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कोरोना की इस नई लहर से कैसे निपट रहे हैं यूरोप के देश और अमेरिका?

कोरोना की इस नई लहर से न केवल भारत में तबाही जारी है बल्कि यूरोप और अमेरिका में भी महामारी अपना रौद्र रूप दिखा रही है. वायरस के नए-नए वैरिएंट से जूझ रहे ये देश महामारी से कैसे निपट रहे हैं, उनका एप्रोच भारत से कितना अलग है? जानिए.

पेरिस में लॉकडाउन की एक तस्वीर (फोटो: PTI) पेरिस में लॉकडाउन की एक तस्वीर (फोटो: PTI)
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 19 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 10:05 AM IST
  • कोरोना की नई लहर से पूरी दुनिया में तबाही जारी
  • भारत में मेडिकल सुविधाओं की शॉर्टेज से मारामारी
  • यूरोप के कई देशों में सख्त लॉकडाउन, यात्राओं पर प्रतिबंध

कोरोना महामारी की नई लहर से न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया त्रस्त है. दुनिया भर में इस खतरनाक वायरस से मौतों का सिलसिला जारी है. दुनिया में कोरोना से मौतों का आंकड़ा तीस लाख के पार पहुंच चुका है. ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका जैसे देशों में कोरोना के नए-नए वैरिएंट संक्रमण की लहर को और तेज कर रहे हैं. तबाही हर जगह एक जैसी है हालांकि आबादी कम होने के कारण इस हालात को संभालने के उनके तरीके अलग-अलग हैं. भारत में नए वैरिएंट, डबल म्यूटेंट वैरिएंट, नए स्ट्रेन के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना की इस नई लहर ने भारत के शहरों और ग्रामीण इलाकों में तबाही का वो मंजर दिखाया है जिसे संभालने में पूरा सिस्टम फेल होता हुआ दिख रहा है.

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शहर-शहर केस बढ़ रहे हैं, मौतों का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है. अस्पतालों में कोई टेस्ट कराने के लिए मारामारी कर रहा है तो पॉजिटिव आ गए लोग अस्पतालों में बेड की शॉर्टेज, ऑक्सीजन सिलेंडर और जरूरी दवाइयों की कमी से जूझ रहे हैं. मौतों का सिलसिला इतना बड़ा है कि श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए भी शवों की कतारें लगी हुई हैं. इस हालात ने देश में बदइंतजामी और सिस्टम की तैयारियों की पोल खोल दी है. सरकारों की ओर से कोरोना कर्फ्यू, वीकेंड लॉकडाउन, एक दिन के कर्फ्यू आदि कई ऐलान किए जा रहे हैं लेकिन सरकारें टोटल लॉकडाउन के सख्त फैसले से बचती दिख रही हैं कि कहीं पिछली बार के लॉकडाउन जैसे अव्यवस्थित हालात न पैदा हो जाएं. यहां हम आपको बताएंगे कि कोरोना की नई लहर की कमोबेश इसी तरह के हालात से जूझ रहे यूरोप के देश और अमेरिका जैसे देश इस हालात से कैसे निपट रहे हैं?

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यूरोप के देशों जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली में भी कोरोना के केस इस लहर में बहुत तेजी से बढ़े हैं. ब्रिटेन में नए स्ट्रेन और अफ्रीकी कोरोना वैरिएंट ने एक्सपर्ट्स की चिंता बढ़ा दी है. भारत में अप्रैल के शुरुआत में केस तेजी से बढ़े लेकिन इन देशों में मार्च के दूसरे हिस्से से ही संकट की वापसी हो गई थी. इसके अलावा यूरोप के देशों में वैक्सीन सप्लाई को लेकर भी संकट चल रहा है जिससे वैक्सीनेशन को लेकर दिक्कतें हैं लेकिन इसके बावजूद यूरोपीय देशों की रणनीति कोरोना को लेकर काफी कारगर होती दिख रही है.

