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क्या चीन का जैविक हथियार है कोरोना? हाथ लगे सीक्रेट दस्तावेजों के आधार पर अमेरिका का दावा

चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स कोरोना वायरस की चर्चा 'जेनेटिक हथियार के नए युग' के तौर पर की है, कोविड इसका एक उदाहरण है. PLA के दस्तावेजों में इस बात की चर्चा है कि एक जैविक हमले से शत्रु के स्वास्थ्य व्यवस्था को ध्वस्त किया जा सकता है.

कोरोना वायरस कोरोना वायरस
aajtak.in
  • लंदन/मेलबॉर्न,
  • 10 मई 2021,
  • अपडेटेड 3:08 PM IST
  • 'कोरोना वायरस का हथियार के तौर पर इस्तेमाल'
  • चीन ने 2015 में ही की थी जांच
  • अमेरिकी विदेश विभाग के हाथ लगे विस्फोटक दस्तावेज

कोरोना वायरस पर चीन के दावों को स्वीकार करने को कोई तैयार नहीं है. हर ओर एक सवाल है कि जिस चीन में कोरोना वायरस पैदा हुआ है वो देश इसके असर से इतना सुरक्षित कैसे रहा? कैसे चीन में 6 से 8 महीने में जिंदगी पटरी पर आ गई, जबकि भारत समेत दुनिया के कई देश 2 साल से इस बीमारी से संघर्ष कर रहे हैं. 

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अब एक नई रिपोर्ट के खुलासे से कोरोना वायरस को लेकर चीन के इरादों पर शक और भी गहरा जाता है. 

ये रिपोर्ट 2015 के घटनाक्रम से जुड़ी है, जब दुनिया में कोरोना वायरस के घातक प्रभाव से लोग अनजान थे, लेकिन चीन उसी समय कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बारे में जांच कर रहा था. 

यही नहीं, आशंका है कि चीनी सैन्य वैज्ञानिकों ने तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियार से लड़े जाने की भविष्यवाणी की थी. 

अमेरिकी विदेश विभाग को प्राप्त हुए खुफिया दस्तावेजों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. 

EXCLUSIVE: Chinese military scientists discussed the weaponisation of SARS coronaviruses five years before the COVID-19 pandemic https://t.co/cGtPZLT2zg @SharriMarkson

— The Australian (@australian) May 7, 2021

ब्रिटेन के 'द सन' न्यूजपेपर ने ऑस्ट्रेलिया के समाचार पत्र 'द ऑस्ट्रेलियन' के हवाले से कहा है कि अमेरिकी विदेश विभाग को हाथ लगे इस 'बॉम्बशेल' यानी कि विस्फोटक जानकारी के अनुसार चीनी सेना PLA के कमांडर ये कुटिल पूर्वानुमान लगा रहे थे.

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अमेरिकी अधिकारी को मिले ये कथित दस्तावेज साल 2015 में सैन्य वैज्ञानिकों और चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लिखे गए थे, जो कि खुद कोविड-19 के बारे में जांच कर रहे थे. 

चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स कोरोना वायरस की चर्चा 'जेनेटिक हथियार के नए युग' के तौर पर की है, कोविड इसका एक उदाहरण है. PLA के दस्तावेजों में इस बात की चर्चा है कि एक जैविक हमले से शत्रु की स्वास्थ्य व्यवस्था को ध्वस्त किया जा सकता है. 

पीएलए के इस दस्तावेज में अमेरिकी वायुसेना के कर्नल माइकल जे के अध्ययन का भी जिक्र है जिन्होंने भविष्यवाणी की थी कि तृतीय विश्वयुद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जाएगा. 

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2003 में जिस SARS का चीन पर अटैक हुआ था वो हो सकता है कि एक जैविक हथियार हो जिसे आतंकियों ने तैयार किया हो.

इन कथित दस्तावेजों में इस बात का उल्लेख है कि इस वायरस को कृ्त्रिम रूप से बदला जा सकता है और इसे मानवों में बीमारी पैदा करने वाले वायरस में बदला जा सकता है, इसके बाद इसका इस्तेमाल एक ऐसे हथियार के रूप में किया जा सकता है जिसे दुनिया ने पहली बार कभी नहीं देखा है. 

इस दस्तावेज में चीन के टॉप स्वास्थ्य अधिकारियों का लेख है. बता दें कि Covid-19 के पहले केस का पता साल 2019 में चला था. इसके बाद इस बीमारी ने वैश्विक महामारी की शक्ल ले ली है. 

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इस खुलासे के बाद आस्ट्रेलियाई राजनेता जेम्स पेटरसन ने कहा कि इन दस्तावेजों ने कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में चीन की पारदर्शिता को लेकर संदेह और चिंता पैदा कर दी है. हालांकि चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस लेख को प्रकाशित करने के लिए द आस्ट्रेलियन की आलोचना की है और इसे चीन की छवि खराब करने की मुहिम बताया है. 

 

 

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