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कोरोना

जानें, कब कराना चाहिए CT स्कैन, कोरोना कैसे डालता है फेफड़ों पर असर

ऐश्वर्या पालीवाल
  • नई दिल्ली ,
  • 08 मई 2021,
  • अपडेटेड 10:20 AM IST
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देश अभी कोरोना वायरस महामारी की भयानक दूसरी लहर से जूझ रहा है. इसका पीक कब आएगा और ये लहर कब खत्म होगी? ऐसे सवालों के बीच तीसरी लहर का अंदेशा भी गहरा गया है. कोरोना बीमारी हवा के जर‍िये फैलती है. जैसे-जैसे यह बीमारी फैलती है, यह फेफड़े के बड़े हिस्से को ढक लेती है और धीरे-धीरे मरीजों को सांस लेना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि बीमारी हवा के मार्ग को रोक देती है. कोरोना हमारे फेफड़ों पर असर कैसे करता है? नई द‍िल्ली के गंगा राम हॉस्पिटल चेस्ट डिजीज ड‍िपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर बॉबी भालोत्रा ने इसे विस्तार से बताया है. देख‍िए ये वीड‍ियो. 

Photo credit: Getty image

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डॉक्टर बॉबी भालोत्रा कहना है कि कोरोना वायरस एक वायरल इंफेक्शन है, इससे मरीज की जान भी जा सकती है. इसकी रोकथाम सिर्फ बचाव से है और वैक्सीनेशन. ये वो दो तरीके हैं, इससे अपने आपको बचाया जा सकता हैं और इसे फैलने से भी रोका जा सकता है. हर किसी के लिए इन तरीकों को समझकर चलना बेहद जरूरी है. 

 

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कोरोना वायरस इन्फेक्शन सबसे पहले नाक और गले को इन्फेक्ट करता है अगर शरीर की इम्यूनिटी उसे नाक और गले तक सीमित नहीं रख पाती है तो ये लंग्स में प्रवेश करके एक तरह का निमोनिया करता है. डॉक्टर बॉबी भालोत्रा कहना है कि सीटी स्कैन एक ऐसी इन्वेस्टीगेशन है, जो हमारे लंग्स में कोरोना वायरस का प्रभाव को अच्छी तरह से देखने में मदद करती है. 

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कोरोना वायरस की वजह से लंग्स में सफेद- सफेद दाग आ जाते हैं. मरीज के फेफड़ों  में निमोनिया के निशान दिखने लगते हैं. यह निशान की किसी में कम, किसी में ज्यादा और किसी में बहुत ज्यादा नजर आते हैं. कुछ मरीजों के फेफड़ों में यह दाग इतने बढ़ जाते हैं कि फेफड़ो हवा के जाने का रास्ता ही नहीं मिल पाता है. ऐसे मामलों में मरीज को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है. कई बार मरीज को वेंटिलेटर पर भी डालना पड़ता है. 

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इस तस्वीर में एक्स-रे को अलग तरीके से देखा गया है. जिसमें कोरोना वायरस के जख्म पूरी तरह से नजर आ रहे हैं. सीटी स्कैन की रिपोर्ट में राइट साइड और लेफ्ट साइड के फेफड़ों को अलग अलग भागों में बांटा जाता है और नंबर की स्कोरिंग की जाती है. स्कोर पांच है तो इसे माइड माना जाता है और 20 से ऊपर है तो इसे काफी गंभीर समझा जाता है. इस तरह से सीटी स्कैन के माध्य से हम कोरोना वायरस से लंग्स में हुए इन्फेक्शन का पता करते हैं.    

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आज सबसे बड़ा सवाल यह कि किसी सीटी स्कैन कराना चाहिए और किसे नहीं. अगर हर शख्स सीटी स्कैन कराने पहुंच जाएगा तो यह ठीक नहीं है, क्योंकि सीटी स्कैन से इस बीमारी का पता कम से कम पांच से सात दिन के बाद चलता है. कई सारी ऐसी बीमारी से हैं जो कोरोना वायरस जैसी लगती है. इसलिए RTPCR टेस्ट बेहद जरूरी हैं. कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए डॉक्टर की राय के बाद ही सीटी स्कैन कराएं. किसी भी मरीज को अगर लंग्स के लक्ष्ण हैं या सांस फूल रहा है. ऐसे मरीजों को डॉक्टर से पूछकर अपना सीटी स्कैन करना चाहिए.  

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