भारत में लॉकडाउन से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. लेकिन खुशी की बात ये है कि इस लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण का स्तर जितना कम होगा उतने कम लोगों की मौत होगी. एक नई स्टडी के अनुसार अगर वायु प्रदूषण का यह स्तर इसी तरह बना रहता है तो लाखों भारतीयों की जिंदगी बच जाएगी. (फोटोः AFP)
आईआईटी दिल्ली और चीन की फुदान यूनिवर्सिटी और शेंझेन पॉलीटेक्नीक ने मिलकर भारत के 22 शहरों का अध्ययन किया है. इस अध्ययन में उन्होंने लॉकडाउन के दौरान 6 प्रदूषणकारी तत्वों के दुष्प्रभावों पर गहन अध्ययन किया है. अगर ऐसी ही साफ-सुथरी हवा बनी रही तो भारत में 6.50 लाख लोगों की जिंदगी वायु प्रदूषण से बचाई जा सकती है. (फोटोः AFP)
लॉकडाउन के पहले महीने को लेकर तीनों संस्थानों के अध्ययन के जो परिणाम सामने आए वो चौकानें वाले हैं. अध्ययन के अनुसार 16 मार्च से 14 अप्रैल तक हवा में से ये 6 प्रदूषणकारी तत्व एक तिहाई कम हो गए. यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) घटकर 25 आ गया.
ये खबर द टेलीग्राफ ने प्रकाशित की है. (फोटोः AFP)
वायु प्रदूषण कम होने का सबसे बड़ा फायदा दिल्ली को हुआ है. यहां वायु प्रदूषण में 44 फीसदी की कमी आई है. पिछले साल नवंबर में दिल्ली का AQI बढ़कर 900 के पार पहुंच गया था. जो अप्रैल में घटकर 20 तक आ गया था. (फोटोः AFP)
इस रिपोर्ट को लिखने वालों में से एक आईआईटी दिल्ली के श्रीहर्ष कोटा ने बताया कि अगर हम वायु प्रदूषण के इस स्तर को बनाकर रखते हैं तो हम 6.50 लाख भारतीयों की मौत रोक सकते हैं. ये मौतें वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों की वजह से होती हैं. (फोटोः AFP)
भारत में 17 मई तक लॉकडाउन है. उम्मीद जताई जा रही है कि ये लॉकडाउन अभी कुछ और छूट के साथ आगे बढ़ाया जा सकता है. देश में 24 मार्च से लॉकडाउन जारी है. (फोटोः रॉयटर्स)
लॉकडाउन की वजह से कम हुए वायु प्रदूषण की वजह से गंगा समेत कई नदियों का पानी साफ हो गया है. 250 किलोमीटर दूर से हिमालय और उसकी अलग-अलग बर्फीली चोटियां दिख रही हैं. पशु-पक्षी खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
आपको बता दें कि 3 मई को बाद से देश में बेहद जरूरी सेवाओं और इमरजेंसी के तहत लोगों को यात्राओं की अनुमति दी गई है. ट्रेनें चलनी शुरू हो गईं हैं. निर्माण कार्य शुरू कर दिए गए हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
भारत में हर साल वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों की वजह से 23 लाख लोगों की मौत समय से पहले हो जाती थी. अगर वायु प्रदूषण के उस स्तर को बना कर रखा जाए जो लॉकडाउन के समय में है, तो इसमें से हर साल करीब 6.50 लाख लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है. (फोटोः रॉयटर्स)