
कोरोना वायरस महामारी के बीच सभी को इसकी वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है. ऐसे में स्वदेशी कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सीन' (COVAXIN) के ट्रायल में बड़े स्तर पर कामयाबी मिली है. ट्रायल के दौरान इस वैक्सीन ने हर आयु वर्ग के लोगों पर सुरक्षित और इम्यूनोजेनेसिटी परिणाम दिए, साथ ही इसका कोई गंभीर प्रतिकूल असर भी नहीं दिखाई दिया. कोवैक्सीन ने सेल मेडीएटेड इम्यून रिस्पॉन्स प्रोड्यूस किया. फेज-1 ट्रायल से ज्यादा फेज-2 ट्रायल में लोगों में अच्छे परिणाम (एंटीबॉडी) देखने को मिले, ऐसा नए डाटा के आधार पर कहा जा रहा है.
आपको बता दें कि स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन (COVAXIN) को हैदराबाद स्थित भारत बॉयोटक ने ICMR और पुणे स्थित एनआईवी के साथ मिलकर तैयार किया है. कंपनी की मानें तो कोवैक्सीन पूरी तरह सेफ है. यह वैक्सीन भारत बॉयोटक के बीएसएल-3 बॉयोकंटेनमेंट फैसिलिटी में विकसित की जा रही है. कुछ दिनों पहले DCGI से कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मांगी गई थी.
फिलहाल, कोवैक्सीन ट्रायल के नए डाटा के मुताबिक, एक रूटीन शेड्यूल (चार सप्ताह के बाद होने वाला वैक्सीनेशन) का मूल्यांकन फेज-2 के ट्रायल में 3 μg और 6 μg के लिए Algel-IMDG के साथ किया गया था. फेज-1 में, वैक्सीन (BBV152) के ट्रायल के तीन महीने बाद, फेज-2 में सभी कैंडीडेट्स में हाई एंटीबॉडी तैयार हुई. इस ट्रायल में 380 स्वस्थ बच्चे और वयस्क शामिल थे, जिनको वैक्सीन की 3 µg और 6 µg डोज दी गई थी.
इन परिणामों के आधार पर कहा गया कि ये वैक्सीन एंटीबॉडीज पैदा कर सकती है, जो 6-12 महीनों तक आपके बॉडी में बना रह सकता है. फिलहाल, भारत बायोटेक ने EUA के लिए और अधिक डाटा SEC पैनल को भेज दिया है.
गौरतलब है कि फेज-3 ट्रायल के लिए अब कोवैक्सीन अग्रसर है. जिसके बाद फाइनल रिजल्ट का इंतजार होगा कि कोरोना की काट के रूप में इस वैक्सीन का उपयोग होगा या नहीं. मालूम हो कि कोवैक्सीन के अलावा जायडस कैडिला कंपनी की ZyCov-D वैक्सीन का भी फेज-2 ट्रायल हो चुका है. हालांकि इसके परिणाम आना अभी बाकी हैं.
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