
Coronavirus in India: देश में कोरोना एक बार फिर डराने लगा है. दिल्ली-एनसीआर में संक्रमण की रफ्तार तेज हो गई है. अकेले दिल्ली में ही रविवार को 1 हजार से ज्यादा संक्रमित सामने आए हैं. वहीं, देश में बीते 24 घंटे में ढाई हजार से ज्यादा नए मरीज मिले हैं. कोरोना की इस बढ़ती रफ्तार के बीच कुछ आंकड़े इस ओर भी इशारा करते हैं कि नई लहर में युवाओं और बच्चों को ज्यादा खतरा है. बुजुर्गों में संक्रमण के मामले कम हैं. हालांकि, इसके पीछे बूस्टर डोज भी एक बड़ी वजह हो सकता है.
दरअसल, दिल्ली से सटे गाजियाबाद में 12 अप्रैल के बाद से अब तक 371 मामले सामने आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से 145 संक्रमितों की उम्र 21 से 40 साल के बीच है. जबकि, 119 संक्रमित ऐसे हैं जिनकी उम्र 41 से 60 साल के बीच है. 45 मरीज 13 से 20 साल की उम्र के बीच के हैं और 33 मरीजों की उम्र 12 साल से कम है. 60 साल से ऊपर के संक्रमितों 29 संक्रमित हैं.
इन आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोना की नई लहर में युवा और बच्चे ज्यादा शिकार हो रहे हैं. ये वो लोग हैं जिन्हें या तो वैक्सीन नहीं लगी है या फिर उन्होंने तीसरी डोज नहीं ली है.
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क्या कारगर है बूस्टर डोज!
- भारत में 10 जनवरी से 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाई जा रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 60 साल से ऊपर के 1.42 करोड़ लोगों को बूस्टर डोज दी जा चुकी है. इसलिए माना जा रहा है कि नई लहर में बुजुर्ग ज्यादा संक्रमित नहीं हो रहे हैं.
- गाजियाबाद में 12 अप्रैल के बाद से अब तक जितने संक्रमित सामने आए हैं, उनमें से 70 फीसदी से ज्यादा की उम्र 21 से 60 साल के बीच है. ये बताता है कि इस उम्र के लोगों में संक्रमण का खतरा अब बढ़ रहा है. अब तक 18 से 59 साल के 4 लाख लोगों ने ही बूस्टर डोज ली है. हालांकि, नई लहर में संक्रमण की गंभीरता अब भी काफी कम बनी हुई है.
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लेकिन, लोग नहीं लगवा रहे बूस्टर डोज
10 अप्रैल से सरकार ने 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन की तीसरी डोज लगाने की इजाजत दे दी थी. हालांकि, तीसरी डोज अभी उन्हें ही लगाई जा रही है, जिन्हें दूसरी डोज लगे 9 महीने पूरे हो गए हैं. साथ ही 18 से 59 साल की उम्र के लोगों को तीसरी डोज प्राइवेट अस्पतालों में ही लग रही है और उन्हें इसके लिए खुद पैसा देना होगा.
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 15 दिन बीत जाने के बाद भी 18 से 59 साल की उम्र के 4 लाख के आसपास लोगों को ही तीसरी डोज लगाई गई है. अब तक 18 से 44 साल की उम्र के 92,265 और 45 से 59 साल की उम्र के 3.25 लाख लोगों को तीसरी डोज लग चुकी है.
बूस्टर डोज क्यों जरूरी?
कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज संक्रमण को काबू करने में काफी असरदार साबित हुई है. 29 मार्च को राज्यसभा में स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार ने बताया था कि कोवैक्सीन की बूस्टर डोज के प्रभाव को जांचने के लिए ICMR ने एक स्टडी की थी, जिसमें तीसरी डोज के बाद कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बढ़ने की बात सामने आई थी. उन्होंने बताया था कि एस्ट्राजैनेका या कोविशील्ड की तीसरी डोज को लेकर जो अंतरराष्ट्रीय डेटा सामने आया है, उसके मुताबिक इस वैक्सीन की तीसरी डोज के बाद एंटीबॉडी में 3 से 4 गुना की बढ़ोतरी हुई है.