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कोरोना की तीसरी लहर में गर्भवती महिलाओं को कितना खतरा, जानें- कैसे रखें अपना ध्यान

प्रेगनेंसी में कोविड-19 के लक्षण वही होते हैं जो एक आम व्यक्ति को होते हैं. बुखार आना, सांस लेने में तकलीफ होना, स्वाद चले जाना, थकान महसूस होना. यदि इस तरह के कोई लक्षण महिला में दिखते हैं तो ऐसे में महिला को इलाज जल्द से जल्द भर्ती करवा देना चाहिए.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
तेजश्री पुरंदरे
  • नई दिल्ली,
  • 14 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:23 PM IST
  • देशभर में तेजी से बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले
  • गर्भवती महिला भीड़भाड़ वाले इलाके में ना जाए
  • गर्भवती महिला को पानी का इंटेक बहुत ज्यादा रखना चाहिए

तीसरी लहर में जिस तरह से कोरोना के मामले लगातार मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में अब बच्चे भी इसकी चपेट में आना शुरू हो गए हैं. लेकिन ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि गर्भवती महिलाओं के लिए यह कितना बड़ा खतरा है? क्या यह खतरा आने वाली शिशु के लिए भी बरकरार रहता है. इन सभी सवालों का जवाब देने के लिए हमने बात की जिस्टप्रसूति एवं स्त्रीमूत्र रोग विशेषज्ञ, सह प्राध्यापक, महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सालय की डॉक्टर दीपा जोशी से. डॉ. दीपा ने उन महिलाओं का इलाज किया है जो प्रेग्नेंट होने के साथ-साथ डिलीवरी के वक्त कोरोना पॉजिटिव हो चुकी थीं.

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डॉक्टर दीपा जोशी ने बताया कि एक गर्भवती महिला को कोरोना संक्रमित होने का उतना ही खतरा होता है, जितना एक आम व्यक्ति को होता है. लेकिन लक्षण की गंभीरता की बात करें तो यह गर्भवती महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलते हैं. गंभीरता और बढ़ जाती है जब महिला की उम्र 35 वर्ष से ज्यादा हो या फिर उस से शुगर या डायबिटीज जैसी कोई और बीमारी हो.

प्रेगनेंसी में कोविड-19 के लक्षण वही होते हैं जो एक आम व्यक्ति को होते हैं. बुखार आना, सांस लेने में तकलीफ होना, स्वाद चले जाना, थकान महसूस होना. यदि इस तरह के कोई लक्षण महिला में दिखते हैं तो ऐसे में महिला को इलाज जल्द से जल्द भर्ती करवा देना चाहिए.

डॉक्टर दीपा जोशी बताती हैं कि डिलीवरी के दौरान जो महिलाएं कोरोना संक्रमित हो गई, उनमें वर्टिकल ट्रांसमिशन नहीं देखा गया. जरूरी नहीं है कि यदि मां को रोना से संक्रमित हो तो बच्चा भी कोरोना संक्रमित ही पैदा होगा. इस तरह का मामला देखा नहीं गया है, जिसमें मां के पॉजिटिव होने के कारण बच्चे को कोरोना हुआ हो.

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कई लोगों को डर रहता है कि मां यदि संक्रमित है तो ऐसे में डिलीवरी के बाद बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा सकती. यह सबसे बड़ा भ्रम है. ब्रेस्ट फीडिंग से कभी भी वायरस ट्रांसमिट नहीं होगा. यदि मां की स्तिथि बहुत गंभीर हैं या वो वेंटीलेटर पर है तो ऐसे में बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा सकते.

डॉक्टर दीपा जोशी ने बताया कि गर्भवती महिला पोकरणा संक्रमित होने के कारण प्रीमेच्योर डिलीवरी का सबसे बड़ा खतरा रहता है. कुछ मामलों में यदि महिला को तेज बुखार आया है तो ऐसे में उन्हें लेबर पेन वक्त से पहले ही शुरू हो जाता है. ऐसे में प्रीमेच्योर डिलीवरी के चांसेस बहुत ज्यादा होते हैं. और साथ ही साथ यह बच्चे के लिए भी बहुत बड़ा खतरा होता है, क्योंकि इसमें संभावनाएं हैं कि बच्चा गर्भाशय में ही दम तोड़ दे.

इन सभी चीजों से बचने के लिए जरूरी है कि गर्भवती महिला भीड़भाड़ वाले इलाके में ना जाए. हर वक्त मास्क पहने रहे और साथ ही साथ समय-समय पर सैनिटाइजेशन जरूर करें. यदि कोई महिला करना संक्रमित होती है तो उसे जितना हो सके उतना लिक्विड डाइट लेना चाहिए. पानी का इंटेक बहुत ज्यादा रखना चाहिए. साथ ही साथ वे वस्तुएं ज्यादा खाए जिसमें फॉलिक एसिड और विटामिन डी हो. और समय-समय पर अपने gynecologist  से जरूर कंसल्ट करें. गर्भवती महिला को रेगुलर वॉक पर एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए और यदि मुमकिन हो तो अपनी गाइनेकोलॉजिस्ट से ऑनलाइन ही कंसल्ट करें.

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