
पूरे देश में शुक्रवार को कोविड-19 टीकाकरण का दूसरा रिहर्सल यानी ड्राई रन किया जा रहा है. इस बीच इंडिया टुडे ने देश के नामचीन और बड़े डॉक्टरों से ये जानने की कोशिश की कि क्या वे वैक्सीन लगवाएंगे. अगर हां तो कौन सी वैक्सीन लगवाना पसंद करेंगे.
जिन डॉक्टरों से हमने बात की वे सभी वैक्सनी लगवाने को तैयार हैं. हालांकि, इनमें से कुछ डॉक्टर दोनों वैक्सीन में इस आधार पर अंतर करते हैं कि कौन सी पूरी तरह परीक्षण से गुजरी है और कौन नहीं. कुछ डॉक्टर महामारी के मद्देनजर वैक्सीन की उपलब्धता और तेजी से पहुंच को महत्व दे रहे हैं.
दूसरा ड्राई रन 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 736 जिलों में आयोजित किया गया है.
भारत में कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए दो वैक्सीन तैयार हैं: पहली, कोवैक्सीन जिसे हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर विकसित किया है. दूसरी, कोविशील्ड जिसे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने विकसित किया है. भारत में सीरम इंस्ट्रीट्यूट ऑफ इंडिया इसकी पार्टनर है.
हर 15 दिन जमा कराने होंगे आंकड़े
सार्वजनिक रूप से दोनों वैक्सीन के ट्रायल डेटा की गैरमौजूदगी को लेकर विवाद छिड़ गया है. भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया दोनों को अपने क्लिनिकल ट्रायल से जुड़े आंकड़े अगले दो महीनों तक हर 15 दिन में जमा कराने को कहा गया है. ये आंकड़े वैक्सीन की सुरक्षा, प्रभाव और इम्युनोजेनेसिटी के बारे में होंगे.
हमने एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया से पूछा कि वे कौन सी वैक्सीन लेने वाले हैं. इसके जवाब में उन्होंने कहा, “मेरे अस्पताल में जो भी वैक्सीन पहले उपलब्ध होगी, मैं वही लेने जा रहा हूं. मुझे उम्मीद है कि जनवरी की शुरुआत में ही ये आ जाएगी.”
गुलेरिया ने कहा, “युवा लोग अपनी जान गवां रहे हैं. अगर हम मरते हुए लोगों से बात करें तो वे कुछ ऐसा चाहते हैं जो उनकी जान बचा सके, कुछ ऐसा जो उन्हें कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी दे सके.”
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) में एपिडेमोलॉजी एंड इंफेक्शस डिजीज के प्रमुख रह चुके डॉ. रमन आर गंगाखेडकर ने कहा, “दोनों वैक्सीन में से किसका चुनाव किया जाए, ये कहना मुश्किल है क्योंकि दोनों में से किसी का भी पर्याप्त डेटा हमारे पास उपलब्ध नहीं हैं.”
उन्होंने कहा, “अगर प्रभाव की बात करें तो 90 फीसदी, 94 फीसदी या 95 फीसदी, सभी की रेंज एक जैसी है. सुरक्षा के लिहाज से हमें भारत बायोटेक के डेटा का इंतजार करने की जरूरत है. जहां तक एस्ट्राजेनेका की बात है, हमें पता है कि अब तक यह सुरक्षित है.”
मशहूर वायरोलॉजिस्ट डॉ. शाहिद जमील का कहना है कि “दोनों वैक्सीन अच्छी हैं, दोनों ही सुरक्षित और प्रभावी साबित होंगी.” अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंस के डायरेक्टर डॉ. जमील ने कहा, “यकीनन मैं वैक्सीन लगवाऊंगा और वही लगवाऊंगा जो सबसे पहले मेरे लिए उपलब्ध होगी.”
भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देश भर के 37 टीकाकरण केंद्रों और चार वितरण डिपो के लिए लाखों खुराक वैक्सीन की आपूर्ति करेंगे. एक बार जब टीके इन केंद्रों तक पहुंच जाएंगे, उसके बाद संबंधित राज्य सरकारें टीकाकरण केंद्रों तक वैक्सीन पहुंचाएंगी जहां आम लोगों को टीका लगाया जाएगा.
