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कोरोना

इस अंतरराष्ट्रीय समूह से जुड़ेगा भारत तो ज्यादा आसानी से मिलेगी कोरोना वैक्सीन

aajtak.in
  • 08 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 9:27 AM IST
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization - WHO) ने कहा है कि भारत वैक्सीन आवंटन के अंतरराष्ट्रीय प्लान COVAX फैसिलिटी का हिस्सा बन सकता है. भारत इस स्कीम का हिस्सा बनने के लायक है. WHO इस बारे में लगातार भारत की सरकार से बातचीत कर रहा है. WHO के सीनियर एडवाइजर ब्रूस आयलवार्ड ने जेनेवा में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ये बात कही. ब्रूस ने कहा कि कोरोना को मिटाने में भारत एक बड़ा सहयोगी बनकर सामने आया है. 

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COVAX फैसिलिटी का नेतृत्व WHO और GAVI अलायंस मिलकर कर रहे हैं. गावी (ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन्स एंड इम्युनाइजेशन) अलायंस कई देशों की सरकारों, WHO और बिल-मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने एक साथ मिलकर बनाया है. इनका उद्देश्य है दुनियाभर में कोरोना वायरस की वैक्सीन खरीद कर उन्हें जरूरतमंदों को बांटने में मदद करना. 

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हालांकि, अमेरिका समेत कई देशों ने वैक्सीन बनाने वाली दवा कंपनियों के साथ सीधे तौर पर द्विपक्षीय समझौता कर लिया है. ताकि वे अपने देश के लिए दवाओं की आपूर्ति सुरक्षित कर सकें. पिछले महीने भारत के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस साल के अंत तक कोविड-19 के खिलाफ भारत में पहली वैक्सीन आ जाएगी. 

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डॉ. हर्षवर्धन ने कहा था कि भारत में जिन कोरोना वायरस की वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं, उनमें से एक क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे यानी अंतिम चरण में है. स्वास्थ्य मंत्री ने भरोसा दिलाया था कि उन्हें और सरकार को इस बात का यकीन है कि साल के अंत तक देश के नागरिकों को कोरोना वायरस की वैक्सीन मिलने लगेगी. 

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कोवैक्स फैसिलिटी एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है. इसका उद्देश्य वैक्सीन का डेवलपमेंट, प्रोडक्शन और उसे हर व्यक्ति तक पहुंचाना है. GAVI इस फैसिलिटी को लीड कर रही है. यह एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन और WHO का संयुक्त उपक्रम है. इस योजना के तहत सभी देशों और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को एक साथ एक ही मंच पर लाना है. 

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फिलहाल, WHO प्रमुख डॉ. टेड्रोस गेब्रेसियस ने कहा है कि कोवैक्स फैसिलिटी में 9 वैक्सीन कैंडिडेट्स को शामिल किया गया है. भारत कोवैक्स, WHO, GAVI और CEPI के साथ जुड़ेगा ताकि देश में कोरोना वैक्सीन की मांग को पूरा किया जा सके. COVAX का मकसद है कि सभी देशों में जरूरत के हिसाब से कम से कम 20 प्रतिशत वैक्सीन डोज की सप्लाई इसके जरिए हो. लेकिन इसमें विकसित देश शामिल नहीं हैं.   

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