फ्रांस में 4 हफ्ते के सख्त लॉकडाउन का कैसा दिख रहा है असर?
फ्रांस ने कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए 1 अप्रैल को ही पूरे देश में 4 हफ्ते का लॉकडाउन लगा दिया था. स्कूलों को चार हफ्ते के लिए बंद कर दिया गया, यात्राओं को प्रतिबंधित कर दिया गया. केवल जरूरी सामानों की दुकानों को ही खोलने की अनुमति दी गई. उसका नतीजा भी देखने को मिल रहा है. 1 अप्रैल को जहां फ्रांस में कोरोना के केस 50 हजार से भी ऊपर आ रहे थे 16 अप्रैल तक घटकर 36 हजार तक आ गए. यहां कोरोना की चेन टूटती दिख रही है.

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जर्मनी में लोकलाइज्ड नियम
जर्मनी में 10 मार्च के आसपास कोरोना की लहर ने वापसी करनी शुरू की और केस तेजी से बढ़ने लगे. हालात को देखते हुए जर्मनी ने प्रतिबंधों को कड़ा किया. जर्मनी में 29 हजार के आसपास रोज कोरोना के केस आ रहे हैं. नए वैरिएंट के असर से युवा आबादी में खतरा तेजी से बढ़ा है. इस लहर में 15 साल से 49 साल की उम्र वर्ग में तेजी से संक्रमण के केस सामने आए हैं जो कि कोरोना की पिछली लहर में देखने को नहीं मिले थे. अलग-अलग राज्यों को अपने हालात के मुताबिक नियम तय करने को कहा गया है. राजधानी बर्लिन में नाइट कर्फ्यू लगा और सोशल कॉन्टैक्ट को रोकने के लिए कई कार्यक्रमों पर बैन लगाया गया. वहीं सारलैंड स्टेट में जहां केस कम थे वहां कोविड निगेटिव रिपोर्ट के साथ लोगों को रेस्तरां, थिएटर, सिनेमा और जिम में जाने की अनुमति दी गई है. पूरे देश में मास्क को अनिवार्य किया गया. खासकर सार्वजनिक जगहों पर. 14 अप्रैल तक जर्मनी में केस बढ़ते गए लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के कदमों के बाद तबसे इसमें कमी देखी जा रही है.

पिछली तबाही से उबरा नहीं है इटली
पिछले साल कोरोना की तबाही ने इटली को कोरोना संक्रमण का एपिसेंटर बना दिया था. इस छोटे से देश में अबतक 38 लाख से अधिक केस सामने आ चुके हैं. जबकि एक लाख 16 हजार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. कोरोना की नई लहर को देखते हुए इटली ने तुरंत सख्त लॉकडाउन का फैसला लागू किया. इटली में 30 अप्रैल तक सख्त लॉकडाउन लगाया गया है.

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इटली में कोरोना की इस लहर का संकट भी बड़ा है. हालात को देखते हुए पूरी इटली के सभी इलाकों को कोरोना के दो खतरनाक कटेगरी- रेड जोन या ऑरेंज जोन में रखा गया हैं. रेड जोन वाले इलाकों में स्कूल-यूनिवर्सिटीज बंद हैं, लोगों को सिर्फ जरूरी काम के लिए घर से निकलने की इजाजत है. सिर्फ जरूरी दुकानें खुली हैं. जबकि रेस्तरां, कैफे और बार जैसी जगहों से पैक कराने की सुविधा या होम डिलिवरी की अनुमति है. सख्त कदमों का असर भी दिख रहा है. जहां 1 अप्रैल को इटली में 23 हजार के करीब केस देखे जा रहे थे वहीं अब घटकर ये 15 हजार के लेवल पर आ गया है. मौतों का आंकड़ा भी पिछले एक हफ्ते में तेजी से घटता दिख रहा है.

