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कोरोना से भारत में चीन जैसा क्यों नहीं होगा असर? देश के 5 बड़े एक्सपर्ट्स ने बताए कारण

चीन में कोरोना से बिगड़े हालात पर भारत समेत दुनिया भर के देश बेहद चिंतित हैं. भारत में भी कोरोना से निपटने की तैयारियां तेज हो गई हैं. लोगों में डर है कि कहीं चीन जैसे हालात भारत में भी पैदा न हो जाएं. लेकिन भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में चीन जैसे हालात होने की संभावना काफी कम है. विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. बस सतर्क रहने की जरूरत है.

दुनियाभर में बढ़ रहे कोरोना के केस (फाइल फोटो) दुनियाभर में बढ़ रहे कोरोना के केस (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:03 AM IST

चीन के साथ साथ जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका समेत कई देशों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. चीन में कोरोना से हालात बिगड़ते जा रहे हैं. अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते न बेड बचे हैं और न ही दवाइयों की भी भारी कमी है. इतना ही नहीं चीन में अस्पतालों में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की कमी हो रही है. दुनियाभर में कोरोना के केसों को देखते हुए भारत में भी महामारी की एक और लहर की आशंका जताई जा रही है. भारत सरकार ने भी कोरोना से निपटने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं. मास्क से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग तक लौटने की सलाह दी जा रही है. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत में भी चीन की तरह कोरोना का असर दिखेगा, या यहां हालत कुछ और रहेंगे. आइए इसे लेकर 5 एक्सपर्ट्स की क्या राय है, जानते हैं...

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नई लहर की उम्मीद नहीं- डॉ गुलेरिया 

AIIMS के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना को लेकर पेनिक होने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देश में कोरोना के केस बढ़ सकते हैं लेकिन यह माइल्ड केस होंगे लेकिन मुझे नहीं लगता है कि लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी. BF.7 वेरिएंट से न तो हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ेगा और न ही मौतों की संख्या क्योंकि अब हमारी इम्यूनिटी बहुत ज्यादा हो गई है. ऑमिक्रॉन के इस वेरिएंट से लोगों को निमोनिया नहीं हो रहा है, जैसे कि हमने डेल्टा वेरिएंट में देखा गया था.

उन्होंने कहा कि भारत में जुलाई से यह वैरिएंट है लेकिन हमने देखा कि इसकी वजह से न तो हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ा और न ही मौतें हुईं. यह वेरिएंट लंबे समय तक भी रह सकता है लेकिन नई लहर की उम्मीद नहीं है. अगर मास्क पहनते हैं तो यह अच्छा है. वैसे यह अन्य वायरल इंफेक्शन, प्रदूषण से भी बचाता है. पिछली बार देखा गया कि मास्क अनिवार्य करने के बाद भी लोग मास्क पहने नहीं दिखाई दिए थे. तो ऐसे में मुझे लगता है कि लोगों को मास्क पहनने के लिए जागरूक करना चाहिए.

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डॉ गुलेरिया ने कहा, आंकड़े बताते हैं कि ऐसे वेरिएंट ज्यादातर लोगों को संक्रमित करते हैं. हमने देखा कि ओमिक्रॉन ने औसतन 5 लोगों को संक्रमित किया. वहीं नया वेरिएंट 10 से 18 लोगों को संक्रमित कर रहा है. यानी यह वेरिएंट ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है, लेकिन इससे लोग जल्दी रिकवर भी कर रहे हैं. मुझे लगता है कि कोरोना को लेकर भारत में वर्स्ट टाइम खत्म हो चुका है. हम अच्छी इम्यूनिटी डिवेलप कर चुकी है. वैक्सिनेशन और नेचुरल इम्यूनिटी के कारण हम इस समय अच्छी स्थिति में हैं.

डॉ गुलेरिया ने कहा, मुझे लगता है कि तीन वजहों से यह समस्या चीन स्पेसिफिक है. पहला- चीन में जीरो कोविड पॉलिसी लागू की गई, जो शुरुआत में ठीक थी लेकिन इससे चीन की ज्यादातर आबादी वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं बना पाई. दूसरा- चीन में बड़ी आबादी को वैक्सीन नहीं लग पाई. आंकड़े बताते हैं कि चीन में बुजुर्गों को भी वैक्सीन नहीं लग पाई. तीसरा- चीन ने लोकल स्तर पर कोरोना की वैक्सीन बनाई, जिसे इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर कोई मान्यता नहीं मिली. हमें यह भी पता कि उनकी वैक्सीन कोरोना पर कितनी असरकारी रही.

घबराएं नहीं, सतर्क रहें- डॉ त्रेहन 
 
मेदांता के डॉ त्रेहन ने कहा, जैसे ओमिक्रॉन का म्यूटेशन डेल्टा था, वैसे ही अब और नए वैरिएंट आ रहे हैं. ओमिक्रॉन में देखा गया था कि यह बहुत लोगों को हुआ, लेकिन माइल्ड था. इसमें इलाज की जरूरत नहीं पड़ी. लेकिन अब चीन में भयानक लहर फैली है. चीन कह रहा है कि ये BF.7 वैरिएंट के चलते हुआ है. लेकिन चीन में इससे पहले इतने लोगों को कोरोना नहीं हुआ था. ऐसे में उनमें नेचुरल इम्युनिटी नहीं थी और न ही उनकी वैक्सीन इतनी मददगार साबित हुई. वहीं, अमेरिका, जापान में भी तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन वहां डेथ इतनी नहीं हुई है. 

