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कोरोना वायरस फिलहाल भारत को अपनी जकड़ में ले रहा है. हर दिन दो लाख से ज्यादा की तादाद में केस आ रहे हैं और मौत का आंकड़ा भी डरा रहा है.
इन हालातों में वैक्सीन की आपूर्ती को लेकर भी संकट खड़ा होता नजर आ रहा है. भारत में कोरोना वैक्सीन के प्रोडक्शन में कुछ अड़चनें आ रही हैं और अमेरिका द्वारा इससे जुड़े कच्चे माल के निर्यात पर लगाई गई रोक प्रोडक्शन पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है.
हालांकि, जल्द ही ये रोक हटने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर वो कौन सी चीजें हैं जो कोरोना वैक्सीन बनाने में इस्तेमाल की जाती हैं और किन पर रोक लगाई है जिससे भारत में कोरोना वैक्सीन के प्रोडक्शन पर असर पड़ रहा है.
वैसे वैक्सीन में उपयोग किए जाने वाले कौन-कौन से रॉ मैटेरियल हैं, इसकी कोई ठोस लिस्ट नहीं है लेकिन WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पर वैक्सीन निर्माता प्लांट करीब 9000 अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल करते हैं. ये कच्चा माल 30 देशों के 300 सप्लायर्स से लिया जाता है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में इस पर रिपोर्ट छापी गई है.
वैक्सीन प्रोडक्शन में इस्तेमाल की जाने वाली कुछ अहम चीजें हैं-
बायो रिएक्टर बैग (Bio Reactor Bag)
फिल्टर (Filter)
सेल कल्चर मीडिया ( Cell Culture Media)
लिपिड नैनोपार्टिकल्स ( Lipid Nanoparticles)
माइक्रो कैरियर्स (Micro Carriers)
माइक्रो कैरियर बीड्स ( Micro Carrier Beads)
विशेषज्ञों का मानना है कि प्लास्टिक बैग, फिल्टर्स और सेल कल्चर मीडिया कोविड वैक्सीन बनाने में सबसे ज्यादा अहम है. कोविड से लड़ने वाली ज्यादा वैक्सीन के लिए ये तीनों ही चीजें काफी महत्वपूर्ण हैं. भारत में बनाई जा रही कोविशील्ड और कोवोवैक्स के लिए ये चीजें काफी अहम है. यही वजह है कि इन वैक्सीन को तैयार कर रहे सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने अमेरिका से निर्यात पर रोक हटाने की मांग की है.
अदार पूनावाला ने ये भी कहा है कि निर्यात पर रोक ने कोवोवैक्स (Covovax) के प्रोडक्शन को घटाकर आधा कर दिया है. इससे पहले सीरम इंस्टीट्यूट की तरफ से कहा गया था कि अमेरिका द्वारा लगाई गई रोक से कोविशील्ड के प्रोडक्शन पर फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन ये भविष्य में उसकी कैपेसिटी को प्रभावित कर सकता है.
सीरम के अलावा भारत में वैक्सीन तैयार करने वाली दूसरी कंपनी भी प्रोडक्शन पर असर की आशंका जता चुकी है. भारत बायोटेक के चेयरमैन डॉ कृष्णा एल्ला ने मार्च के आखिर में कहा था कि कुछ चीजों पर अमेरिका के प्रतिबंध से सप्लाई लॉजिस्टिक पर असर पड़ा है. डॉ कृष्णा ने कहा कि एक चीज ऐसी है जिसकी हमें जरूरत है लेकिन वो हमें अमेरिका और स्वीडन से नहीं मिल पा रही है. हालांकि, उन्होंने इस चीज का नाम नहीं बताया है और न ही ये बताया है कि क्या इसका इस्तेमाल भारत बायोटेक की कोवैक्सीन में होता है.
इंडियन एक्सप्रेस ने वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज की डॉ गगनदीप कांग के हवाले से लिखा है कि ज्यादातर मैनूफैक्चरिंग के सामान यूरोप में तैयार हो रहे हैं लेकिन प्लास्टिक और लैब में केमिकल एनेलेसिस में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर पदार्थ अमेरिका से ही आते हैं. यही वजह है कि भारत में वैक्सीन तैयार कर रही कंपनियों को अमेरिका के प्रतिबंधों से समस्या हो रही है.
हालांकि, इस मसले पर एक अच्छी खबर भी आई है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने बताया है कि भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत के बाद अमेरिका प्रतिबंध हटाने के लिए तैयार हो गया है. अगर ऐसा होता है तो निश्चित ही कोरोना से चल रही भारत की लड़ाई को और ताकत मिलेगी.