
असम राज्य के चाचर जिले में कोरोना वैक्सीन ’कोविशील्ड’ की 1,000 खुराकों के नष्ट होने की खबर है. यहां के सिलचर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएमसीएच) में शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान पर वैक्सीन स्टोर करने के चलते कोविशील्ड की 100 शीशियां जम गईं.
कोविशील्ड को दो से आठ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोर किया जाना है. खबरों के मुताबिक एसएमसीएच में वैक्सीन की करीब 100 शीशियों को शून्य डिग्री से नीचे स्टोर किया गया था, जिसके चलते इसकी 1,000 खुराकें नष्ट हो गयीं.
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जम गई थी वैक्सीन
चाचर जिले के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि वैक्सीन की ये शीशियां आंशिक तौर पर जमी अवस्था में मिली. इन्हें ‘आइस लाइन्ड रेफ्रिजरेटर’ (आईएलआर) में रखा गया था. आईएलआर में तकनीकी गड़बड़ी आने के चलते शीशियों के जमने की घटना हुई.
क्या करता ‘आइस लाइन्ड रेफ्रिजरेटर’
आईएलआर का उपयोग आमतौर पर टीकों और प्रयोगशाला नमूनों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है. इसमें तापमान दो से आठ डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहता है. जब भी आईएलआर का तापमान नीचे जाता है तो यह मशीन रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर संदेश भेजती है. स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि इस बार किसी तकनीकी गड़बड़ी के चलते हमें मोबाइल पर संदेश नहीं मिला. आईएलआर का तापमान गिर गया और टीके सारी रात उसमें रखे रहे.
इस बीच असम के स्वास्थ्य विभाग ने सिलचर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को कोविशील्ड की 1,000 खुराकें भेजने का निर्णय किया है. विभाग ने घटना पर अस्पताल प्रशासन से रिपोर्ट भी तलब की है.
कितने रुपये की कोविशील्ड की एक खुराक
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनका ने मिलकर कोविशील्ड का विकास किया है. देश में इसका निर्माण दुनिया की सबसे बड़ी टीका कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है. सरकार को इसकी एक खुराक की कीमत लगभग 200 रुपये पड़ रही है. देश में कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान 16 जनवरी से शुरू हो चुका है. इसमें कोविशील्ड के अलावा भारत बायोटेक एवं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा संयुक्त तौर पर विकसित ‘कोवैक्सीन’ की खुराक भी वैक्सीन के रूप में स्वास्थ्यकर्मियों को दी जा रही है.