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खोज ली कोरोना की सबसे प्रभावी एंटीवायरल दवा, UK के साइंटिस्ट का दावा

aajtak.in
  • लंदन,
  • 03 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:55 PM IST
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साइंटिस्ट्स ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोना वायरस के लिए अत्यधिक प्रभावी एंटीवायरल दवा खोज ली है. साथ ही ये भी कहा कि भविष्य में इस एंटीवायरल दवा से कोरोना वायरस की महामारी को रोकने में आसानी होगी. ये स्टडी यूके स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम के शोधकर्ताओं ने की है. (फोटोःगेटी)

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यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम के शोधकर्ताओं ने किसी पौधे की मदद से एंटीवायरल दवा थाप्सीगार्गिन (Thapsigargin) बनाई है. इनका दावा है कि अगर इस दवा की छोटे-छोटे डोज को लगातार लेने से फायदा होगा. इससे शरीर में ब्रॉड-स्पेक्ट्रम होस्ट-सेंटर्ड एंटीवायरल इनेट इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता यानी शरीर में किसी भी तरह के वायरस से लड़ने के लिए कई पैमाने पर प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है. (फोटोःगेटी)

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एंटीवायरल दवा थाप्सीगार्गिन (Thapsigargin) की बदौलत विकसित प्रतिरोधक क्षमता की वजह से कोविड-19 से संबंधित तीन रेस्पिरेटरी वायरस को खत्म कर सकता है या बहुत हद तक रोक सकता है. जिस मरीज को गंभीर तौर पर रेस्पिरेटरी वायरल इन्फेक्शन हुआ हो उसे क्लीनिकली ये पता करना मुश्किल हो जाता है कि किस तरह के वायरस का दुष्प्रभाव ज्यादा है. (फोटोःगेटी)

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ऐसे में एंटीवायरल दवा थाप्सीगार्गिन (Thapsigargin) हर तरह के वायरस के दुष्प्रभाव को कम करेगा और उसे मारेगा. साथ ही इसकी वजह से क्लीनिकल मैनेजमेंट करने में आसानी होगी. यह स्टडी साइंस जर्नल वायरसेस में प्रकाशित हुई है. इस स्टडी के अनुसार के इस एंटीवायरल दवा से सामुदायिक तौर पर फैल रहे वायरस के संक्रमण को तत्काल रोका जा सकता है. (फोटोःगेटी) 

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इस दवा की जांच जानवरों पर की जा चुकी है. साथ ही इसका कोशिकाओं पर परीक्षण भी किया जा चुका है. रिसर्च से प्राप्त निष्कर्षों के अनुसार थाप्सीगार्गिन (Thapsigargin) किसी भी तरह के वायरल इन्फेक्शन के खिलाफ ताकतवर तरीके से असर करता है. संक्रमण से पहले भी और संक्रमण होने के बाद भी. (फोटोःगेटी)

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थाप्सीगार्गिन (Thapsigargin) किसी भी वायरस को म्यूटेट होने और उसकी नई कॉपी बनाने से भी रोकता है. यह दवा लेने के तीस मिनट के बाद ही कोशिकाओं में अपना काम करना शुरू कर देता है. अगले 48 घंटे तक यह वायरस किसी भी तरह से न म्यूटेट कर पाएगा न ही अपनी नई कॉपी बना पाएगा. (फोटोःगेटी)

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शोधकर्ताओं ने बताया कि थाप्सीगार्गिन (Thapsigargin) का एसिडिक पीएच संतुलित और स्थाई है. ऐसा ही संतुलित एसिडिक पीएच हमारे पेट में होता है. इस दवा को इंजेक्शन से लेने की जरूरत नहीं है. इसे मुंह से टेबलेट की तरह खा सकते हैं. दावा यह भी किया जा रहा है कि थाप्सीगार्गिन (Thapsigargin) के लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है. (फोटोःगेटी)

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स्टडी के अनुसार इस समय जो भी एंटीवायरल दवाइयां मौजूद हैं, थाप्सीगार्गिन (Thapsigargin) उन सभी से कई गुना ज्यादा प्रभावी है. स्टडी करने वाले प्रोफेसर किन-चाउ चांग ने बताया कि हमारी स्टडी अभी बहुत शुरुआती दौर में है लेकिन इसका असर इतना ज्यादा प्रभावी है कि पूरी दुनिया को बताने से खुद को रोक नहीं पाए. (फोटोःगेटी)

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किन-चाउ चांग ने बताया कि भविष्य में जितनी भी महामारिया आएंगी वो सब जानवरों से इंसानों में फैलेंगी यानी जूनोटिक होंगी. या फिर रिवर्स जूनोटिक यानी इंसानों से जानवरों में फैलेगी. ऐसे में नए जेनरेशन की एंटीवायरल दवाइयां चाहिए. थाप्सीगार्गिन (Thapsigargin) ऐसी बीमारियों को ठीक करने के लिए प्रभावी साबित होगी. (फोटोःगेटी)

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