
देश में कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. हर दिन के साथ आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में एक बार फिर चिंता होना लाजिमी है. कई राज्यों में लॉकडाउन की वापसी हुई है, जबकि कुछ राज्यों ने सख्त नियम लागू किए हैं. ऐसे में कोरोना की इस नई लहर के पीछे क्या वजह है, इसको लेकर आजतक ने एक्सपर्ट्स से बात की.
अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों की लापरवाही कोरोना के बढ़ते मामलों के पीछे की वजह हो सकती है. मुंबई के जसलोक अस्पताल के डॉ. राजेश पारीख का कहना है कि अगर आप बाहर का नज़ारा देखें तो अधिकतर लोग मास्क ही नहीं पहन रहे हैं, जो मास्क लगा रहे हैं वो आधा ही मास्क पहन रहे हैं.
डॉ. पारीख के मुताबिक, कोरोना वायरस अब अलग-अलग रूप में आ रहा है, जो एंटीबॉडी को भी मात दे रहा है. देश में अभी वैक्सीनेशन ड्राइव बहुत धीमा चल रहा है, ऐसे में हर किसी को सतर्क रहना होगा.
दिल्ली में भी तेजी से बढ़ रहे मामले
दिल्ली के एम्स के डॉ. राजेश मल्होत्रा ने राजधानी की स्थिति को लेकर कहा कि यहां दो हफ्ते में तीन गुना केस बढ़ गए हैं. अब जो नए मरीज आए हैं, उनमें अधिकतर आईसीयू में आए हैं. हर दिन के साथ 25-30 फीसदी केस बढ़ रहे हैं, ऐसे में हर किसी को ध्यान देना होगा और कोरोना को हल्के में नहीं लेना होगा.
मध्य प्रदेश में सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने राज्य की स्थिति को लेकर कहा कि पूरे देश में कोरोना का प्रकोप बढ़ा है, ऐसे में मध्य प्रदेश में भी उसका असर दिख रहा है. एमपी के बड़े शहरों में इसका असर ज्यादा है. सरकार की ओर से सख्त फैसले लिए जा रहे हैं. हमने त्योहारों पर भीड़ इकट्ठा नहीं होने दी.
वैक्सीनेशन की रफ्तार को लेकर मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने वैज्ञानिक आधार पर वैक्सीनेशन का प्रोग्राम शुरू किया है. इसीलिए चरणबद्ध तरीके से इसे आगे बढ़ाया जा रहा है.
सफदरजंग अस्पताल के डॉ. अनूप कुमार ने वैक्सीन की चिंताओं को लेकर कहा कि कोरोना की जो वैक्सीन आ रही है, वो वायरस के अलग-अलग रूप पर काम कर रही है. अभी का डाटा यही दिखाता है, ऐसे में जरूरी है कि लोग अपनी ओर से सतर्कता बरतें.
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के मामलों में कुछ दिनों से ऐतिहासिक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. शुक्रवार को कुल 81 हजार मामले सामने आए, जबकि 470 के करीब मौतें दर्ज हुईं. भारत में अब एक्टिव केस की संख्या 6 लाख के करीब पहुंच गई है.