
बिहार के मुंंगेर की अग्रहन पंचायत के दो गांव में कोरोना की दो विपरीत तस्वीरें देखने को मिलीं. एक ओर जहां कोरोना ने काल बनकर इसी पंचायत की कई जिंदगियां लील लीं तो वहीं इसी पंचायत के एक गांव में लोगों की सतर्कता की वजह से कोरोना अबतक दस्तक भी नहीं दे सका है. कोरोना संक्रमण से पूरा देश जूझ रहा है. ऐसे में गांवों की स्थिति जानने के लिए आज तक की टीम हवेली खड़कपुर प्रखंड के अग्रहण पंचायत पहुंची.
बागेश्वरी पहुंची आज तक की टीम
यहां टीम ने इस गांव में पड़ने वाले सात गांव अग्रहण, बागेश्वरी, शामपुर, कुरावा, मझगांव, लक्ष्मण टोला तथा मनीगांव का जायजा लिया. सबसे पहले आज तक की टीम इस पंचायत के सबसे प्रभावित गांव बागेश्वरी पहुंची, जहां कोरोना संक्रमण के बारे में पंचायत के मुखिया पति मगनदेव मंडल से जानकारी ली. मगन देव मंडल ने बताया कि अग्रहण पंचायत में अब तक कुल 12 लोगों की मौत की सूचना हमारे पास है. कई लोग अभी भी अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं और दर्जनों लोग होम क्वारनटीन हैं.
डरे हुए हैं लोग
मुखिया के पति ने बताया कि गांव से लोग अस्पताल जाकर जांच कराना या वैक्सीन लगवाना भी नहीं चाहते हैं, क्योंकि ग्रामीणों को लगता है कि अस्पताल जाने के बाद कहीं हम लोगों में भी संक्रमण न फैल जाए. वहीं बागेश्वरी के ग्रामीण संजय कुमार ने बताया कि हमारे गांव में पांच छह लोगों का कोरोना से निधन हो चुका है, लेकिन फिर भी लोग उतना सतर्क नहीं हैं. गांव में लोग डरे हुए और भयभीत हैं.
कराबाद में अलग हालात
इसके बाद आज तक की टीम इसी पंचायत के कुराबाद गांव पहुंची, जहां लोगों ने यह दावा किया कि पिछले वर्ष से लेकर अब तक हमारे गांव में कोरोना का एक भी केस सामने नहीं आया है. हम लोग काफी सतर्कता से यहां रह रहे हैं. ग्रामीण चैतन्य बिंद, नीतीश कुमार और मिथुन कुमार ने बताया कि हम लोग बिना सैनिटाइजर के किसी भी चीज का उपयोग नहीं करते हैं. उन्होंने बताया कि हमारे गांव से बाहर जो लोग रह रहे हैं और इस संक्रमण काल में गांव वापस आ रहे हैं, ऐसे लोगों को हम लोग गांव से दूर ही रखते हैं, जिससे गांव की लगभग 600 की आबादी संक्रमण से दूर रहे.
गांव के बाहर कर रहे व्यवस्था
ग्रामीणों ने बताया कि जो लोग बाहर से आ भी रहे हैं, तो उन्हें गांव में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. गांव से बाहर ही उनके रहने और खाने की व्यवस्था की गई है, जिससे गांव कोरोना की महामारी से दूर रहे. यही वजह है कि अब तक हमारा गांव सुरक्षित बचा हुआ है.