कोरोना से बचने के लिए दुनियाभर में बेहद तेजी से वैक्सीन तैयार करने पर काम चल रहा है. कई देशों में तो पहले वैक्सीन बनाने की होड़ भी लगी है. इसी कड़ी में रूस ने बिना ट्रायल (फेज-3) पूरा किए ही अपनी वैक्सीन को सफल घोषित कर दिया. कई एक्सपर्ट ने चिंता भी जताई है कि तेजी से वैक्सीन तैयार करने के दबाव में सुरक्षा चूक न हो जाए. लेकिन क्या आपको पता है कि वैक्सीन के कई नुकसान (वैक्सीन इंजरी) भी हो सकते हैं और ऐसे नुकसान के लिए सरकार को करोड़ों रुपये पीड़ितों को देने पड़ सकते हैं? आइए जानते हैं...
वैक्सीन इंजरी आमतौर तब समझी जाती है जब वैक्सीन लगाने के कुछ वक्त बाद व्यक्ति के शरीर में कोई नुकसान या बीमारी शुरू हो जाती है. जब तक कि ये साबित न कर दिया जाए वैक्सीन की वजह से व्यक्ति को संबंधित बीमारी नहीं हुई है, व्यक्ति के दावे को सही समझा जाता है.
हालांकि, वैज्ञानिक तौर से यह साबित करना मुश्किल होता है कि वैक्सीन की वजह से ही बीमारी हुई है. वैक्सीन से इंजरी होने पर अमेरिका में इस आधार पर हर्जाना दिया जाता है कि व्यापक जनहित के इरादे से वैक्सीन लगाने के बाद व्यक्ति को नुकसान पहुंचा.
वैक्सीन इंजरी के हर्जाने के तौर पर अमेरिका हर साल पीड़ित या पीड़ित लोगों के परिवार को करोड़ों रुपये देता है. इसके लिए बाकायदा 'वैक्सीन इंजरी कॉम्पन्सेशन प्रोग्राम' तैयार किया गया है.
theatlantic.com में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने सिर्फ 2013 से 2017 के बीच इस प्रोग्राम के तहत पीड़ितों को हर साल 1682 करोड़ रुपये दिए. औसत हर्जाने की राशि करीब 3.1 करोड़ रुपये थी. भारत में भी कई डॉक्टर और एक्सपर्ट वैक्सीन इंजरी के लिए कॉम्पन्सेशन प्रोग्राम शुरू करने की मांग करते रहे हैं.
अमेरिका ने 'वैक्सीन इंजरी कॉम्पन्सेशन प्रोग्राम' के तहत बीते तीन दशक में 4 अरब डॉलर की राशि लोगों को दी. अमेरिका के कानून के तहत, वैक्सीन के अलावा अगर किसी अन्य दवाइयों से किसी व्यक्ति को नुकसान होता है तो पीड़ित शख्स कंपनी से हर्जाना मांग सकता है. लेकिन वैक्सीन से नुकसान होने पर कंपनी के बजाय सरकार हर्जाना देती है.
आमतौर पर दुनियाभर की सरकारें वैक्सीन को पूरी तरह सुरक्षित बताकर प्रचार करती है ताकि अधिक से अधिक लोग वैक्सीन लगवाएं. इसी वजह से एक्सपर्ट हर्जाने के लिए प्रोग्राम शुरू करने की मांग करते रहे हैं.
अमेरिका ने 'वैक्सीन इंजरी कॉम्पन्सेशन प्रोग्राम' के तहत पहला पेमेंट 1988 में किया था. इससे पहले 1955 में अमेरिका में पोलियो वैक्सीन को लेकर भयानक हादसा हुआ था.
अमेरिका में 1955 में खराब वैक्सीन की वजह 40 हजार स्वस्थ बच्चे पोलियो के शिकार हो गए थे. कम से कम 51 बच्चे पैरालाइज्ड हो गए थे और 5 की मौत हो गई थी. ये वैक्सीन जल्दबाजी में लॉन्च की गई थी.
अमेरिका में 'वैक्सीन इंजरी कॉम्पन्सेशन प्रोग्राम' शुरू होने से पहले 1970 में एक बच्ची पोलियो वैक्सीन की वजह से पैरालाइज्ड हो गई थी. उसके पिता ने कोर्ट में केस किया और हर्जाने के तौर पर उन्हें करीब डेढ़ करोड़ रुपये दिए गए थे.