ब्रिटेन में अब प्रतिबंधों में मिलने लगी छूट
ब्रिटेन में भी मार्च के दूसरे हफ्ते में सोशल गैदरिंग के नियम कड़े किए गए. लेकिन अब केस घटने के साथ ही इन नियमों में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जा रही है. मसलन 6 लोग या दो परिवार बाहर मिल सकते हैं लेकिन उससे अधिक लोगों के जुटने पर एक्शन होगा. इन गैदरिंग्स में बच्चों को शामिल नहीं किया जा सकता. शादियों में 15 लोगों से अधिक शामिल नहीं हो सकेंगे. उत्तरी आयरलैंड में 23 अप्रैल से आउटडोर स्पोर्ट्स, हेयरड्रेसर्स को काम की छूट दी जा रही है. स्कॉटलैंड में 26 अप्रैल से छूट बढ़ाई जा रही है. जिसमें रेस्तरां, कैफे, पब, बार आदि को इंडोर और दिन के समय में खोलने की अनुमति होगी. 1 अप्रैल को जहां ब्रिटेन में 4500 के करीब केस आ रहे थे वही अब 16 अप्रैल तक घटकर 2700 तक केस आ गए हैं. 1 अप्रैल को जहां 51 लोगों की मौत हुई थी वहीं 16 अप्रैल तक घटकर ये आंकड़ा 34 तक रह गया. ब्रिटेन में एक्टिव मरीज भी घटकर 1 लाख के करीब रह गए हैं.

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डेनमार्क में मरीजों की ट्रैकिंग के लिए ई-पास
डेनमार्क में मरीजों और वैक्सीन लेने वाले लोगों की ट्रैकिंग के लिए ई-पास सुविधा शुरू की गई है. 15 साल से ऊपर उम्र के सभी लोगों के मोबाइल फोन पर ये पास मौजूद रहेगा. जिसमें वो सारी जानकारियां होगीं कि इस शख्स ने वैक्सीन लगवाई है या नहीं, पहले कभी संक्रमित हुआ था या नहीं, पिछले 72 घंटे में निगेटिव रिपोर्ट मिली है या नहीं. इस पास की रिपोर्ट के आधार पर ही लोगों को सार्वजनिक जगहों पर जाने और सार्वजनिक सुविधाओं का लाभ उठाने की अनुमति मिलेगी.

यूरोप में कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा जूझ रहे देशों में एक चेक रिपब्लिक में पिछले करीब दो महीने तक लॉकडाउन बहुत सख्त रहा. लेकिन अब केस घटने के बाद कुछ ढील दी जा रही है. 12 अप्रैल से प्राइमरी स्कूल खोल दिए गए. हायर क्लास के स्कूलों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूरी तरह खोल दिया गया. अधिकांश दुकानों को बंद रखा गया है. हालांकि स्कूलों के खुलने के साथ स्कूली ड्रेस और स्टेशनरी की दुकानों को खोलने की अनुमति मिली है. इसके अलावा फार्मर मार्केट्स को भी खोलने की इजाजत दे दी गई है.

स्पेन भी तबाही को लौटने से रोकने में जुटा
कोरोना की पिछली लहर में भीषण तबाही झेल चुके स्पेन में भी कर्फ्यू को सख्त रखा गया है. इस देश में अभी भी 10 हजार से अधिक मरीज रोज सामने आ रहे हैं. करीब 100 लोगों की मौतें रोज हो रही हैं. पूरे देश में नाइट कर्फ्यू है. इसके अलावा राज्यों को अधिक समय तक कर्फ्यू लागू करने की छूट दी गई है. सार्वजनिक जगहों पर 6 लोगों को और इंडोर जगहों पर 4 लोगों को मीटिंग की इजाजत दी गई है. 6 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए मास्क अनिवार्य है. पिछले साल स्पेन में कोरोना की लहर ने काफी तबाही मचाई थी. अब तक देश में 34 लाख से अधिक केस सामने आ चुके हैं जबकि 77 हजार के करीब लोगों की जान जा चुकी है.

