कहते हैं कि कोई बीमारी या हादसा दिमाग व दिल पर हावी हो जाए तो वह शरीर को कमजोर बना देता हैं लेकिन कोई भी व्यक्ति बीमारी को दिमाग व दिल पर हावी ना होने दे तो जंग आसानी से जीती जा सकती है. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के धौलपुर जिले में देखने को मिला है.
कायस्थपाड़ा निवासी नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना से संक्रमित होने बाद मेरे पिता जगदीश प्रसाद, दो भाई और एक बहू की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई. एक साथ घर में पांच लोग कोरोना से संक्रमित होने के बाद पूरा परिवार डिप्रेशन में चला गया. नीरज के पिताजी जगदीश सांस की बीमारी के मरीज हैं. कोरोना से संक्रमित होने के बाद भाई धीरज इतना डिप्रेशन में आ गया कि उसे अस्पताल में भी भर्ती करवाना पड़ा.
एक निजी बैंक में कार्यरत नीरज श्रीवास्तव ने जब कोरोना महामारी से अपने परिवार को टूटता देखा तो उसने अस्पताल से अपने भाई की छुट्टी करवाई और घर परिवार में सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन कर पंद्रह दिन तक ढोलक और तबला बजाकर भजन-कीर्तन किया.साथ ही संगीत सुना और परिजनों का उसी में लगातार मन लगाए रखा.
नीरज ने बताया कि कोरोना से पॉजिटिव आने के बाद उसने अपनी जांच करीब 6 बार करवाई लेकिन रिपोर्ट 5 बार पॉजिटिव आई. परिवार में पिता, भाई और बहू की भी यह सुनकर हालत खराब रहे लेकिन उसने स्थिति को काबू में करने के लिए लगातार परिजनों का मन बहलाए रखा. नतीजा रहा कि परिवार के सभी लोगों के साथ नीरज की भी जांच रिपोर्ट 13 मई को निगेटिव आ गई.
नीरज ने बताया कि परिवार में पांच लोगों के संक्रमित होने के बाद उसने बच्चों व पत्नी को सभी से दूर दूसरे कमरे में रखा. बच्चे दूर से ही भजन-कीर्तन सुनते थे और वीडियो बनाते थे. करीब 22 दिन घर में रहने के दौरान पहली बार उसने पूरे परिवार के साथ एक नया माहौल बनाया है जिसे वह अब हमेशा इसी तरह से बनाये रखेगा. नीरज का मानना है कि कोरोना से जीतने का सिर्फ एक ही साधन है कि संक्रमित होने के बाद म्यूजिक सुनें और खुद को व्यस्थित रखें.