कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के लिए आज पूरा देश जनता कर्फ्यू का पालन कर रहा है. इस कर्फ्यू का मकसद कोरोना वायरस (COVID-19) को समुदायों के बीच फैलने से रोकना है. जहां एक ओर भारत जनता कर्फ्यू के दौरान इसे रोकने की कोशिश कर रहा है वहीं अगर चीन समय पर रहते हुए कुछ सवाधानी बरत लेता तो आज कोरोना वायरस के कारण दुनिया की हालात इतनी गंभीर न होती.
एक स्टडी में दावा किया गया है कि नोवल कोरोना वायरस के मामलों को 95 प्रतिशत तक कम किया जा सकता था. अगर चीन समय पर रहते हुए इस गंभीर महामारी को लेकर सचेत हो जाता तो. ये स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन ( University of Southampton) को 13 मार्च को की गई थी.
इस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ह्यूमन मूवमेंट और बीमारी की शुरुआत के आंकड़ों को संकलित करने के लिए मैपिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया और माना जब चीन में COVID-19 फैल रहा था तो शुरुआत में इसके फैलने की गति धीमी थी. जिसे कंट्रोल किया जा सकता था.
आपको बता दें, चीन में जिस डॉक्टर ने सबसे पहले कोरोना वायरस के बारे में जानकारी दी थी और कहा था कि इस वायरस के कारण स्थिति और बिगड़ सकती है. उस दौरान चीन ने उनकी बातों को नजरअंदाज किया था. जिसके बाद स्थिति बिगड़ती चली गई. चूंकि कोरोना वायरस चीन में पैदा हुआ था, इसलिए यहां की हालात अन्य देशों के मुकाबले काफी खराब है.
जब कोरोना वायरस को लेकर स्थिति हाथ से निकलने लग तो चीन के वुहान शहर समेत अन्य शहरों को पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया गया, उस दौरान वहां के लोगों ने सरकार के दिए गए दिशा-निर्देशों को पूरा पालन किया था. हालांकि स्टडी में बताया गया है कि चीन ने लॉकडाउन करने में देरी कर दी है.
लॉकडाउन में कर दी देरी
स्टडी में सामने आया है कि अगर चीन स्थिति बिगड़ने के 1 हफ्ते पहले लॉकडाउन करता तो 66 प्रतिशत केस कम सामने आते, लॉकडाउन दो हफ्ते पहले होता तो 86 प्रतिशत केस सामने आते, यदि लॉकडाउन तीन हफ्ते पहले होतो तो 95 प्रतिशत केस सामने आ सकते थे.
स्टडी में पाया गया है कि लोगों के आपस में मिलने से ये वायरस तेजी में फैल रहा है. ऐसे में सोशल डिस्टेंस बनाना जरूरी है.
आपको बता दें, शुरुआत में चीन के वायरस को लेकर सही जानकारी नहीं दी गई थी. कुछ साइंस और हेल्थ विशेषज्ञों ने चीनी डॉक्टर Li Wenliang की ओर इशारा किया है, जिन्हें COVID-19 के बारे में जानकारी देने के लिए हिरासत में लिया गया था. इससे यही दर्शाता है कि कैसे चीन ने वायरस को अपने शुरुआती दौर में गुमराह किया था. जिसका नुकसान पूरी दुनिया झेल रही है.
आपको बता दें, पहले COVID-19 के रोगी ने 10 दिसंबर को बीमार महसूस होना शुरू किया था. जिसके बाद ये तेजी से फैलता गया. नए साल के दौरान ये वायरस ज्यादातर चीन के लोगों के भीतर पहुंच चुका था.
बता दें, चीन ने वायरस के बारे में जानकारी को सार्वजनिक किए जाने से शुरुआत में छह दिनों तक निजी रखा था. जिसके बाद 3 फरवरी को चीनी सरकार को महसूस हुआ कि टेस्ट किट और अस्पताल के बेड की कमी हो रही है.
इटली में कोरोना
चीन के बाद अगर कोई देश है जिसमें कोरोना के कारण कई जानें गई है तो वह देश इटली है. आपको बता दें, इटली में कोरोना से अब तक करीब 2,978 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इससे पहले रविवार को इटली में 368 लोगों की मौत हो गई थी. वहां सड़कों पर सन्नाटा पसरा है.
भारत में कोरोना को रोकने के लिए जनता कर्फ्यू
भारत में कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के लिए आज जनता कर्फ्यू लगा दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू के दौरान शाम 5 बजे 5 मिनट के लिए अपने घर से कोरोना कमांडो के लिए ताली बजाने या थाली बजाने की अपील की है. जिससे मेडिकल स्टाफ समेत उन सब लोगों का अभिवादन किया जा सके जो कोरोना से जनता को बचाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं.
जनता कर्फ्यू के दौरान जहां लोगों को परिवार से साथ समय बिताने का मौका मिल
रहा है, वहीं, भारत में छात्रों के लिए कई लर्निंग एप्स की सेवाएं भी
मुफ्त कर दी गई है. जिसमें बायूज (BYJU's)का नाम शामिल है.
COVID-19 पॉजिटिव मरीजों की संख्या 350 से ज्यादा हो गई है. देश में अब तक 6 लोगों की मौत हुई है.
सबसे बुरा हाल महाराष्ट्र का है, जहां अभी तक 63 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. कोरोना से देश के 22 राज्य प्रभावित हैं.