कोरोना वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है. यानी म्यूटेशन कर रहा है. उसके नए स्ट्रेन यानी वैरिएंट सामने आ रहे हैं. दवा कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती ये हैं कि लगातार अपना रूप और संक्रामकता को बदल रहे वायरस को रोकने के लिए कैसी वैक्सीन बनाएं. इस बीच रूस से एक बड़ी खबर आई है. रूस के वैज्ञानिकों का दावा है कि उनकी कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-V कोरोना के सभी नए वैरिएंट्स यानी स्ट्रेन्स पर असरदायक है. (फोटोः रॉयटर्स)
रूस के साइंटिस्ट्स ने कोरोना के नए स्ट्रेन्स पर अपनी वैक्सीन की जांच के लिए स्पुतनिक-V (Sputnik V) रीवैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू किया था. जिसमें स्पुतनिक-V ने काफी असरदार परिणाम दिए हैं. पिछले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने निर्देश दिया था कि वो 15 मार्च को रूस में निर्मित वैक्सीन का नए कोरोनावायरस के खिलाफ असर की रिपोर्ट देखेंगे. (फोटोः रॉयटर्स)
स्पुतनिक-V (Sputnik V) वैक्सीन को विकसित करने वाली टीम के साइंटिस्ट डेनिस लोगुनोव ने बताया कि रूस के गामालेया सेंटर में हाल ही में एक स्टडी हुई है. इसमें ये बात पता चली है कि स्पुतनिक-V (Sputnik V) वैक्सीन ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में विकसित हुए नए कोरोना वायरस सट्रेन के खिलाफ असरदार है. ये परिणाम री-वैक्सीनेशन प्रोग्राम के दौरान सामने आए हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
डेनिस लोगुनोव ने बताया कि री-वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत हुए ट्रायल्स की डिटेल रिपोर्ट जल्द ही प्रकाशित की जाएगी. अभी जो हम बता रहे हैं वो सबसे पहली रिपोर्ट है. ये बेहद सकारात्मक है. फिलहाल इससे ज्यादा डिटेल्स शेयर की नहीं जा सकती. (फोटोः रॉयटर्स)
स्पुतनिक-V (Sputnik V) वैक्सीन और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन नुकसान न पहुंचाने वाले वायरस के जरिए बनी है. इन्हें व्हीकल या वेक्टर कहते हैं. ये ऐसे जेनेटिक सूचनाएं लेकर शरीर में जाते हैं जिनकी वजह से शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बनती है यानी इम्यूनिटी बढ़ती है और एंटीबॉडीज बनते हैं. साथ ही भविष्य के संक्रमण से बचाती हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
री-वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत स्पुतनिक-V (Sputnik V) वैक्सीन का ही उपयोग किया गया था. डेनिस लोगुनोव ने बताया कि इस ट्रायल के दौरान हमें पता चला कि स्पुतनिक-V (Sputnik V) फिलहाल दुनिया में मौजूद हर तरह के कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम है. हालांकि, कुछ साइंटिस्ट्स को इस बात का शक है कि कहीं शरीर की प्रतिरोधक क्षमता वैक्सीन को ही बाहरी वैक्टर समझ कर उलटा रिएक्ट कर दे. उसे घुसपैठिया समझकर उससे संघर्ष न करने लगे. (फोटोः रॉयटर्स)
जबकि, स्पुतनिक-V (Sputnik V) वैक्सीन विकसित करने वाले साइंटिस्ट्स ने दावा किया है कि ऐसा कुछ नहीं है. हमारी वैक्सीन वेक्टर आधारित वैक्सीन है जो कोरोना वायरस के खिलाफ अच्छा परफॉर्म कर रही है. री-वैक्सीनेशन प्रोग्राम से ये बात भी साफ हो गई कि स्पुतनिक-V (Sputnik V) वैक्सीन नए कोरोनावायरसों पर भी असरदार है. इससे किसी को भविष्य में भी कोई दिक्कत नहीं होगी. (फोटोः रॉयटर्स)
डेनिस लोगुनोव ने कहा कि जो साइंटिस्ट्स ये बात कर रहे हैं कि एंटी-वेक्टर एंटीबॉडी शरीर में बन जाएगी तो उससे वैक्सीन का असर खत्म हो जाएगा. ये सही नहीं है. वैक्सीन लगने के 56 दिनों तक शरीर में इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं हो सकती. क्योंकि यही वो समय है जब किसी वैक्सीन को शरीर अपने हिसाब से ढालता है. उसके मुताबिक शरीर की कोशिकाओं को तैयार करता है. (फोटोः रॉयटर्स)
रूस की गामालेया इंस्टीट्यूट ने इबोला के समय जैसे वेक्टर आधारित वैक्सीन बनाई थी. उसी तरह से इन लोगों ने कोरोना वायरस के लिए वेक्टर आधारित स्पुतनिक-V (Sputnik V) वैक्सीन बनाई है. वेक्टर इम्यूनिटी यानी वेक्टर आधारित वैक्सीन से मिलने वाली प्रतिरोधक क्षमता को लेकर दुनिया में कई बार चर्चा हो चुकी है. यह पहले भी विवादों में रहा है लेकिन इसके खिलाफ कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले. (फोटोः रॉयटर्स)
इसी तरह की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी जॉन्सन एंड जॉन्सन को भी उम्मीद है कि वह भी सामान्य कोरोनावायरस को ठीक करने के साथ-साथ नए कोरोनावायरसों को भी हरा सकेगा. हालांकि, जॉन्सन एंड जॉन्सन साल में एक बार लगाने वाली कोरोना वैक्सीन विकसित करने में लगी है. (फोटोः रॉयटर्स)