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उन्होंने कहा कि भारत ने पुराने अनुभवों से कई चीजों को सीखा है. कोरोना पर सबसे जरूरी है कि रियल टाइम रिपोर्ट्स आनी शुरू हो जाएं. सभी जिलों से जानकारी आए कि कहीं क्लस्टर मिल रहा है या नहीं. अगर किसी को कोरोना होता है, तो उसकी जिनोम सिक्वेंसिंग कराई जाए, ताकि नए वैरिएंट का पता चल जाए. भारत में BF.7 वैरिएंट के चार केस मिले थे. सभी ठीक हो गए हैं. भारत में बडी़ संख्या में वैक्सीनेशन हुआ है, साथ ही बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमण हुआ है, ऐसे में भारत में लोगों में इम्युनिटी है. वो कोरोना के संक्रमणों से मुकाबला करने के लिए काफी है. 

डॉ त्रेहन ने कहा, लोगों को फिर से सतर्क होना चाहिए. घबराना नहीं है. लॉकडाउन नहीं करना है. लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनिए. ओपन एयर में अगर भीड़ भाड़ नहीं है, तो मास्क के बिना भी रहा जा सकता है . BF.7 का भारत में तो असर हो सकता है, लेकिन इसका असर उतना व्यापक नहीं होगा. हालांकि, भारत में लोगों को सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि लक्षण आने पर आइसोलेट करें. डॉक्टरों को दिखाकर जांच कराएं. होम टेस्ट किट से भी जांच कर सकते हैं. सतर्क रहने से हमारे यहां इतनी बड़ी लहर नहीं आएगी. 

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चिंतित होने की जरूरत नहीं- डॉ. एनके अरोड़ा

एंटी टास्क फोर्स के वरिष्ठ सदस्य और कोविड टीकाकरण अभियान के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने दो टूक कहा है कि भारत को चीन की स्थिति से चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है. वे कहते हैं कि हम सुन रहे हैं कि चीन में कोरोना वायरस फिर तेजी से पैर पसार रहा है. लेकिन भारत की बात करें तो यहां बड़े स्तर पर टीकाकरण किया जा चुका है. एडल्ट पॉपुलेशन में तो ज्यादातर लोगों को टीका लग चुका है. एनके अरोड़ा ने ये जानकारी भी दी है कि दुनिया में अब तक जितने भी कोरोना के सब वैरिएंट आए हैं, उनके मामले भारत में मिल चुके हैं. ऐसे में सिर्फ सावधानी बरतने की जरूरत है, चिंता करने की नहीं.

चीन के हालात पर मॉनिटरिंग की जरूरत, डर की नहीं- समीरन पांडा

ICMR के वैज्ञानिक समीरन पांडा ने कहा कि अभी चीन में तेजी से कोरोना के केस बढ़ रहे हैं. अनुमान है कि अगले तीन महीने में चीन में 60 फीसदी लोग संक्रमित हो जाएंगे, इसलिए डर का माहौल बन गया है. चीन में जो स्थिति है, उसकी मॉनिटरिंग जरूरी है लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है. समीरन पांडा ने कहा कि भारत में वैक्सीन या इंफेक्शन के कारण जो हाइब्रिड इम्युनिटी हुई है, उसी तरफ गौर करके हमें देखना होगा. चीन में जीरो कोविड पॉलिसी रही है यानी बहुत लोग बचे रह गए. उन्होंने कहा कि कोविड हमारे साथ है और आगे भी रहेगा लेकिन ज्यादा क्रॉनिक डिजीज, किडनी, लीवर की दिक्कत वाले, हाइपरटेंशन या फिर बुजुर्गों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन ऐसा नहीं कि नया म्यूटेंट मृत्युदर बढ़ा ही देगा. ऐसा नहीं कि जो स्थिति चीन में है वही दूसरे देशों में भी होगी. 2019 में कोरोना नया वायरस आया लेकिन अब एक देश की दूसरे देश से अलग स्थिति है.

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भारत में हालात बिगड़ने की संभावना कम - अनुराग अग्रवाल

INSACOG के साथ नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (CSIR-IGIB) के निदेशक के रूप में जुड़े रहे डॉक्टर अनुराग अग्रवाल ने कहा, ''मुझे भारत में इस तरह के हालात दोबारा बनने के आसार नजर नहीं आते हैं.'' अनुराग अग्रवाल ने कहा, भारत की आबादी की इम्युनिटी (प्रतिरक्षा) बहुत अधिक है और हमारे शोध से पता चलता है कि ज्यादातर लोग पहले से ही ओमिक्रॉन से संक्रमित हो चुके हैं जिनमें काफी लोगों को डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों तरह के संक्रमण हुए थे.

 


 

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