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खुशखबरीः स्टडी में खुलासा-कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी जीवनभर रह सकती है शरीर में

aajtak.in
  • सेंट लुईस,
  • 26 मई 2021,
  • अपडेटेड 1:46 PM IST
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कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया परेशान है. ऐसे में अगर कोई राहत वाली खबर मिलती है तो अच्छा लगता है साथ ही सुरक्षित भी महसूस होता है. ऐसी ही एक सुकून देने वाली खबर वॉशिगंटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन से आई है. यहां के शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों का शरीर हमेशा कोरोना से लड़ता रह सकता है. यानी आपके शरीर में कोरोना के खिलाफ प्रतिरक्षण प्रणाली यानी एंटीबॉडी हमेशा बनती रहेंगी. साथ ही कोरोना वायरस से संघर्ष करती रहेंगी. सबसे बड़ी खबर ये है कि कोरोना संक्रमण के पहले लक्षण के 11 महीने बाद फिर से एंटीबॉडी विकसित हो रही हैं. (फोटोःगेटी)

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अमेरिका के सेंट लुईस स्थित वॉशिगंटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर्स का यह अध्ययन साइंस जर्नल नेचर में 24 मई को प्रकाशित हुआ है. साइंटिस्ट्स ने बताया कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के कुछ महीनों बांद भी लोगों में Covid-19 वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी सेल्स यानी प्रतिरक्षण कोशिकाएं काम करती रहती हैं. (फोटोःगेटी)

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कोरोना वायरस के खिलाफ ये कोशिकाएं प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती रहती हैं. हैरान करने वाला खुलासा ये है कि ये एंटीबॉडी जीवन भर आपके शरीर में रह सकती हैं. यानी आपके शरीर में आपके पूरे जीवनकाल के दौरान ये प्रतिरोधक क्षमता बनी रहेगी कि आप कोरोना वायरस से संघर्ष कर सकें. (फोटोःगेटी)

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वॉशिगंटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर और इस स्टडी के लेखक अली एलबेडी ने कहा कि कोरोना वायरस की पहली लहर यानी पिछले साल गर्मियों के दौरान ऐसी खबरें आई थीं कि संक्रमण के बाद एंटीबॉडी ज्यादा दिनों तक के लिए शरीर में नहीं रहती. लेकिन ये सच नहीं है. संक्रमण के बाद एंटीबॉडी कम होते हैं. इम्यूनिटी भी कमजोर होती है लेकिन वापस ये रिकवर कर लेते हैं. (फोटोःगेटी)

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अली एलबेडी ने कहा कि संक्रमण के बाद शरीर में इम्यूनिटी कम होना एक आम बात है. लेकिन वह खत्म नहीं होता. हमने अपनी जांच में पाया है कि पहले लक्षण के 11 महीने बाद भी लोगों के शरीर में एंटीबॉडी बन रही है. ये एंटीबॉडी सेल्स जीवनभर के लिए लोगों को कोरोना वायरस से बचाने में मदद करेंगी. ये कभी खत्म नहीं होंगी. जैसे ही वायरस का शरीर पर हमला होता है ये वापस जाग जाती हैं और वायरस के साथ संघर्ष करती हैं. ताकि शरीर इससे जल्दी निपट सके. (फोटोःगेटी)

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अली एलबेडी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान जो एंटीबॉडी विकसित होते हैं वो इम्यून सेल्स को बांटती हैं. यानी विभाजित करती हैं. ये धीरे-धीरे ऊतकों और खून में पहुंच जाती हैं. इससे एंटीबॉडी का स्तर शरीर में तेजी से बढ़ता है. ये एंटीबॉडी जिन कोशिकाओं से बनती हैं उन्हें प्लाज्मा सेल्स कहते हैं. (फोटोःगेटी)

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प्लाज्मा सेल्स हड्डियों में मौजूद बोन मैरो यानी अस्थि मज्जा में जाकर रहती हैं. हालांकि इनकी संख्या कम हो जाती है. लेकिन जैसे ही शरीर में वायरस का आक्रमण होता है ये सक्रिय हो जाती हैं. तेजी से विभाजित होकर अपनी संख्या बढ़ा लेती हैं और वायरस से युद्ध करने लगती हैं. यही एंटीबॉडी शरीर को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाती है. (फोटोःगेटी)

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