कोरोना वायरस की कुछ वैक्सीन का ट्रायल अंतिम स्टेज में है, अब अमेरिका समेत दुनिया के कुछ देशों में इस बात कि चिंता है कि यह वैक्सीन सबसे पहले किसे दी जाए. किस तरह के लोगों को वैक्सीन की पहली सीमित डोज दी जाए ताकि इस महामारी से बचा जा सके या इसे रोका जा सके. (फोटोः AFP)
अब अमेरिका समेत कई देशों में ऐसे लोगों की पहचान शुरू की जा रही है जिन्हें सबसे पहले वैक्सीन की डोज दी जाएगी. इस तैयारी में बड़े डॉक्टर्स समेत वो लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने 2009 में H1N1 इंफ्लूएंजा के समय ऐसी योजनाएं बनाई थीं. (फोटोः AFP)
अमेरिका में सबसे पहले जिस समूह को कोविड-19 वैक्सीन का पहला डोज देने की बात चल रही है उनमें स्वास्थ्यकर्मी, बुजुर्ग, फ्रंटलाइन वर्कर्स, आईसीयू में भर्ती लोग और ज्यादा गंभीर बीमार लोग शामिल हैं. लेकिन अभी तक फैसला नहीं लिया जा सका है. (फोटोः रॉयटर्स)
अमेरिका में क्लीनिकल ट्रायल्स में दो वैक्सीन ने अच्छे परिणाम दिए हैं. ये अंतिम स्टेज तक पहुंच गए हैं. इनकी सेफ्टी की जांच 30 हजार लोगों पर की गई है. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि जो वैक्सीन अच्छा परफॉर्म कर रही हैं, उनकी पहली डोज साल के अंत तक मिलेगी. (फोटोः रॉयटर्स)
इसलिए, अभी अमेरिकी सरकार के पास ये सोचने का वक्त है कि कोरोना वायरस वैक्सीन की पहली डोज सबसे पहले किसे दी जाए. क्योंकि, अमेरिका में नस्ल और रंग भी बड़ा मुद्दा है. वहां कई एक्सपर्ट इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि अगर वैक्सीनेशन के समय इसका ध्यान नहीं रखा गया तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी. (फोटोः रॉयटर्स)
सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या फ्रंटलाइन हेल्थवर्कर्स, डॉक्टर्स के अलावा अस्पतालों के कैफेटेरिया वर्कर्स, सफाईकर्मियों को इशेंसियस सर्विसेज में माना जाएगा. क्या इन्हें भी वैक्सीन की पहली डोज मिलेगी. उन टीचर्स का क्या होगा जो स्कूल में पढ़ा रहे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के निदेशक फ्रांसिस कोलिंस ने कहा कि यह सबसे पहले वैक्सीन किसे दिया जाए, ये एक बड़ा विवाद पैदा करने वाला है. इस पर हर कोई जवाब नहीं देगा. अमेरिका की सरकार इस समय प्रायोरिटीज तय करने में लगी है. (फोटोः रॉयटर्स)