पहले दिन 3 लाख लोगों को लगेगा कोरोना का टीका, जानें देशभर में कैसी है वैक्सीनेशन की तैयारी

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कोरोना वैक्सीन के लिए चलाए जाने वाले राष्ट्रव्यापी अभियान के पहले दिन करीब 3 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी,16 जनवरी के दिन वैक्सीन लगाए जाने का काम देशभर में 2,934 स्थानों पर शुरू किया जाएगा.

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16 जनवरी से शुरू हो रहा है टीकाकरण का प्रोग्राम 16 जनवरी से शुरू हो रहा है टीकाकरण का प्रोग्राम

aajtak.in

  • दिल्ली ,
  • 14 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:07 AM IST
  • पहले दिन करीब 3 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगेगा
  • प्रत्येक टीकाकरण सत्र में औसतन 100 लोगों को ही टीका लगाया जाएगा
  • टीकों की दो खुराकों के बीच 28 दिनों का अंतर रहेगा

देशभर में कोरोना वैक्सीन का इंतजार किया जा रहा है, सरकार भी अपने स्तर पर पूरी तैयारियां कर चुकी है, आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कोरोना वैक्सीन के लिए चलाए जाने वाले राष्ट्रव्यापी अभियान के पहले दिन करीब 3 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी,16 जनवरी के दिन वैक्सीन लगाए जाने का काम देशभर में 2,934 स्थानों पर शुरू किया जाएगा.

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सूत्रों के मुताबिक एक केंद्र पर एक टीकाकरण सत्र में औसतन 100 लोगों को ही टीका लगाया जाएगा, बुधवार के दिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया, "राज्यों को सलाह दी गई है कि वे प्रत्येक टीकाकरण सत्र में औसतन 100 लोगों को ही टीका प्रदान करें, प्रत्येक साइट पर एक दिन में अनुचित संख्या में वैक्सीन न लगाने और हड़बड़ी न करने को लेकर राज्यों को निर्देश दिए गए हैं. ''

केंद्र द्वारा राज्यों को अधिक से अधिक वैक्सीनेशन साइट्स बनाने की सलाह दी गई है ताकि टीकाकरण की एक सरल और स्थाई प्रक्रिया चलती रहे. मंगलवार के दिन सरकार ने संकेत दिए कि स्वास्थ्यकर्मियों के पास विकल्प होगा कि वे किस कंपनी की वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, फिलहाल उनके पास दो वैक्सीनों के विकल्प हैं. एक कोविशील्ड वैक्सीन का जिसका निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा किया जा रहा है, दूसरा विकल्प है कोवैक्सीन का जिसका निर्माण भारत बायोटेक कंपनी द्वारा किया जा रहा है. दोनों ही कंपनियों के इस्तेमाल को बीते दिनों आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति दे दी गई है.

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स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार टीकाकरण की प्रक्रिया एकदम स्वैच्छिक है अगर कोई स्वास्थ्यकर्मी टीका लगवाने से मना करता है तो उसपर टीका लगवाने की कोई बाध्यता नहीं है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि 'कई सारे देशों में एक से अधिक वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है लेकिन वर्तमान में ऐसा कोई देश नहीं है जो वैक्सीन की डोज चूज करने का विकल्प देता हो.'

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सरकार के अनुसार शुरुआत में करीब 1 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना वैक्सीन के टीके लगाए जाएंगे, उसके बाद 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, इसके बाद 50 साल से कम उम्र के उन लोगों को जो बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील हैं या महामारी से संक्रमित हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इन तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और हेल्थवर्कर्स के टीके की कीमत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी.

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अभी तक सरकार द्वारा कोरोना वैक्सीन की 1.65 करोड़ डोज खरीद ली गई हैं. जिनमें 1.1 करोड़ डोज कोविशील्ड की हैं और 55 लाख डोज कोवैक्सीन की हैं, इन्हें धीरे-धीरे केन्द्रशासित प्रदेशों और राज्यों में उनके यहां स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या के अनुपात में पहुंचाया जा रहा है.

कोविशील्ड वैक्सीन की 1.1 करोड़ डोज को सीरम इंस्टीट्यूट के पुणे स्थित लैब से देशभर के 60 प्रमुख स्थानों पर ले जाया गया है जहां से देश के छोटे-छोटे स्थानों पर ले जाया जाएगा. वहीं भारत बायोटेक द्वारा स्वदेशी तौर पर विकसित की गई कोवैक्सीन की 55 लाख खुराकों में से 2.4 लाख खुराकों की पहली क़िस्त 12 राज्यों में भेज दी गई है.

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एक आधिकारिक सूत्र ने कहा है कि कोवैक्सीन को 12 साइटों में भेजा गया है, इन 12 जगहों के नाम इस प्रकार हैं- गणवराम, गुवाहाटी, पटना, दिल्ली, कुरुक्षेत्र, बेंगलुरु, पुणे, भुवनेश्वर, जयपुर, चेन्नई, लखनऊ और हैदराबाद. आपको बता दें कि कोवैक्सीन को भारत बायोटेक कंपनी द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से विकसित की गई है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि COVID-19 टीकों की दो खुराकों के बीच 28 दिनों का अंतर होगा और इसका प्रभाव 14 दिनों के बाद ही देखा जा सकता है.

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