
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लंबे इंतजार के बाद आखिरकार आज शुक्रवार से भारत बायोटेक की वैक्सीन 'COVAXINE' के ट्रायल की शुरुआत हो गई है. ट्रायल की पहली डोज के 28 दिन बाद अगली डोज दी जाएगी. टीका लगवाने वाले वालंटियर्स का कहना है कि वैक्सीन लगने के बाद उन्हें कुछ खास अनुभव नहीं हुआ.
राजधानी भोपाल से कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुक्रवार से शुरू किया गया है. भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में ट्रायल की ये प्रकिया की जा रही है. पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के डीन एके दीक्षित ने 'आजतक' से बात करते हुए बताया कि 'रजिस्ट्रेशन कराने वाले पहले वॉलंटियर को ये टीका लगाया जा रहा है. वैक्सीन लगाने से पहले वालंटियर की बकायदा पहले काउंसलिंग होती है. इसके बाद उनका मेडिकल असेसमेंट होता है. आखिर में कोरोना टेस्ट के बाद उसे वैक्सीन का पहला डोज लगाया जा रहा है.'
वैक्सीन लगने के बाद वालंटियर को करीब 45 मिनट तक हॉस्पिटल में ही ऑब्जरवेशन में रखा जाता है और फिर उसे घर जाने दिया जाता है. अब डॉक्टर रोजाना वालंटियर से बात करेंगे और वैक्सीन का अगला डोज 28 दिन बाद लगाया जाएगा.
18 साल से ऊपर का हो वालंटियर
मेडिकल सुपरिटेंडेंट आलोक कुलश्रेष्ठ ने 'आजतक' से बात करते हुए बताया कि 'कोरोना की ट्रायल वैक्सीन कोई भी वॉलंटियर बन कर लगवा सकता है, बस शर्त यह है कि उसकी उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए और वो अभी तक कोरोना वायरस से संक्रमित ना हुआ हो. हर वालंटियर को एक डोज के बदले 750 रुपये की राशि दी जा रही है और इस तरह दो डोज के कुल 1500 रुपये की राशि एक वालंटियर को दी जाएगी.'
Covaxine का ट्रायल पीपुल्स मेडिकल कालेज के डीन, सुप्रीटेंडेंट और सभी सीनियर डाक्टरों की निगरानी में हो रहा है. इसके अलावा यहां भारत बायोटेक की टीम भी आई हुई है. वालंटियर्स के मन को वैक्सीन लगाने से पहले अच्छी तरह से टटोला जाता है और परखा जाता है कि क्या वैक्सीन लगाने के लिए वह पूरी तरह से सहमत हैं या नहीं?
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वैक्सीन लगाने से पहले बकायदा वालंटियर्स की काउंसलिंग होती है और इस काउंसलिंग की वीडियोग्राफी भी करवाई जाती है. वैक्सीन ट्रायल लेने वाले वालंटियर्स वैक्सिनेशन के किसी भी चरण पर अगर संतुष्ट नहीं होता है तो वो ट्रायल छोड़कर किसी भी वक्त जा सकता है.
वैक्सीन लगवाने वाले दो वालंटियर्स से आजतक ने बात की और उनका अनुभव जाना तो उन्होंने बताया कि उन्हें कुछ अलग सा महसूस नहीं हुआ. ये टीका भी सामान्य टीके जैसे ही लगा. एक घंटे तक डॉक्टरों ने लगातार नजर रखी कि कोई असामान्य स्थिति ना बने, लेकिन बिल्कुल भी असामान्य नहीं लगा.