मैं कोविशील्ड लगवाऊंगाः नरेश त्रेहान
मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट और मेदांता हॉस्पिटल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. नरेश त्रेहान कोविशील्ड को तवज्जो दे रहे हैं. उन्होंने कहा, “मैं फ्रंटलाइन वर्कर हूं और बेशक मैं वैक्सीन लगवाऊंगा. फिलहाल मैं कोविशील्ड लगवाऊंगा क्योंकि कोवैक्सीन का अभी तक कम्प्लीट डेटा सामने नहीं आया है.”
कोलकाता के प्रसिद्ध हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. कुणाल सरकार ने भी अपनी पसंद जाहिर की. मेडिका सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के सीनियर वाइस चेयरमैन डॉ. सरकार ने कहा, “मैं कोवैक्सीन को तवज्जो दूंगा. हालांकि, इसकी डिटेल रिपोर्ट अभी मौजूद नहीं है लेकिन शोधकर्ताओं का ओपिनियन है कि इसका प्रभाव कोविशील्ड से बेहतर है.”
मनिपाल हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. सुदर्शन बलाल ने कहा, “फिलहाल मैं वही वैक्सीन लगवाऊंगा जो सरकार अपनी प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराएगी. ये भी कहूंगा कि हमें अपनी नियामक संस्थाओं जैसे ICMR, DCGI और स्वास्थ्य मंत्रालय पर भरोसा रखना चाहिए.”
गुजरात के जानेमाने डॉक्टर्स भी इन दोनों वैक्सीन के बारे में काफी आशावादी नजरिया रखते हैं. अहमदाबाद के एपेक्स हर्ट इंस्टीट्यूट में हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. तेजस पटेल ने कहा, “मैं वैक्सीन जरूर लगवाऊंगा.”कौन सी वैक्सीन लगवाएंगे, ये पूछने पर वे कहते हैं, “दोनों में से जो भी पहले मिल जाए.”
देश की सबसे बड़ी सरोगेसी सुविधाओं वाले आकांक्षा हॉस्पिटल की डॉक्टर नयना पटेल का भी कहना है कि “हां, मैं वैक्सीन जरूर लगवाऊंगी. मुझे वैक्सीन को लेकर कोई संदेह नहीं है. दोनों ही अच्छी हैं.”
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चेन्नई के इंफेक्शस डिजीज, ग्लिनिएगल्स ग्लोबल हेल्थ सिटी के डॉ. सुब्रमण्यम स्वामीनाथन का कहना है कि उनके पास वैक्सीन लेने के कई कारण हैं. “हम कोविड-19 से अभी उबरे नहीं हैं और मरीजों की मौत हो रही है. हम वायरस को पूरी तरह हराने में कामयाब नहीं रहे हैं. हमें ये भी नहीं पता कि वायरस से लड़ने के लिए हमारी इम्युनिटी कब खत्म हो जाएगी.”
डॉ. स्वामीनाथन का कहना है, “दोनों वैक्सीन अच्छा विकल्प हैं. वैक्सीन लेना एक समझदार, सुरक्षित और अच्छा आइडिया होगा. कोविशील्ड एक लाइव वायरस वैक्सीन है और आमतौर पर ये प्रेगनेंट महिलाओं और ट्रांसप्लांट पेशेंट के लिए ठीक नहीं है. जहां तक कोवैक्सीन का सवाल है तो इसके प्रभाव के बारे में डेटा उतना मजबूत नहीं है जितना ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का है.”
चेन्नई के प्रोमेद हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अरुण कल्याणसुंदरम ने कहा कि वे कोविशिल्ड वैक्सीन का चुनाव करेंगे. उन्होंने कहा, “मैं कोविशील्ड वैक्सीन लगवाऊंगा क्योंकि इसके तीसरे चरण का डेटा बता रहा है कि ये ज्यादा प्रभावशाली है. हालांकि, क्लिनिकल ट्रायल स्टेज में कोवैक्सीन को मंजूरी मिल गई है, लेकिन इसका डेटा उतना मजबूत नहीं है.”
गुरुवार को भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के 20,346 नए केस दर्ज किए गए. इस वायरस से अब तक 1.50 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. भारत में अब तक कोरोना केसों की कुल संख्या एक करोड़ से ज्यादा हो चुकी है. सरकार ने घोषणा की है कि देश में टीकाकरण अभियान 13-14 जनवरी तक शुरू होने की संभावना है.