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मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार और राज्य सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए बीजेपी विधायक ने सीएम शिवराज सिंह को चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी के बाद बढ़ी सियासी गर्मी के बीच फिर से विधायक ने एक और चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने साफ कहा है कि उनकी कोई भी बात या सलाह को आखिरकार बगावत के रूप में क्यों लिया जाता है?
इस बार बदला हुआ दिखा अंदाज
मध्य प्रदेश के मैहर से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने 29 अप्रैल को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखी थी. उस चिट्ठी में उनके तेवर कुछ अलग थे, तो वहीं इस बार लिखी गई दूसरी चिट्ठी में विधायक का अंदाज थोड़ा बदला हुआ है. इस चिट्ठी की शुरुआत में ही उन्होंने लिखा है कि उनकी कोई भी बात या सलाह को आखिरकार बगावत के रूप में क्यों लिया जाता है. इसके बाद उन्होंने एक दोहा लिखकर अपनी बात को आगे बढ़ाया है.
दोहे से समझाई पूरी बात
बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने लिखा है 'सचिव, बैद, गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस। राजधर्म तन तीनि कर होइ बेगहिं नास।" इस दोहे का अर्थ यूं है कि 'मंत्री, वैद्य, गुरु डर या फायदे के लिए मीठा बोलते हैं तो राज्य, शरीर और धर्म का नाश हो जाता है'. आपको बता दें कि रामचरित मानस में इस दोहे का वर्णन है, जिसमें रावण और विभीषण का वार्तालाप है. इस दोहे से नारायण त्रिपाठी ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी की सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है.
ये लिखा था पहली चिट्ठी में
बता दें कि नारायण त्रिपाठी ने 29 अप्रैल को एक पत्र मुख्यमंत्री के नाम लिखा था, जिसमें उन्होंने पार्टी की सरकार पर बड़ा हमला बोला था. नारायण त्रिपाठी ने कोरोना काल में मध्य प्रदेश सरकार के काम करने के तरीके पर सवाल उठाये थे और मुख्यमंत्री से कहा था कि वर्चुअल मीटिंग के तमाशे से कुछ नहीं होने वाला. या तो संक्रमित मरीजों के लिए आवश्यक दवाएं, ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड, वेंटिलेटर की व्यवस्था के साथ डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को पीपीई किट जैसी समुचित सुरक्षा उपलब्ध कराएं या फिर प्रदेश के अति गरीब, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के हर घर में खाने-पीने की व्यवस्था करें.