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Precautionary dose: 'बूस्टर डोज' के रूप में कौन सी वैक्सीन लगेगी? जल्द होगा फैसला

सरकार अगले 2 दिनों में यह घोषणा कर सकती है कि प्रिकॉशन डोज (Precaution Dose) के रूप में कौन सा टीका लगाया जाना है. ओमिक्रॉन मामलों में वृद्धि से पहले भारत में चुनिंदा लोगों को डोज दिए जाने पर फैसला होगा. यह बात टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के सदस्य डॉ. एनके अरोड़ा ने इंटरव्यू में कही.

डॉ एनके अरोड़ा. डॉ एनके अरोड़ा.
मिलन शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:53 AM IST
  • इंडिया टुडे को दिया एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
  • डॉ. अरोड़ा बोले: कोवैक्सिन जैसे टीके 2 साल तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं

सरकार जल्द यह घोषणा कर सकती है कि प्रिकॉशन डोज (Precaution Dose) के रूप में कौन सा टीका लगाया जाना है. ओमिक्रॉन (Omicron) मामलों में वृद्धि से पहले भारत में चुनिंदा लोगों को डोज दिए जाने पर फैसला होगा. यह बात टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के सदस्य डॉ. एनके अरोड़ा ने सोमवार को इंडिया टुडे को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कही.

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National Technical Advisory Group के सदस्य डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि एक ही वैक्सीन की डोज लेने के फायदे और नुकसान हैं. प्रिकॉशन डोज लेने का उद्देश्य है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स और हेल्थकेयर वर्कर्स और 60 की उम्र के ऊपर के लोगों की सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके. कुछ टीकों को बूस्टर के रूप में दिया जाता है, जिनका असर ज्यादा होता है. फाइजर और मॉडर्न में यह बात देखी गई है. रिएक्टोजेनेसिटी शब्द का उपयोग वैक्सीन लेने के बाद अपेक्षित परिणामों के लिए किया जाता है.

'टीका सुरक्षित है, स्टडी के बाद ही इस्तेमाल की मंजूरी मिली है'

डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि व्यापक दृष्टिकोण को देखते हुए यह देखा जाएगा कि दोनों कैटेगरी के लिए प्रिकॉशन डोज क्या होगी. भारत बायोटेक के कोवैक्सिन के एक्सपायरी लेबल को अपडेट किए जाने के विवाद पर डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि मैं डर को दूर करना चाहता हूं, यह टीका सुरक्षित है. 

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उन्होंने कहा कि जब वैक्सीन को शुरू में लाया गया था तो इसे 9 महीने तक इस्तेमाल करने की अवधि तय की गई थी. समय बीतने के साथ टीकों की क्षमता और सुरक्षा दोनों पर अध्ययन किए गए. इसके बाद इसकी एक्सपायरी अवधि 12 महीने तक बढ़ा दी गई. अन्य टीकों को भी इसी तरह के एक्सटेंशन दिए गए हैं, फाइजर और मॉडर्न को भी 9 महीने के लिए एक्सटेंशन दिया गया है.

'नया टीका पहले वयस्कों पर होता है इस्तेमाल'

डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि कोवैक्सिन की बात करें तो इस तरह के टीकों में आमतौर पर 18 महीने से 2 साल तक की शेल्फ लाइफ होती है. 12 साल तक के बच्चों के लिए वैक्सीन की मंजूरी के बावजूद भारत में बच्चों के लिए Zydus Cadila के डीएनए वैक्सीन Zy-COV-D के रोलआउट में देरी क्यों हो रही है? 

इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, Zy-COV-D दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन है.उन्होंने कहा कि दुनियाभर में कोई भी नया टीका आता है तो पहले वयस्कों में इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इसमें देखना होता है कि सुरक्षा और प्रभावशीलता के मामले में वैक्सीन क्या असर दिखाती है. फिर बाद में आप इसे बच्चों के लिए उपयोग करना शुरू करते हैं. फिलहाल डोज की संख्या भी करीब 1 करोड़ डोज ही सीमित है. इस वैक्सीन को 7 राज्यों और चुनिंदा जिलों में रोल आउट किया जा रहा है. यह किशोरों के लिए उपलब्ध होगी.

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