Advertisement

दुनिया भर में 70 से 90 फीसदी तक घटे टेस्ट, एक्सपर्ट्स ने चेताया- Corona कहीं साइलेंट किलर ना बन जाए

कोरोना काल में एक्सपर्ट्स की नई चिंता सामने आई है. यह चिंता टेस्टिंग को लेकर है, जो दुनियाभर में लगातार कम हो रही है, जिसकी वजह से खतरा फिर बढ़ सकता है.

दुनियाभर में कोरोना टेस्टिंग में कमी आई है दुनियाभर में कोरोना टेस्टिंग में कमी आई है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2022,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST
  • टेस्टिंग ना होना वायरस के बारे में नई जानकारी जुटाने से रोकता है
  • दवा-वैक्सीन की कमी भी वजह बताई जा रही

Corona Outbreak: कोविड संकट के बीच कोरोना टेस्टिंग घटने से एक्सपर्ट्स की चिताएं बढ़ गई हैं. माना जा रहा है कि दुनियाभर में कोरोना टेस्ट 70 से 90 फीसदी तक कम हो गए हैं. एक्सपर्ट मानते हैं कि इससे कोरोना 'साइलेंट किलर' भी बन सकता है.

दुनियाभर में कोविड केस घटने के साथ-साथ टेस्टिंग में ढील भी सामने आई है. यह साइंटिस्ट्स के लिए दिक्कत पैदा कर रहा है. दरअसल, अगर टेस्टिंग कम होगी तो वैज्ञानिक यह ट्रैक नहीं कर पाएंगे कि महामारी का ताजा रुख क्या है. साथ ही इसके नए हॉटस्पॉट, नए वैरिएंट और म्यूटेंट की जानकारी भी नहीं जुटाई जा सकेगी.

Advertisement

70 से 90 फीसदी घटी कोरोना टेस्टिंग

एक्सपर्ट का मानना है कि इस साल की पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में कोरोना टेस्टिंग 70 से 90 फीसदी तक कम हो गए हैं. एक्सपर्ट मानते हैं कि अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रोन वैरिएंट आने के बाद टेस्टिंग बढ़नी चाहिए थी, लेकिन हुआ इसका उल्टा.

यह भी पढ़ें - फार्मा कंपनियों की साजिश का हिस्सा बना WHO? कोविड पर भारत से जुड़ी रिपोर्ट पर बवाल

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, डॉक्टर कृष्णा उदय कुमार कहते हैं कि हमें जितनी टेस्टिंग करनी चाहिए थी हम उसके आसपास भी नहीं हैं. बता दें कि कृष्णा उदय कुमार ड्यूक यूनिवर्सिटी में ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर के डायरेक्टर हैं. वहीं यूनवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका में आ रहे कुल कोरोना केसों के 13 फीसदी ही दर्ज हो पा रहे हैं.

Advertisement

दवाई-वैक्सीन की कमी बनी वजह

एक्सपर्ट मानते हैं कि कई कम आय वाले देशों में लोगों ने कोरोना टेस्ट कराना इसलिए भी बंद कर दिया क्योंकि वहां कोविड के इलाज की दवाओं की कमी है.  घर पर हो रहे टेस्ट भी एक्सपर्ट के निशाने पर हैं क्योंकि ट्रैकिंग सिस्टम में उनका कोई रिकॉर्ड नहीं है. एक्सपर्ट मानते हैं कि इससे उन लोगों की हालत दृष्टिहीन व्यक्ति जैसी हो गई है और उनको पता नहीं चल पा रहा कि वायरस के साथ क्या नया हो रहा है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement