हम स्टूडेंट्स और मजदूरों में कोई खास अंतर नहीं है. जैसे उनकी सीमित कमाई है, वैसे ही हमें लिमिटेड खर्च मिलता है. वो भी अपने अपने घर से दूर कहीं फंसे हैं और हम भी. बस अंतर ये है कि सरकार उन्हें समझ रही है, हमें कौन समझ रहा है. मकान मालिक कैश में किराया मांग रहे, वो भी पूरा. खाना बनाना ढंग से आता नहीं, सोचा था कि यहां से अफसर बनकर घर लौटेंगे, अब डर लग रहा है कि कहीं कोरोना हो गया तो घरवाले देख भी नहीं पाएंगे, कहां फंस गए....ये दर्द एक छात्र का है जो दिल्ली के स्टूडेंट हब मुखर्जी नगर में रह रहा है. लेकिन बाकियों का हाल भी कुछ अलग नहीं है, आजकल ज्यादातर छात्रों के मन में ऐसा ही कुछ चल रहा है. आइए जानें- मुखर्जी नगर में इस वक्त कैसे रह रहे हैं स्टूडेंट और क्या हैं उनकी मुश्किलें...
Image Credit: aajtak.in/Special Permission
मुखर्जीनगर एक ऐसा इलाका है जहां पूरे देश से बच्चे यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) की तैयारी करने आते हैं. ज्यादातर का सपना आईएएस बनना होता है. कुछ लोग बाद में दूसरी परीक्षाओं की भी तैयारियां करने लगते हैं. यहां बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान होने के कारण आसपास मकान मालिकों ने अपने घर किराये पर उठा रखे हैं. यहां से सटे नेहरू विहार इलाके में भी ऐसा ही सिस्टम हैं, जहां स्टूडेंट 25-25 गज की जगह में 7 से 8 हजार किराया देकर रहते हैं. मुखर्जी नगर में ज्यादातर घर बड़े हैं सो किराया करीब 14 से 18 हजार है, लेकिन मजेदार बात ये है कि ज्यादातर मकानमालिक किराया पूरी तरह कैश में लेते हैं.
इन दिनों लॉकडाउन के चलते एटीएम से कैश निकालने जाना और किराया देना भी काफी मुश्किल भरा हो गया है. मुखर्जी नगर में रहने वाले छात्र पंकज गौतम ने बताया कि हमलोग मकानमालिकों से गुजारिश कर रहे हैं कि इस बार किराया आधा ले लो, क्योंकि हमारा खर्च बढ़ गया है. वहीं नेहरू विहार के छात्रों ने भी अपने आरडब्लयूए से किराये को लेकर इसी तरह की अपील की है. नेहरू विहार आरडब्लयूए एसोसिएशन के राजीव कहते हैं कि ज्यादातर मकानमालिक अगर कोई छात्र मना कर देता है तो मान जाते हैं. लेकिन, कई मकानमालिकों के अपने तर्क हैं कि वो भी इसी कमाई से अपना घर चला रहे हैं.
Image Credit: aajtak.in/Special Permission
मुखर्जीनगर के माहौल की बात करें तो हमेशा छात्रों की भीड़ से गुलजार रहने वाला ये इलाका पूरी तरह खाली पड़ा है. स्टूडेंट्स अपने अपने घरों में कैद हैं. इनमें से कई अकेलेपन की उदासी में हैं, उन्हें अपने घर की याद आ रही है. संक्रमण का डर तो लग ही रहा है कि अगर यहां कुछ हो गया तो परिवार से कैसे मिलेंगे. वहीं उनके परिजन भी खासे परेशान हैं. नेहरू विहार में रहने वाले छात्र विजय मिश्रा ने aajtak.in से बातचीत में कहा कि अपने इलाके को इतना शांत पहले कभी नहीं देखा. पता नहीं कब तक ऐसा रहेगा. परीक्षाओं को लेकर भी कुछ पता नहीं चल पा रहा. कोचिंग-लाइब्रेरी, रास्ते सब बंद हैं. बस किसी तरह किताबों के सहारे दिन कट रहा है.
