Advertisement

क्यों दुनिया को है कोरोना की नेजल स्प्रे वैक्सीन का इंतजार, जानिए कितनी कारगर होती है ऐसी वैक्सीन?

कोरोना की इंजेक्शन वाली वैक्सीन के बाद दुनिया को अब नेजल वैक्सीन यानी नाक से स्प्रे करने वाली वैक्सीन का भी इंतजार है. भारत समेत कई देशों ने इसे बनाने में सफलता पाई है. जानिए इसके क्या फायदे और कैसे काम करती है ये.

नेजल स्प्रे वैक्सीन का इंतजार (फाइल) नेजल स्प्रे वैक्सीन का इंतजार (फाइल)
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:09 PM IST
  • कोरोना की नेजल वैक्सीन दिलाएगी इंजेक्शन से छुटकारा
  • भारत समेत कई देश ये वैक्सीन बनाने में सफल
  • ट्रायल सफल होने पर वैक्सीनेशन में आएगा क्रांतिकारी बदलाव

कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए दुनिया के तमाम देशों में वैक्सीनेशन का अभियान चल रहा है. भारत में भी 16 जनवरी से शुरू हुए वैक्सीनेशन कैंपेन में लाखों लोग कोरोना वैक्सीन की डोज लगवा चुके हैं लेकिन दुनिया को कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन में एक और चमत्कार का इंतजार है. ये चमत्कार की उम्मीद जगी है नेजल स्प्रे वैक्सीन को लेकर जो दुनिया को न केवल इंजेक्शन से मुक्ति दिलाएगी बल्कि लंबे समय तक वायरस के संक्रमण और प्रसार को रोकने के साथ वैक्सीनेशन की बुनियादी दिक्कतों से भी मुक्ति दिलाएगी.

Advertisement

भारत में इसकी चर्चा इसलिए भी तेज है क्योंकि कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक को कोरोना की नेजल स्प्रे वैक्सीन BBV154 के ट्रायल की इजाजत मिली है. जबकि और भी कई देशों में ट्रायल हो रहे हैं और अच्छे नतीजे देखने को मिल रहे हैं. खासकर नेजल स्प्रे वैक्सीन को बच्चों के टीकाकरण के लिहाज से भी बड़ा कदम बताया जा रहा है क्योंकि अभी इंजेक्शन के कारण बच्चों के लिए कोरोना का टीका मौजूद नहीं है.

कैसे काम करती है नेजल स्प्रे वैक्सीन?
नेजल स्प्रे वैक्सीन को इंजेक्शन की बजाय नाक से दिया जाता है. यह नाक के अंदरुनी हिस्सों में इम्युन तैयार करती है. इसे ज्यादा कारगर इसलिए भी माना जाता है क्योंकि कोरोना समेत हवा से फैलने वाली अधिकांश बीमारियों के संक्रमण का रूट प्रमुख रूप से नाक ही होता है और उसके अंदरूनी हिस्सों में इम्युनिटी तैयार होने से ऐसे बीमारियों को रोकने में ज्यादा असरदार साबित होती है.

Advertisement

देखें: आजतक LIVE TV

क्या पहले से बाजार में मौजूद है कोई नेजल वैक्सीन?
हां, पहले से इंफ्लूएंजा और नेजल फ्लू की नेजल वैक्सीन्स अमेरिका जैसे देशों में बाजार में उपलब्ध हैं. इसी तरह जानवरों में केनेल कफ के लिए कुत्तों को वैक्सीन नाक के रास्ते दिया जाता है. 2004 में एंथ्रैक्स बीमारी के समय अफ्रीका में प्रयोग के तौर पर बंदरों को नेजल वैक्सीन दिया गया था. 2020 में कोरोना वायरस महामारी के सामने आने के बाद चूहों और बंदरों में किए गए प्रयोग में पाया गया कि नाक के जरिए वैक्सीन देकर वायरस संक्रमण को रोका जा सकता है. इसके असर से नाक के अंदरूनी हिस्सों के निचले और ऊपरी हिस्सों में वायरल क्लियरेंस यानी प्रोटेक्शन पाया गया.

