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BHU वैज्ञानिक का दावाः 60% भारतीयों का ये जीन ताकतवर, इसलिए हम कोरोना से ज्यादा सेफ

रोशन जायसवाल
  • 24 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST
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भारतीयों के लिए कोरोना वायरस को लेकर एक राहत देने वाली खबर है. भारतीयों में इस महामारी से लड़ने की क्षमता ज्यादा है क्योंकि उनके डीएनए में एक ऐसा जीन है जो यूरोप और अमेरिका के लोगों से ज्यादा है. इसलिए भारत में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों का रिकवरी रेट सबसे अच्छा है. ये दावा किया गया है बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के एक अध्ययन में.

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पूरी दुनिया की अलग-अलग आबादी क्षेत्रों पर हुए रिसर्च के बाद यह बात निकलकर सामने आई है कि दक्षिण एशिया खासकर भारत में मौतें इसलिए कम हुई है, क्योंकि यहां लोगों में ACE-2 जीन सर्वाधिक पाए गए हैं. ये जीन कोरोना से लड़ने में शरीर को प्रतिरोधक क्षमता देता है. अगर यूरोपियन देशों से तुलना में साउथ एशिया और भारतीय लोग 12 परसेंट कहीं ज्यादा सुरक्षित हैं.

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भारत में कोरोना की वजह से मौतों की संख्या कम होने की वजह ACE-2 जीन है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और उनकी शोध टीम की खोज को फ्लोज वन पब्लिक लाइब्रेरी साइंसेस ऑफ अमेरिका में प्रकाशित भी किया गया है. प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि कोरोना की वजह से इंसानों का डिफेंस सिस्टम बहुत अच्छे से काम नहीं कर रहा है तो आखिर इसके पीछे क्या वजह है? कई लोगों पर इस वायरस का असर नहीं हो रहा है? इसलिए दुनिया भर के इंसानों के जीनोम का अध्ययन किया.   

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प्रो. चौबे ने बताया कि इस अध्ययन में अफ्रीका, यूरोप, साउथ एशिया, साउथ ईस्ट एशिया साइबेरिया तक के लोगों को शामिल किया गया. हमने दुनिया भर के 483 लोगों पर अध्ययन किया पूरे विश्व से. इस संदर्भ में अभी तक 5 पेपर पब्लिश्ड किए जा चुके हैं. कोरोना की शुरुआत में इटली और यूरोपीय देशों में डेथ रेट बहुत ज्यादा थी. लेकिन भारत या साउथ एशिया के लोगों के जीनोम का स्ट्रक्चर कुछ ऐसा है कि जिसकी वजह से हमारी मृत्यु दर बहुत कम है.

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आगे के अध्ययन में पता चला कि साउथ एशियन जीनोम ईस्ट एशिया जीनोम मेल खा रहे थे. जबकि यूरोपियन और अमेरिकन जीनोम में एक दूसरे के साथ मिल रहे थे. ईरान का जीनोम भारत से मेल खाना चाहिए लेकिन इस मामले में वह यूरोप से मेल खा गया. साउथ एशिया के जीनोम में म्यूटेशन भी काफी पाया गया. इसी वजह से कोरोना वायरस की शरीर में एंट्री जिस गेटवे पॉइंट से हो रही है. उससे कोरोना वायरस को काफी जटिलता का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन भारत में मृत्यु दर कम और रिकवरी रेट इसी जीनोम ACE-2 की वजह से ज्यादा है. 

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किसी शरीर में कोरोना वायरस की एंट्री होते ही वह अपनी मल्टीपल कॉपी बना लेता है. यानी और वायरस पैदा कर देता है. शरीर के एक्स क्रोमोजोम पर एक जीनोम ACE-2 जीनोम होता है. यही रिसेप्टर यानी मेजबान का काम करता है. कोरोना वायरस इसी जीनोम के साथ एसोसिएट करके कई वायरस पैदा करता है. लेकिन भारत और साउथ एशिया के लोगों में ACE-2 जीनोम इतना ज्यादा म्यूटेशन कैरी कर रहा है कि कोविड-19 का शरीर में एंट्री करना घट गया है. 

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उनकी यह स्टडी एक मल्टी डिसीप्लिनरी स्टडी है. जिसमें स्विजरलैंड, कोलकाता, दिल्ली और बीएचयू जंतु विज्ञान विभाग के तमाम रिसर्च स्कॉलर भी थे. भारत में जहां इस म्यूटेशन का रेट कम हैं, वहां ज्यादा मौतें हो रही हैं. जहां म्यूटेशन रेट ज्यादा है, वहां मौत कम हो रही है और रिकवरी रेट भी अच्छी है. 

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रिसर्च टीम में शामिल स्कॉलर प्रज्वल प्रताप सिंह ने बताया कि महाराष्ट्र में भारत के अन्य क्षेत्रों की तुलना में जीनोम ACE-2 की फ्रीक्वेंसी काफी कम है. इसलिए महाराष्ट्र में मौतों की संख्या ज्यादा है. जबकि, झारखंड और उत्तर-पूर्व के कई ट्राइबल जाति में भी इस जीनोम की आवृत्ति ज्यादा है. जिसकी वजह से वहां पर कोरोना का प्रभाव कम देखा गया. 

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भारत में हर्ड इम्युनिटी से ज्यादा कोरोना प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही लोगों के जीन में मौजूद है. यह क्षमता लोगों के शरीर की कोशिकाओं में मौजूद एक्स क्रोमोसोम के जीन ACE-2 रिसेप्टर (गेटवे) से मिलती है. इसी वजह से जीन पर चल रहे म्यूटेशन कोरोनावायरस को कोशिका में प्रवेश से रोक देते हैं. इस म्यूटेशन का नाम- RS-2285666 है. भारत के लोगों का जीनोम में इतने यूनीक टाइप के म्यूटेशन हैं, जिसकी वजह से देश में मृत्युदर कम और रिकवरी रेट सबसे ज्यादा है.

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एक इंसान में 3.2 अरब कोशिकाएं (Cells) होती हैं. हर कोशिका में डीएनए पाया जाता है. यही डीएनए कोशिकाओं को निर्देशित करती हैं कि उनके लिए कौन से जरूरी काम हैं. कौन से नहीं हैं. यही डीएनए जब किसी वायरस का शरीर पर अटैक होता है तो उन्हें मार भगाने के लिए भी निर्देश देती हैं. डीएनए में 1 से लेकर 22 तक क्रोमोसोम होते हैं. जिन्हें हम एक्स और वाई क्रोमोसोम के नाम से जानते हैं. इनमें से एक्स क्रोमोसोम पर ACE-2 रिसेप्टर पाया जाता है, जिस पर ये कोरोनावायरस अटैक करता है. किसी भी जीव के डीएनए में मौजूद समस्त जीनों की चेन को जीनोम कहते हैं. यह ACE-2 रिसेप्टर भी जीनोम का ही एक हिस्सा है.

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