जिस समय चीन के वुहान स्थित लैब में कोरोना वायरस की जांच चल रही थी, लगभग उसी समय अमेरिका की एक लैब में भी चूहे के ऊपर कोरोनावायरस की टेस्टिंग चल रही थी. ये बात है करीब पांच साल पहले की. अब इस बात पर चर्चा हो रही है कि क्या अमेरिका ने लैब में कोरोना वायरस को विकसित किया है? या फिर यह सिर्फ एक संयोग हैं. आइए जानते हैं पूरी कहानी... (फोटोः जॉनी एंड्रयूज/यूएनसी)
बात है फरवरी 2016 की जब अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना स्थित यूएनसी चैपल हिल्स हाई सिक्योरिटी लैब में एक घटना घटी जिससे पूरा अमेरिका और चीन हिल गया था. क्योंकि संभवतः अमेरिकी लैब और चीन की वुहान स्थित लैब पार्टनरशिप पर इस प्रोजेक्ट पर एक साथ काम कर रही थीं. (फोटोः यूएनसी)
अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के चैपल हिल्स हाई सिक्योरिटी बायो लैब 3 (University of North Carolina at Chapel Hill’s high-containment laboratories) में एक चूहे को लैब में बनाए गए सार्स कोरोना वायरस से संक्रमित कराया गया था. लेकिन लैब में एक अनहोनी घटना घट गई, जिसके बारे में आजतक अमेरिका ने कोई खुलासा नहीं किया. (फोटोः यूएनसी)
प्रोपब्लिका वेबसाइट के मुताबिक हुआ यूं कि लैब में एक महिला लैब टेक्नीशियन कोरोना वायरस संक्रमित चूहे को एक सेफ्टी जार में रखकर कुछ काम कर रही थी. तभी चूहे ने लैब टेक्नीशियन की उंगली में काट लिया. (फोटोः यूएनसी)
महिला लैब टेक्नीशियन को क्वारनटीन करने के बजाय लैब के अधिकारियों ने उसे 10 दिन तक सामान्य जीवन जीने की हिदायत दी थी. उसे पब्लिक में रहने को कहा गया. बस उसे मास्क लगाकर रखना था. हर रोज उसका तापमान रिकॉर्ड किया जाता था.
10 दिन की जांच के बाद खुलासा ये हुआ कि महिला लैब टेक्नीशियन बीमार नहीं पड़ी. इसलिए मामले पर ध्यान नहीं दिया गया. आपको बता दें कि चैपल हिल्स हाई सिक्योरिटी लैब बेहद सुरक्षित प्रयोगशाला है. चूहे वाले इस मामले से बड़ा हादसा होते-होते टल गया था. (फोटोः यूएनसी)
वेबसाइट के मुताबिक लैब के रिकॉर्ड्स में ये घटना दर्ज है लेकिन उसे आजतक सार्वजनिक नहीं किया गया. किसी ने इस बात की चर्चा तक नहीं की है कि अमेरिका अकेले ये कोरोना वायरस लैब में बना रहा था या चीन के साथ मिलकर. लेकिन महिला लैब टेक्नीशियन को सार्वजनिक जीवन जीने के लिए कहना लोगों की जान खतरे में डालने जैसा था. (फोटोः रॉयटर्स)
चैपल हिल्स हाई सिक्योरिटी लैब के प्रबंधन ने इस घटना के बारे में किसी तरह की जानकारी देने से उस समय मना कर दिया था. जबकि, उसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ गाइडलाइंस के मुताबिक लोगों को यह जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए थी. (फोटोः रॉयटर्स)
अमेरिकी लैब की सुरक्षा में इस तरह की गड़बड़ी होना आज की तारीख में बेहद जरूरी है. क्योंकि इस समय कोरोना वायरस की वजह से 7.75 लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. करीब 2.17 करोड़ से ज्यादा लोग बीमार हैं. (फोटोः गेटी)
रटगर्स यूनिवर्सिटी के मॉलीक्यूलर बॉयोलॉजिस्ट रिचर्ड ईब्राइट ने अमेरिकी कांग्रेस के सामने चैपल हिल्स लैब की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए थे. साथ ही ये भी कहा था कि उस लैब में कोरोना वायरस को लेकर इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी है जो भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं. (फोटोः गेटी)
साल 2007 में यूएस गवर्नमेंट एकाउंटिबिलिटी ऑफिस ने बायोसेफ्टी लेवल 3 और 4 वाली सभी प्रयोगशालाओं में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया को लेकर चेतावनी जारी की थी. उसमें कहा गया था कि न चाहते हुए भी अनजाने में अगर लैब के जरिए कोई संक्रमण फैला तो लाखों लोगों के लिए मुश्किल हो सकती है. (फोटोः गेटी)