
गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी के नाम पर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है. इस बार ये विवाद ऑक्सीजन प्लांट के नाम पर मांगे जा रहे चंदे को लेकर है. दरअसल विधायक मेवानी जिस एनजीओ वी द पीपल के नाम पर डोनेशन कैंपेन चलाकर ऑक्सीजन प्लांट के लिए पैसा एकत्र कर रहे थे, उस एनजीओ का खाता सीज कर दिया गया है. चैरिटी कमिश्नर ने इस एनजीओ को फ्रॉड बताते हुए ये कार्रवाई की है.
इसलिए हुए कार्रवाई
गुजरात के वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी का इस मामले में आरोप है कि इस एनजीओ से उनका नाम जुड़ा हुआ था, बस इसी कारण ये एनजीओ पर कार्रवाई की गई है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में जब एक दूसरे की मदद के लिए आगे आना चाहिए, वहीं यहां पर गंदी राजनीति हो रही है.
बता दें कि जिग्नेश मेवानी ने कुछ दिनों पहले अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो के जरिए लोगों को खुद के मतक्षेत्र में ऑक्सीजन प्लानंट लगाने के लिए पैसे इकट्ठा करने में मदद करने की गुहार लगाई थी. जिस में जिग्नेश मेवानी ने एक एनजीओ वी द पीपल के नाम और अकाउंट डिटेल्स दी थीं. हालांकि इस वीडियो के बाद जिग्नेश मेवानी के जरिए कोविड की महामारी में अब तक 36 लाख से भी ज्यादा की रकम इकट्ठी की गई थी.
ये भी पढ़ें-गुजरात: जिग्नेश मेवानी ने विधानसभा के अंदर जलाई स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बिल की कॉपी
चैरिटी कमिश्नर ने खाता किया बंद
वहीं इस एनजीओ के खाते को चैरिटी कमिश्नर ने ये कहते हुए बंद कर दिया कि ये फ्रॉड है. हालांकि इस मामले में विधायक जिग्नेश मेवानी का कहना है कि खाता फ्रॉड हो या फिर एनजीओ फ्रॉड है. यदि ये फ्रॉड है तो फिर इस एनजीओ को चलाने की अनुमति कैसे दी गई.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस पैसे से वे अपने क्षेत्र में ऑक्सीजन प्लांट लगवाना चाहते थे, जिससे कोरोना काल में मरीजों की जान बचाई जा सके, लेकिन सरकार नहीं चाहती है कि ऑक्सीजन प्लांट लगे, जिसकी वजह से जान बूझकर ये कार्रवाई की गई है.