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नीदरलैंड में अभी भी 9 हजार के करीब रोज नए केस सामने आ रहे हैं. दो लाख से अधिक एक्टिव केस बने हुए हैं. इस देश में लॉकडाउन को 20 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया गया है. सेकंडरी स्कूलों और यूनिवर्सिटी क्लासेज को हफ्ते में एक दिन फिजिकल तरीके से चलाने की इजाजत है. बार-रेस्टोरेंट आदि को पूरी तरह बंद रखा गया है. वहां की सरकार ने लोगों को मई के दूसरे हफ्ते तक विदेश यात्राओं-हॉलीडे से बचने को कहा है.  

बेल्जियम में 19 अप्रैल तक प्राइमरी, सेकंडरी स्कूल और यूनिवर्सिटीज बंद हैं. दुकानों को खोलने की इजाजत है लेकिन पहले से अप्वाइंटमेंट लेकर जाना होगा. हेयर ड्रेसर, ब्यूटी सैलून और मसाज सैलून को बंद रखा गया है. सभी गैर-जरूरी यात्राओं पर प्रतिबंध है.

अमेरिका में वैक्सीनेशन पर जोर
अमेरिका में कोरोना की पिछली लहर ने भारी तबाही मचाई थी. अभी भी कोरोना की नई लहर फिर से तेजी पकड़ रही है. अमेरिका में 80 हजार के करीब केस रोज सामने आ रहे हैं. जबकि 900 के करीब लोगों की रोज जान जा रही है. इस नई लहर के पीछे अमेरिकी एक्सपर्ट कोरोना के नए वैरिएंट को जिम्मेदार मान रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोरोना की इस नई लहर को थामने के लिए वैक्सीनेशन तेज कर हर्ड इम्युनिटी विकसित करने का टारगेट रखा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने 19 अप्रैल तक 90 फीसदी वयस्क आबादी को वैक्सीनेशन की सुविधा के लिए अनुमति देने का प्लान बनाया है. ताकि लोगों के घर के 5 किलोमीटर के दायरे में वैक्सीनेशन की सुविधा मुहैया कराई जा सके. हालांकि, वैक्सीनेशन बढ़ने के बीच टेक्सास, मिसिसिपी, अलबामा और वेस्ट वर्जिनिया जैसे राज्यों में प्रतिबंधों में ढील देने के फैसले को कुछ एक्सपर्ट बढ़ती लहर में खतरनाक भी बता रहे हैं.

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अमेरिका के पड़ोसी देश कनाडा में भी कोरोना की इस लहर ने विकराल रूप धारण कर लिया है. देशभर में कोरोना के नए वैरिएंट का तेजी से प्रसार हुआ है. रोज 5 हजार से अधिक केस सामने आ रहे हैं. खासकर विदेश से आने वाले लोगों की ट्रैकिंग और टेस्टिंग तेज की गई है ताकि बाहर से संक्रमण देश में आ न सके. इसके अलावा वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जिसे लेकर वहां की सरकार ने बाहर से आई वैक्सीन पर क्लॉटिंग की जानकारी की लेबलिंग शुरू की है ताकि लोगों को हालात और असल जानकारी से अवगत कराया जा सके.

इजरायल में हर्ड इम्युनिटी का दावा
इजरायल ने अपनी 92 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा आबादी को कोरोना की वैक्सीन लगवा दी है. इजरायली वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि तेज वैक्सीनेशन के कारण उनके देश में 60 से 67 फीसदी तक हर्ड इम्यूनिटी का लक्ष्य हासिल किया जा सका है और जल्द ही कोरोना के पूरी तरह से खात्मे की ओर देश बढ़ सकता है. आंकड़ों पर गौर करें तो अभी इजरायल में कोरोना के केस 200 के करीब आ रहे हैं जबकि मौतों का आंकड़ा डेली 10 से भी कम है. हालात को काबू में देख इजरायल ने अब बाहर निकल रहे लोगों के लिए मास्क की अनिवार्यता भी खत्म करने का फैसला किया है. हालांकि, इंडोर दफ्तरों आदि में मास्क अभी भी लगाना होगा. 

 

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