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जून में तमिलनाडु ने चेन्नई और अन्य प्रभावित जिलों में नए सिरे से लॉकडाउन लागू किया था. देशव्यापी लॉकडाउन खत्म होने के बाद तमिलनाडु भी उन राज्यों में से एक था, जिन्होंने फिर से स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लागू किया. कई लोगों ने तब सवाल उठाया था कि क्या कोरोना को नियंत्रित करने में लॉकडाउन का कोई प्रभाव होता है?
असामान्य रूप से टेस्ट की संख्या बढ़ाने के साथ तमिलनाडु की यह रणनीति काम कर गई. अब तमिलनाडु एकमात्र ऐसा राज्य है जो कोरोना से बुरी तरह प्रभावित है, लेकिन अब यहां कोरोना का ग्राफ थमने लगा है.
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भारत के इस दक्षिणी राज्य में तीन लाख से ज्यादा केस हैं और देश में कोरोना से ये दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है. पिछले दो हफ्तों से यहां हर दिन नए केस की संख्या में गिरावट देखी जा रही है. यह महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और अन्य गंभीर रूप से प्रभावित राज्यों में देखी गई प्रवृत्ति के विपरीत है.
जुलाई के आखिरी हफ्ते में तमिलनाडु ने हर दिन 6,000 से ज्यादा केस दर्ज किए. जुलाई के पहले हफ्ते में यहां हर दिन 5,000 से ज्यादा केस दर्ज हो रहे हैं.
खास तौर से चेन्नई में कोरोना का ग्राफ नीचे आने के संकेत स्पष्ट हैं, जहां तीन महीने में पहली बार एक सप्ताह में दो दिन ऐसा रहा जब एक दिन में 1,000 से कम केस दर्ज हुए. जून के अंतिम सप्ताह में चेन्नई में हर दिन 2,000 से ज्यादा केस रोज दर्ज हो रहे थे जो कि भारत में सबसे ज्यादा था.
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यह बदलाव केवल राजधानी चेन्नई तक ही सीमित नहीं है. तमिलनाडु के कई गंभीर रूप से प्रभावित जिलों में हर दिन नए केसों में गिरावट देखी जा रही है. उदाहरण के लिए, मदुरई में जून के मध्य में हर दिन 450 से ज्यादा केस आ रहे थे, लेकिन 10 तक ये घटकर हर दिन 100 से कम हो गए हैं.
महामारी की शुरुआत के बाद से ही तमिलनाडु ने काफी ऊंची दर पर टेस्ट किया है. इसने अब तक 33 लाख से ज्यादा यानी अपनी कुल आबादी के 4.4 प्रतिशत जनसंख्या का टेस्ट कर लिया है. तमिलनाडु के बारे में यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि इसने अन्य बड़े राज्यों के उलट आरटी-पीसीआर टेस्ट ही किया. गंभीर रूप से प्रभावित कई राज्यों ने एंटीजन टेस्ट का उपयोग किया जो कि सस्ता, त्वरित और कम विश्वसनीय है. तमिलनाडु ने ऐसा नहीं किया.
तमिलनाडु पर्याप्त टेस्ट कर रहा है, क्योंकि इसकी टेस्ट पॉजिटिविटी रेट (टीपीआर) भी अब थमने लगी है. फिलहाल राष्ट्रीय स्तर पर टीपीआर 9 प्रतिशत से कुछ ज्यादा है, जबकि तमिलनाडु का टीपीआर 8 प्रतिशत है.
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हालांकि, तमिलनाडु अपनी इस सफलता को तभी बरकरार रख पाएगा, जब वह अपने पड़ोसी राज्य केरल के उदाहरण को ध्यान में रखे. मई की शुरुआत में केरल क्वारनटीन रणनीति और पॉजिटिव केसों के सफल इलाज के चलते कोरोना का ग्राफ नीचे लाने में सफल रहा और एक्टिव केसों की संख्या शून्य हो गई. लेकिन जैसे ही यातायात शुरू हुआ, फिर से नए केस तेजी से आने लगे. इसलिए तमिलनाडु में प्रतिबंधों को हटाना खतरनाक साबित हो सकता है.