दवा कंपनी मॉडर्ना ने दावा किया है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन आपके शरीर में कम से कम सालभर तक कोरोना से बचाने की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी बनाकर रखेगी. कंपनी ने कहा कि उसकी वैक्सीन बनाने की टेक्नोलॉजी इतनी जबरदस्त है कि वह कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स यानी स्ट्रेन पर भी असरकारक होगी. (फोटोःगेटी)
मॉडर्ना के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर स्टैफनी बैंसल ने कहा कि हमारी मैसेंजर आरएनए (mRNA) वैक्सीन टेक्नोलॉजी बेहद अत्याधुनिक है. हमारी वैक्सीन का नाम है mRNA-1273. इस वैक्सीन में एक सिथेंटिक mRNA है जो कोरोना वायरस की बाहरी परत की नकल करता है. इससे शरीर में कोरोना वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है. (फोटोःगेटी)
शरीर में जब कोरोना वायरस का हमला होता है तब शरीर पहले से तैयार इम्युनिटी के जरिए कोरोना वायरस के हमले को निष्क्रिय या कमजोर कर देती है. कंपनी ने दिसंबर में कहा था कि वह हर प्रकार के कोरोना वैरिएंट और स्ट्रेन पर अपनी वैक्सीन का टेस्ट करेगी. अब कंपनी ने दावा किया है कि उसकी वैक्सीन फिलहाल दुनिया में मौजूद कोरोना वायरस के हर वैरिएंट पर असरदायक है. (फोटोःगेटी)
कंपनी ने दावा किया है कि वह साल 2021 के अंत तक 60 करोड़ से 100 करोड़ वैक्सीन डोज का उत्पादन करेगी. एडवांस परचेज एग्रीमेंट और सरकारों द्वारा की गई मांग के अनुसार मॉडर्ना अपनी वैक्सीन से अगले एक साल में 11.7 बिलियन डॉलर्स यानी 85,837 करोड़ रुपए की आमदनी करेगा. (फोटोःगेटी)
मॉडर्ना के CEO स्टैफनी ने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारी टीम 60 करो़ड़ वैक्सीन डोज आराम से तैयार कर लेगी. हम इसे सही समय पर पूरी दुनिया को दे पाएंगे. कोशिश करेंगे कि इससे ज्यादा डोज बनाकर दुनिया को दें. (फोटोःगेटी)
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हालांकि अभी मॉडर्ना की वैक्सीन को भारत में लाने के लिए आईआईएल से बात चल रही है. हालांकि अभी केवल इस बात की संभावना तलाशी जा रही है कि ऐसा हो सकता है या नहीं और चर्चा भी सिर्फ शुरुआती दौर में है. (फोटोःगेटी)
बीच में ये खबर आई थी कि मॉडर्ना भारत में अपनी वैक्सीन बनाना चाहती है. मॉडर्ना और फाइजर जैसी वैक्सीनें अगर किसी कंपनी के सहयोग से अगर भारत में बनती हैं तो उनकी कीमत कम होगी. इस मामले में मॉडर्ना एकमात्र कंपनी नहीं है जिसके साथ बातचीत चल रही है, ऐसी अन्य कंपनियां भी हैं. (फोटोःगेटी)
सूत्रों ने कहा है कि भारत में mRNA टेक्नॉलजी के टीकों का उत्पादन करना आसान है. अगर बातचीत सफल रहती है तो भारत में 2-3 महीनों के भीतर ही मॉडर्ना वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो जाएगा. हालांकि इस बारे में सूत्रों का कहना है कि वर्तमान समय में, फाइजर और मॉडर्ना को भारत में लाना बहुत ही अव्यवहारिक है. भारत में बीमारी की स्थिति अन्य देशों से बहुत अलग है. (फोटोःगेटी)
ब्रिटेन के नियामक प्राधिकरण ने शुक्रवार को कोविड-19 के तीसरे वैक्सीन को मंजूरी दी है, जिसे मॉर्डना कंपनी ने विकसित किया है. हालांकि इसे अभी मार्केट में पहुंचने में एक सप्ताह का समय लगेगा. यूके सरकार ने मॉर्डना कंपनी को 70,00,000 डोज के लिए पहले ही ऑर्डर दे रखी है. (फोटोःगेटी)
जानकारी के मुताबिक 30 हजार से अधिक लोगों पर मॉडर्ना वैक्सीन का परीक्षण किया गया था. इसके परिणाम करीब 95 प्रतिशत सुरक्षित देखे गए हैं. मॉडर्ना की वैक्सीन, फाइजर और बायोएनटेक के टीके की तरह ही काम करती है. इसे -20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखना होता है. (फोटोःगेटी)