इस अकेलेपन और बिगड़े शेड्यूल के बीच कुछ बच्चों के सामने खाने-पीने की भी समस्या भी आ गई है. इलाहाबाद उत्तर प्रदेश के रहने वाले छात्र अनुपम पांडेय ने बताया कि वो चार साल से यहां रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं. वो कहते हैं कि यहां टिफिन सर्विस इतनी अच्छी थी कि कभी खाना पकाया नहीं. अब मेरे जैसे कई स्टूडेंट हैं जिन्हें दिन में दोस्तों वगैरह से दाल-चावल वगैरह खाने में मिल जाता है लेकिन रात में अक्सर मैगी, बिस्किट और हल्का फुल्का खाकर गुजारा करना पड़ता है. वैसे तो यहां गुरुद्वारे में लंगर चलता है, लेकिन हम सबमें भीतर तक डर बैठ गया है कि अगर कुछ हो गया तो परिवारवालों से कैसे मिल पाएंगे.
Image Credit: aajtak.in/Special Permission
यूपीएससी की तैयारी कर रहे दुर्गेश कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान ही गर्मी का प्रकोप भी बढ़ गया है. हममें से कईयों के पास कूलर हैं तो उनकी रिपेयरिंग नहीं हो पा रही. किसी का पंखा खराब है, किसी तरह बस गुजारा हाे रहा है. पढ़ाई का भी ये हाल है कि कोचिंग और लाइब्रेरी दोनों बंद हैं तो घर में रहकर ही हमलोग पढ़ाई करते हैं. हमारे ग्रुप डिस्कशन जो यूपीएससी तैयारी का मेन पार्ट है, वो भी बंद हैं. दोस्तों तक से नहीं मिल पाते. लॉकडाउन के कारण कई छात्र तनाव से गुजर रहे हैं.
Image Credit: aajtak.in/Special Permission
छात्र भवानी शंकर कुमावत कहते हैं कि यहां बहुत से स्टूडेंट्स ऐसे हैं जिनके माता-पिता किसान या ग्रामीण परिवेश से हैं. अब उनके लिए किराया तक भेजना मुश्किल हो गया है. मुश्किल सिर्फ इतनी नहीं है, हमें पढ़ाई के लिए नोटबुक, पेन, किताबें, पेपर, फोटोकॉपी कुछ भी कराने की सुविधा नहीं है. ज्यादातर छात्रों की समस्या खाने की है, क्योंकि सबके पास किचन सेटअप नहीं है. ढाबे और मेस बंद होने से बहुत ज्यादा दिक्कत आ रही है. स्टूडेंट पंकज गौतम कहते हैं कि अगर लाइब्रेरी को सोशल डिस्टेंसिंग नियमों के अनुसार खाेल दें तो भी हम लोग कम से कम पढ़ाई तो कर सकते हैं. यहां रूम में कई लोग एकसाथ रहते हैं इसलिए पढ़ाई नहीं हो पाती.
Image Credit: aajtak.in/Special Permission
मुखर्जीनगर से यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र क्षितिज बताते हैं कि उनके परिवार के लोग इस बात को लेकर बहुत परेशान हैं कि वो अपने भाई के साथ यहां अकेले रह रहा है. क्षितिज कहते हैं कि हम लोग तो दिल्ली सरकार के वोटर भी नहीं है जो वो हमारे बारे में सोचे. जब पूरे देश में ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है, तब भी यहां के कोचिंग संस्थान हमें नहीं पढ़ा रहे. सोचा था कि लॉकडाउन में ढील मिली तो कम से कम घर चले जाएंगे. घर पर माता-पिता की सेहत को लेकर भी डर लगता रहता है कि अगर कहीं वो बीमार पड़ गए तो कैसे पहुंच पाएंगे. दिल्ली के मुखर्जी नगर ही नहीं बल्कि शायद अपने घर से पढ़ाई के लिए बाहर रह रहे ज्यादातर छात्रों के बीच कुछ इसी तरह की कशमकश है. इस बीच प्रतियोगी परीक्षाएं लेट होने या अनिश्चित होने से उनकी चिंताएं और बढ़ गई हैं.
Image Credit: aajtak.in/Special Permission