्वर का दंड मान रहे थे. आज कोरोना की पहचान एक हफ्ते में कर ली गई, उसके टेस्ट कर लिये गए इसलिए उतनी मुश्किल चुनौती नहीं है. 

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2- युवाल हरारी ने कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ दुनिया अब भी एक साथ आ सकती है. चीन, अमेरिका को सुझाव दे सकता है. एक-दूसरे देशों में मेडिकल टीम और मेडिकल किट्स भेजी जा सकती हैं. बदकिस्मती से ऐसा नहीं किया जा रहा है, जिससे ये लड़ाई कमजोर हो रही है.

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3- प्रोफेसर युवाल ने 2014 में आये इबोला संकट का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि इबोला के वक्त अमेरिका ने आगे आकर लीड किया और उसमें जल्दी ही सफलता भी मिली. इससे पहले 2008 की आर्थिक मंदी में भी अमेरिका ने लीड किया, लेकिन आज जब पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही है तो कोई ग्लोबल ताकत इससे लड़ने के लिए नेतृत्व करती नजर नहीं आ रही है.

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4- प्रोफेसर युवाल हरारी ने ये भी कहा कि दुनिया एक-दूसरे की मदद के बजाय आरोप-प्रत्यारोप में लगी है. चीन, अमेरिका पर वायरस फैलाने का आरोप लगा रहा है तो अमेरिका चीन पर. उन्होंने कहा कि इससे काम नहीं चलेगा. आइसोलेशन नहीं, को-ऑपरेशन से इस महामारी को हराया जा सकता है.

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5- इसके अलावा प्रोफेसर युवाल नोआ हरारी ने भारत का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय पर वायरस फैलाने का आरोप लगाकर भी बदनाम करने की कोशिश की गई जो कि एक गलत तरीका है. युवाल ने कहा कि नफरत के बजाय सहयोग से इस बीमारी से पार पाया जा सकता है.

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6- प्रोफेसर ने कहा कि चीन पर हालांकि जल्दी जानकारी साझा नहीं करने के आरोप लगे, लेकिन अब चीन दूसरे देशों की मदद कर रहा है. चीन अगर शुरुआत में जानकारियां साझा कर देता तो शायद हालात अलग हो सकते थे. लेकिन मैं इस बात से खुश हूं कि चीन जानकारी के साथ मेडिकल मदद भी दूसरे मुल्कों में भेज रहा है.

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7- प्रोफेसर युवाल ने कोरोना वायरस महामारी के बीच अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आज अमेरिका बस अपने बारे में सोच रहा है, जबकि उसे ग्लोबर लीडर के तौर पर सामने आना चाहिए था. शायद यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों में अमेरिका की लीडरशिप पर भरोसा कम हुआ है.

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8- युवाल ने ये भी कहा कि अगर हर देश वैक्सीन बनाने में लग जाये तो इससे काम नहीं चलेगा. कोई देश वैक्सीन बनाए और फिर उसे सारे देश खरीदें. ऐसे ही आर्थिक दिशा में भी एक-दूसरे का साथ दें. बॉर्डर बंद करके या फ्लाइट्स रोककर महामारी से नहीं निपटा जा सकता है. आइसोलेशन नहीं, को-ऑपरेशन सबसे जरूरी है. अगर देशों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान बंद हो जाए तो महामारी से लड़ना मुश्किल हो जाएगा, साथ ही आर्थिक चुनौतियां भी बढ़ जाएंगी.

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9- प्रोफेसर युवाल ने कहा कि धर्म या धार्मिक नेता कोरोना का इलाज नहीं कर सकते हैं, बल्कि साइंटिस्ट ही इससे बचा सकते हैं. उन्होंने इजरायल का एक उदाहरण दिया. प्रोफेसर युवाल ने बताया कि जब कोरोना की शुरुआत हुई तो इजरायल में चुनाव के दौरान धार्मिक पार्टी के एक नेता ने जनता से कहा कि आप हमें वोट दीजिए, आपको कोरोना से बचाएंगे. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि उस पार्टी के नेता जो कि इजरायल के हेल्थ मिनिस्टर भी थे वो कोरोना संक्रमित हो गए.

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10- कोरोना महामारी के बाद क्या हालात होंगे, इस पर प्रोफेसर युवाल ने कहा कि मुश्किल हालात के बाद भी लोगों में सहयोग का भाव देखा गया है. ऐसे में मुझे उम्मीद है कि जब ये संकट खत्म हो जाएगा तो लोग एक-दूसरे के साथ आएंगे.

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