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50 हजार कोरोना केस पहुंचने तक भारत का दुनिया में 5वां सबसे बेहतर रिकवरी रेट

50 हजार केस पहुंचने तक ब्राजील का प्रदर्शन रिकवरी को लेकर सबसे अच्छा था. 23 अप्रैल तक ब्राजील में 50,036 केस रिपोर्ट हुए थे.

सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
निखिल रामपाल
  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2020,
  • अपडेटेड 10:36 PM IST

  • भारत में 56 हजार से ज्यादा कोरोना मरीजों की पुष्टि
  • भारत का रिकवरी रेट कुछ प्रभावित देशों से बेहतर

भारत में 8 मई की सुबह तक 56,342 केस रिपोर्ट हो चुके थे. सबसे ज्यादा संक्रमित लोगों के मामले में भारत दुनिया में 14वें नंबर पर है. भारत में पिछले दो दिन में ही 7,000 नए केस रिपोर्ट हुए. लेकिन साथ ही देश के लिए उम्मीद की किरण ये है कि 50,000 केस पहुंचने तक भारत का रिकवरी रेट दुनिया में पांचवें नंबर पर सबसे बेहतर है.

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भारत ने एक दिन पहले ही 50,000 कोविड-19 केस का आंकड़ा पार किया. बुधवार तक, भारत में कुल केस की संख्या 52,952, मौत 1,783 और रिकवरी 15,267 रिपोर्ट हुई थीं. इंडिया टुडे डेटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने पाया कि भारत का 28 प्रतिशत रिकवरी रेट दुनिया के कुछ सर्वाधिक प्रभावित देशों से बेहतर है.

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50,000 केस पहुंचने तक ब्राजील का प्रदर्शन रिकवरी को लेकर सबसे अच्छा था. 23 अप्रैल तक ब्राजील में 50,036 केस रिपोर्ट हुए थे. इनमें से 26,573 रिकवरी हुईं यानि रिकवरी रेट 53 प्रतिशत रहा. हालांकि, ब्राजील में केसों की संख्या रिकवरी की तुलना में तेजी से बढ़ी, और इस तरह, रिकवरी रेट नीचे आ गया. मौजूदा स्थिति में ब्राजील में 1.26 लाख कोरोनो वायरस मरीज हैं, वहीं रिकवरी रेट 40 प्रतिशत है.

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रिकवरी में अंतर

ब्राजील के बाद कनाडा का नंबर आता है, जहां 50,000 केस पहुंचने पर रिकवरी रेट 37 प्रतिशत रहा. कनाडा के बाद ईरान (33 प्रतिशत) और पेरू (30 प्रतिशत) का रिकवरी रेट रहा. ईरान में 2 अप्रैल को केस संख्या 50,000 पर पहुंची. लेकिन दिलचस्प तथ्य यह है कि मौजूदा स्थिति में ईरान में एक लाख कोविड-19 केस में से 80 प्रतिशत रिकवर हो चुके हैं.

सर्वाधिक प्रभावित राष्ट्रों की तुलना में, 50,000 केस की स्थिति में भारत का 28 प्रतिशत रिकवरी रेट काफी बेहतर है. मिसाल के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में 50,000 केस पहुंचने की स्थिति में रिकवरी रेट महज 0.6 प्रतिशत था. 24 मार्च तक अमेरिका में 53,740 केस, 706 मौत और 348 रिकवरी हुईं थीं.

तुर्की में 11 अप्रैल तक 52,000 केस सामने आए, जिनमें से 5 प्रतिशत की रिकवरी हुई थी. जब रूस 50,000 केस तक पहुंचा, तो रूस में यह रिकवरी रेट 7.3 प्रतिशत था. वहीं इतने ही केस की स्थिति में चीन में रिकवरी रेट 10.4 प्रतिशत, इटली में 11.3 प्रतिशत, स्पेन में 12.1 प्रतिशत, जर्मनी में 13.1 प्रतिशत और फ्रांस में 18 प्रतिशत रहा.

भारत में रिकवरी रेट

चौड़ी होती खाई

भारत में अच्छा रिकवरी रेट होने के बावजूद नए केस की संख्या में असामान्य उछाल स्थिति के देश के खिलाफ जाने का खतरा दिखा रहा है. भारत ने मई के पहले सात दिन में 17,587 नए केस जोड़े, जबकि इसी अवधि में 6,202 रिकवरी हुईं. यानि नए केस और रिकवरी के बीच का अंतर हर दिन बढ़ रहा है.

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हालांकि, भारत में कोरोना वायरस केस ज्यादातर शहरों से सामने आए हैं. डीआईयू ने पाया देश के कुल केस में से 60 प्रतिशत से ज्यादा सिर्फ 12 शहरों से ही सामने आए. स्थिति राज्य-राज्य के हिसाब से अलग-अलग है.

जैसे कि देश में पहला कोरोना वायरस केस रिपोर्ट करने वाले केरल में रिकवरी रेट 93 प्रतिशत है. इसके पड़ोसी राज्य कर्नाटक में 51 प्रतिशत का रिकवरी रेट है. DIU ने विश्लेषण में पाया कि 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रिकवरी रेट राष्ट्रीय औसत 28 प्रतिशत से अधिक है. गोवा, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर ने कुल मिलाकर 10 केस रिपोर्ट किए, जो सभी रिकवर हो गए.

केवल पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने राष्ट्रीय औसत से कम रिकवरी रेट को रिपोर्ट किया है. इनमें दिल्ली (27.8 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (25), गुजरात (22.6), महाराष्ट्र (18.4), पंजाब (8.9) और त्रिपुरा (4.6) आते हैं. जबकि महाराष्ट्र देश का कोरोनो वायरस हॉटबेड रहा है, वहीं पंजाब और बंगाल ने हाल ही में केस की संख्या में बढोतरी देखी.

अभी ‘शिखर’ आने को है

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने हाल ही में इंडिया टुडे को बताया कि जून में भारत में कोरोना केस शिखर पर हो सकते हैं, उसके बाद इस संख्या में उतार आना शुरू हो जाएगा. गुलेरिया ने कहा था, "ट्रेंड के हिसाब से, भारत में कोरोना वायरस महामारी का शिखर जून में अपेक्षित है.”

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पिछले एक हफ्ते में, भारत में 17,587 नए केस रिपोर्ट हुए. इसके मायने हैं कि औसतन हर दिन 2,700 से ज्यादा केस जुड़े. यह भी पाया गया कि बाकी सर्वाधिक प्रभावित देश अपने-अपने लॉकडाउन के पहले 40 दिन में हर दिन जुड़ने वाले केस की संख्या को कम करने में सफल रहे, लेकिन भारत के लिए ये बात नहीं कही जा सकती.

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