
इंग्लैंड के उत्तर पूर्व इलाके में रहने वाले 87 साल के भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक हरि शुक्ला दुनिया के उन चुनिंदा लोगों में शामिल होने जा रहे हैं जिन्हें कोरोना की पहली विकसित वैक्सीन दी जा रही है. हरि शुक्ला को आज न्यू कैसल अस्पताल में अमेरिकी कंपनी फाइजर द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन दी जाएगी.
हरि शुक्ला ने कहा कि वे महसूस करते हैं कि ये उनका कर्तव्य है कि वे कोरोना की पहली वैक्सीन लें. कोरोना की ये वैक्सीन दो डोज की है, जिसकी पहली डोज आज हरि शुक्ला समेत कई लोगों को दी जा रही है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने आज के दिन को वैक्सीन डे घोषित किया है.
आज से ब्रिटेन में टीकाकरण अभियान
बता दें कि ब्रिटेन में आज से कोरोना का टीकाकरण अभियान शुरू हो रहा है. ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) टीकाकरण में 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों, स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना वैक्सीन दे रही है.
ब्रिटेन ने पिछले हफ्ते ही फाइजर/बायोएनटेक द्वारा तैयार की गई वैक्सीन को आपातकाल प्रयोग के लिए अनुमति दी थी. ऐसा करने वाला वह पहला देश बन गया था.
जिम्मेदारी निभाकर खुश हूं- हरि शुक्ला
भारतीय मूल के वृद्ध हरि शुक्ला ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं, मुझे उम्मीद है कि हम इस महामारी को खत्म करने के करीब पहुंच रहे हैं, मैं अपना फर्ज निभाकर खुश हूं, मुझे लगता है कि ये मेरा कर्तव्य है कि मैं इस काम में जो कुछ कर सकूं वो करूं."
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उन्होंने कहा कि नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के संपर्क में रहने से उन्हें पता है कि वे कितनी कठिन मेहनत करते हैं, मेरे मन में उनके लिए बहुत इज्जत है, वो हमें सुरक्षित रखते हैं, मैं उनका आभारी हूं.
बता दें कि हरि शुक्ला को NHS ने टीकाकरण के लिए चुना था. ब्रिटेन में कोरोना वैक्सीन का पहला डोज 80 साल के अधिक उम्र के लोगों को, स्वास्थ्यकर्मियों को और एनएचएस कर्मियों को दिया जा रहा है. ये कैटेगरी कोरोना के संभावित खतरे में सबसे ज्यादा आती है.
कोराना का वायरस सिखाएगा कोरोना से लड़ना
बता दें कि फाइजर और बायो एनटेक को ब्रिटेन में वैक्सीन का इस्तेमाल करने की अनुमति मिली है. फाइजर और बायो एनटेक का कोरोना वैक्सीन mRNA फॉर्मूले पर काम करता है. इस फॉर्मूले में कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड की मदद से इंसान के शरीर को कोरोना से लड़ने और प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने की पद्धति सिखाई जाती है. इस वैक्सीन को 21 दिनों के अंतराल में दो बार दिया जाता है. फाइजर के वैक्सीन को -70 डिग्री के तापमान पर स्टोर किया जाता है.