
कोरोना की दूसरी लहर ने बीते दिनों भारत में जमकर कोहराम मचाया. लेकिन पिछले कुछ दिनों के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि अब ये लहर कमज़ोर होने लगी है. नए मामलों में कमी आ रही है, रिकवरी रेट बढ़ रहा है, लेकिन मौतों की संख्या अभी भी चिंता का विषय है. ऐसे में सवाल है कि आखिर ऐसा क्यों है कि केस कम होने के बावजूद भी कोविड से हो रही मौतों की संख्या अभी अधिक ही है, एक्सपर्ट्स, ने इस सवाल का जवाब दिया है.
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का पीक 6 मई को दिखाई दिया, जब देश में 4.16 लाख नए केस दर्ज किए गए. लेकिन अब ये रफ्तार धीमी होने लगी है, इसी हफ्ते 2.65 लाख तक केस पहुंचे और अब इसी के आसपास नए केस आ रहे हैं. लेकिन नए मामलों में कमी के बावजूद कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ ही रहा है.
भारत में 18 अप्रैल को 1620 मौतें दर्ज की गई, उसके बाद से ये संख्या लगातार बढ़ी है. 18 मई को देश में 45 सौ से अधिक मौत दर्ज की गई, जो अबतक का रिकॉर्ड था. लेकिन 20 मई को एक बार फिर 4 हज़ार से नीचे आंकड़ा पहुंचा है.
मौतों की संख्या, कम होते मामले में फर्क क्यों?
एक्सपर्ट्स की मानें तो, 'भारत में अभी ही कोविड के मामलों में रिकवरी शुरू हुई है, जबकि मौतों की संख्या बराबर शुरू हो रही है. ऐसे में एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रेंड को ठीक होने में 15 दिन का वक्त लगेगा. क्योंकि अब जो कम संख्या सामने आ रही है, उस संक्रमित व्यक्ति को ठीक होने में 15 दिन का वक्त लगता है, इतने ही वक्त में अगर उसकी हालत बिगड़ती है तो मौत भी हो सकती है, ऐसे में बड़े स्तर पर आंकड़े में ये दो हफ्ते बाद ही रिफ्लेक्ट करेगा.'
सिर्फ इतना ही नहीं, भारत में किसी कोविड मरीज़ की मृत्यु घोषित होने की लंबी प्रक्रिया भी है. क्योंकि टेस्टिंग का आंकड़ा सीधे लैब से आता है, उसके बाद स्थानीय स्तर से होते हुए सीधे हर रोज़ जारी कर दिया जाता है. लेकिन मौत के मामले में अलग प्रक्रिया होती है.
किसी व्यक्ति की मौत के बाद पहले अस्पताल द्वारा कोविड की मौत घोषित की जाती है, फिर मौतों का आंकड़ा प्रशासन द्वारा जारी किया जाता है. ऐसे में कुछ राज्यों में मौतों का आंकड़ा सामने आने में दो-तीन दिन का वक्त लगता है, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली में ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं जहां ताज़ा आंकड़ों के साथ कुछ पुरानी मौतों की संख्या भी जोड़ी गई है. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि ये ट्रेंड अन्य देशों में भी देखने को मिला है.