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अलीगढ़ः ‘AMU स्ट्रेन’ का खौफ? 20 दिन में अब तक 16 फेकल्टी मेंबर्स की गई जान, कैंपस में पसरा सन्नाटा

यूनिवर्सिटी के मेडिकल डिपार्टमेंट ने भी अपने चेयरमैन के साथ एक प्रोफेसर को भी खोया है. कई रिटायर्ड प्रोफेसर भी अस्पताल में भर्ती हैं. अगर नॉन टीचिंग स्टाफ को भी मिला दिया जाए तो यूनिवर्सिटी से पिछले 20 दिन में ही कुल मौतों का आंकड़ा 40 बैठता है.

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (फाइल फोटो) अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (फाइल फोटो)
मौसमी सिंह
  • अलीगढ़,
  • 13 मई 2021,
  • अपडेटेड 6:18 PM IST
  • यूनिवर्सिटी प्रशासन की 'AMU स्ट्रेन' पर स्टडी की मांग
  • अन्य स्ट्रेन के मुकाबले ज्यादा घातक होने का अनुमान
  • यूनिवर्सिटी में स्टाफ और छात्रों के बीच भारी मायूसी

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ है. खाली सड़कें, वीरान कैंपस. सिर्फ कब्रिस्तान ही ऐसी जगह है जहां लोग किसी न किसी अपने को आखिरी विदाई देते दिखते हैं. यूनिवर्सिटी के कब्रिस्तान में जगह कम पड़ गई है, लेकिन शवों का आना नहीं रुक रहा. जगह की कमी की वजह से पुरानी कब्रों को ही खोदा जा रहा है.

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यहीं के रहने वाले नदीम कहते हैं- “मैंने ऐसा दशकों से नहीं देखा. मैं यहां हर दिन फातिहा (प्रार्थना) पढ़ने आता था. पहले यहां और लोग भी अपने बिछड़ों को याद करने के लिए आते थे. अब मैं हफ्ते में एक बार आता हूं. लोग खौफ में हैं. हर दिन यहां 8 से 10 मय्यत आती हैं और उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाता है. साथ आने वाले लोग मिल कर नमाज अदा करते हैं.” 

AMU के कब्रिस्तान की एक तस्वीर

रहस्यमयी स्ट्रेन और बढ़ती मृत्यु दर 

यूनिवर्सिटी कैंपस में जितनी मौतें पिछले कुछ हफ्ते में हुईं हैं, इतनी पिछले एक साल में भी नहीं हुईं. कई सीनियर फैकल्टी सदस्य कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद दुनिया को अलविदा कह गए. टीचिंग समुदाय में मौतों की इतनी बड़ी संख्या से सभी सकते में हैं. ऐसे में सवाल किया जा रहा है कि क्या वायरस का घातक ‘AMU स्ट्रेन’ यूनिवर्सिटी पर इतना कहर बरपा रहा है?

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प्रॉक्टर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम अली कहते हैं, बीते 20 दिन में हमने अपनी फैकल्टी के 16 सदस्यों को खोया है. मेडिसिन डिपार्टमेंट के चेयरमैन से लेकर लॉ फैकल्टी के डीन समेत कई प्रख्यात टीचर्स हमें छोड़कर चले गए. इस नुकसान के साथ ही कैंपस में डर और बेचैनी का माहौल है. क्या हम अधिक तेजी से फैलने वाले स्ट्रेन का सामना कर रहे हैं. वाइस चांसलर ने इस संबंध में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को चिट्ठी लिखकर जीनोम सीक्वेंसिंग समेत सभी पहलुओं पर स्टडी करने के लिए कहा है. जहां तक अलीगढ़ जिले का सवाल है तो इसमें भी मृत्यु दर में उछाल आया है. यहां कोरोना की दूसरी लहर में अब तक 98 मौत हो चुकी हैं. वहीं 19,179 लोग इसी दौरान कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए.

वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार चिंताजनक?  

यूनिवर्सिटी के लिए समर्पित एक वैक्सीनेशन सेंटर है. वैक्सीनेशन ट्रॉयल्स के दौरान इसकी भूमिका बहुत सराहनीय रही. वाइस चांसलर फैकल्टी मेंबर्स से वैक्सीनेशन कराने के लिए लगातार कहते रहे हैं. लेकिन प्रोफेसर वसीम पुष्टि करते हैं कि फैकल्टी सदस्यों में बहुत कम ही होंगे जिन्होंने वैक्सीन का शॉट लिया हो. असलियत ये है कि वैक्सीनेशन कराने वाले कुछ प्रोफेसरों का हल्का बुखार हुआ लेकिन वो जल्दी ही रिकवर हो गए. 

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प्रोफेसर वसीम कहते हैं, “हमारा वैक्सीनेशन ड्राइव दिसंबर से ही शुरू है. मुझे नहीं लगता कि जिन सदस्यों को हमने खोया उनमें से किसी ने वैक्सीन ली हो. ऐसे प्रोफेसर भी हैं जिन्होंने वैक्सीन की पहली डोज ली और वो कोविड से बहुत जल्दी ठीक हो गए.”