नेजल वैक्सीन के 5 फायदे-
1. इंजेक्शन से छूटकारा.
2. नाक के अंदरूनी हिस्सों में इम्युन तैयार होने से सांस से संक्रमण का खतरा घटेगा.
3. इंजेक्शन से छुटकारा होने के कारण हेल्थवर्कर्स को ट्रेनिंग की जरूरत नहीं.
4. कम खतरा होने से बच्चों के लिए भी वैक्सीनेशन की सुविधा संभव.
5. उत्पादन आसान होने से दुनियाभर में डिमांड के अनुरूप उत्पादन और सप्लाई संभव.

कहां-कहां और कैसे चल रहा ट्रायल?
ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने अपने नेजल वैक्सीन का प्रयोग जानवरों पर किया और इसे कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी पाया. यूरोपीयन बिल्लियों Ferret पर नेजल वैक्सीन INNA-051 के प्रयोग में पाया गया कि कोरोना वायरस का असर 96 फीसदी तक कम किया जा सकता है. इस स्टडी को ब्रिटिश सरकार की एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की अगुवाई में किया गया.

Advertisement

ब्रिटिश मेडिकल एजेंसी के ट्रायल में जानवरों पर नेजल वैक्सीन के असर में कई अहम बातें सामने आईं. चूहों की प्रजाति के Rodents को दिए गए नेजल वैक्सीन के दो डोज में एंटीबॉडी और T-cell रेस्पॉन्स पाया गया जिसे कि कोरोना का कारण बताए जा रहे SARS-CoV-2 की रोकथाम के लिए बहुत कारगर माना जाता है. इंग्लैंड के लैंससेस्टर यूनिवर्सिटी और सैन एटोरियो के टेक्सास बायोमेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के शोध में वैक्सीन से लंग्स को नुकसान कम करने में भी कारगर पाया गया.

इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने माना कि नेजल वैक्सीन इंजेक्शन से छुटकारे के साथ-साथ उन लोगों के लिए भी कारगर हो सकते हैं जो इंजेक्शन फोबिया से ग्रसित हैं या ब्लॉ क्लॉटिंग जैसी डिसऑर्डर के शिकार हैं.

कोरोना वायरस का संकट सामने आने के बाद चीन ने भी नेजल वैक्सीन बनाने का दावा किया और इसके ट्रायल के लिए 100 वॉलंटियर्स नियुक्त किए. चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस वैक्सीन को विकसित करने वाले हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि नेजेल वैक्सीन लोगों के लिए इंफ्लूएंजा और नोवल कोरोना वायरस दोनों से प्रोटेक्शन तैयार कर सकती है. वैज्ञानिकों का प्लान आने वाले वर्षों में तीन क्लीनिकल ट्रायल कर इसका पता लगाने का है कि H1N1, H3N2 और B वायरस पर ये कितना कारगर है?

Advertisement

नेजल वैक्सीन का उत्पादन बड़े पैमाने पर संभव है क्योंकि इसको बनाने का तरीका वही है जो इंफ्लूएंजा वैक्सीन बनाने में इस्तेमाल होता है. इतना ही नहीं वैज्ञानिक मानते हैं कि नेजल वैक्सीन के साइड इफेक्ट भी कम होते हैं ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन लेने वाले को सांस लेने में नाक में थोड़ी तकलीफ या rhinorrhea(नासूर) का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, इसे थोड़ी निगरानी और इलाज से ठीक किया जा सकता है. वैज्ञानिक इस बात का भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या नेजल वैक्सीन का प्रभाव इंजेक्शन वाले वैक्सीन से अधिक समय तक रहता है? ट्रायल के नतीजों के सामने आने के साथ-साथ आने वाले वक्त में दुनिया को इन सारे सवालों के जवाब मिलेंगे. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement