अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना और फाइजर ने अपनी-अपनी वैक्सीन की शानदार सफलता का ऐलान किया है. दोनों ही वैक्सीन 90 फीसदी से अधिक प्रभावी बताई जा रही हैं. खास बात यह है कि दोनों ही वैक्सीन नई तकनीक के इस्तेमाल से तैयार की गई हैं. अगर ये वैक्सीन वाकई सफल साबित होती हैं तो आने वाले वक्त में कैंसर, हार्ट की बीमारी और अन्य संक्रामक रोगों के इलाज में भी नई तकनीक इस्तेमाल हो सकती है.
वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, मैसेंजर आरएनए (mRNA) तकनीक के इस्तेमाल से ये वैक्सीन बनाई गई हैं. इन वैक्सीन की शुरुआती सफलता से यह संकेत मिल रहे हैं कि अब जीन आधारित तकनीक का वक्त आ गया है. वहीं, पुरानी तकनीक वाली वैक्सीन, जैसे कि पोलियो और मीजल्स की वैक्सीन में कमजोर या इनएक्टिवेटेड वायरस का इस्तेमाल किया जाता रहा है.
हालांकि, mRNA तकनीक अब तक अप्रमाणित नहीं है. क्योंकि इस तकनीक वाली किसी भी वैक्सीन को अब तक लाइसेंस नहीं मिला है. अमेरिका में प्रीवेंटिव मेडिसीन के प्रोफेसर विलियम स्टाफनर कहते हैं- यह 21वीं सदी का विज्ञान है. mRNA वाली कोरोना वैक्सीन के अच्छे डेटा से यह संकेत मिलते हैं कि यह तकनीक भविष्य के संक्रामक रोगों में भी कारगर हो सकती है.
बता दें कि दुनिया में अलग-अलग तकनीक वाली करीब 50 कोरोना वैक्सीन कैंडिडेट के क्लिनिकल ट्रायल हो रहे हैं. आमतौर पर वैक्सीन तैयार करने में कई साल का वक्त लगता रहा है और खासकर पुरानी तकनीक की वजह से भी रिसर्चर्स को अधिक समय की जरूरत पड़ती है. कई मामलों में तो वैक्सीन की सफल खुराक तैयार करने में एक दशक से अधिक का वक्त भी लगा है.
लेकिन mRNA तकनीक वैक्सीन तैयार करने के समय को घटाती है. यह शरीर के अपने मॉलेक्यूलर मशीनरी का इस्तेमाल करती है. यह शरीर को वैक्सीन फैक्ट्री में तब्दील कर देती है. यह तकनीक इंसानी शरीर के सेल्स को वैसे ही प्रोटीन तैयार करने की ट्रेनिंग देती है जैसे वायरस में पाए जाते हैं.