यूनिवर्सिटी प्रबंधन के सामने मौजूदा हालात बड़ी चुनौती बने हुए हैं. कई फैकल्टी सदस्य संक्रमित हैं और होम आइसोलेशन में हैं. कई के घरों में किसी सदस्य की मौत हुई है. इसके बावजूद वे ऑनलाइन क्लासेज जारी रखे हुए हैं. फैकल्टी के कई सदस्यों को खोने पर यूनिवर्सिटी का छात्र समुदाय भी शोक में है.

AMU का कब्रिस्तान

AMU के छात्र फरहान जुबेरी कहते हैं, ‘हम अपने टीचर्स खो रहे हैं, आप कैंपस को देखें तो भूतिया नजर आता है. कोई सोच भी नहीं सकता कि ईद आने वाली है. हम अपने गाइड, गुरुओं को खोकर सदमे में हैं. मेरे पिता को भी जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (JNMC) अस्पताल में भर्ती कराया गया है. यहां ऑक्सीजन और रेमडेसिविर जैसी दवाओं की कमी है. हमारे वाइस चांसलर ने ये मुद्दा उठाया है. अगर यहां सब सुविधाएं होतीं तो शायद हम कई कीमती जानों को बचा सकते थे.  

घातक AMU स्ट्रेन 

JNMC अस्पताल शहर के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है. यहां कम से कम चार जिलों के लोग इलाज कराने आते हैं. यहां के डॉक्टरों पर भी मरीजों के इलाज के लिए इस वक्त बहुत दबाव है. उन्होंने ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी. बाहर के मरीजों के साथ साथ फैकल्टी के अनेक सदस्य भी यहां भर्ती हैं.

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JNMC ट्रॉमा सेंटर में भर्ती डॉक्टर साइमा इस वक्त बीमारी से उबर रही हैं. उन्हें गले में खराश और बुखार के साथ बीमारी की शुरुआत हुई. उन्हें लगा कि वे अब पहले से बेहतर हैं तो अचानक सांस लेने में परेशानी होने लगी. फिर तेज बुखार हुआ और उनके लिए कुछ खाना भी मुश्किल हो गया. ये सब तीन दिन के अंदर हुआ.

डॉ. साइमा कहती हैं ‘मेरे माता-पिता भी बीमार हैं. मैं उनका ध्यान रख रही थी कि खुद भी बीमार हो गई. मेरी तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी. जब मेरा CT हुआ तो स्कोर 25 में से 13 आया, मेरी छाती में तेज दर्द होने लगा और मेरा स्कोर 25 में से 16 पर पहुंच गया. सेचुरेशन लेवल गिर कर 59 पर आ गया. ये सब तब हुआ जबकि मैं वैक्सीन के दोनों शॉट्स ले चुकी हूं. इन्होंने मेरे लिए काम नहीं किया.”  

AMU के रेजीडेंट डॉक्टर काशिफ कहते हैं, “कोविड स्ट्रेन बहुत ही संक्रामक मॉर्बिडिटी, ऊंची मृत्यु दर वाला होने के साथ RT-PCR टेस्ट के लिए बहुत कम संवेदनशीलता दिखा रहा है. मरीज की तबीयत तेजी से बिगड़ती है. कोविड से उबरने के बाद भी जटिलताएं एक दो महीने तक बनी रहती हैं.” 

पिछले कुछ हफ्ते में ऐसे कई मरीज देखने को मिले हैं जो स्थिर हालत में कम सेचुरेशन लेवल के साथ आए लेकिन छाती का एक्सरे लिया गया तो उनके गंभीर संक्रमण का पता चला.  

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AMU स्ट्रेन से जुड़ी अहम बातें 

अधिक संक्रामक वैरिएंट 

RT-PCR को लेकर कम संवेदनशीलता 

पल्स टेस्ट को छलावा देने वाला 

सांस लेने में गंभीर दिक्कत 

छाती में गंभीर संक्रमण 

दो-तीन दिन में स्थिति बद से बदतर 

कोविड से ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक जटिलताएं 

20 दिन में 40 मौतें

यूनिवर्सिटी के मेडिकल डिपार्टमेंट ने भी अपने चेयरमैन के साथ एक प्रोफेसर को भी खोया है. कई रिटायर्ड प्रोफेसर भी अस्पताल में भर्ती हैं. अगर नॉन टीचिंग स्टाफ को भी मिला दिया जाए तो यूनिवर्सिटी से पिछले 20 दिन में ही कुल मौतों का आंकड़ा 40 बैठता है.  

AMU रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉ मोहम्मद आदिल कहते हैं, ‘हम अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद अपने खुद के प्रोफेसरों को नहीं बचा पाए. ये वायरस बहुत छलावा देने वाला है. दो-तीन दिन में ही मरीज की हालत बद से बदतर हो जाती है. सेचुरेशन लेवल 90 से ऊपर होने पर भी CT स्कैन्स फेफड़ों में भारी जकड़न दिखाता है. आप लाइफ सपोर्ट मशीनों का इस्तेमाल करते हैं तो भी मदद नहीं मिलती. इस टाइम ये वायरस रीएक्ट करने का बहुत कम मौका दे रहा है.”

बहरहाल, AMU प्रशासन उम्मीद कर रहा है कि इस संक्रामक स्ट्रेन की समुचित स्टडी से कोई कारगर इलाज सामने आए, लेकिन साथ ही उसे ये खौफ भी है कि कहीं तब तक बहुत देर न हो जाए. 

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