
क्या अब हमें मान लेना चाहिए कि कोरोना वायरस कभी नहीं जाएगा और हमें इसके साथ ही जीना सीखना होगा? ये बातें अब इसलिए कही जा रहीं हैं क्योंकि अब कई देश पाबंदियां हटाने की तैयारी कर रहे हैं. कोरोना का सबसे ज्यादा कहर यूरोपीय देशों में देखने को मिला, लेकिन अब वहां पाबंदियां हटने जा रही है. ब्रिटेन में अब मास्क की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. डेनमार्क की सरकार का कहना है कि कोरोना अब गंभीर बीमारी नहीं रही, इसलिए वहां भी प्रतिबंध हटने वाले हैं.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव साजिद जाविद ने कहा कि 'हम कोरोना के साथ जीना सीख रहे हैं, लेकिन हमें ये भी ध्यान रखने की जरूरत है कि वायरस अभी गया नहीं है.'
यूरोपीय देश हटा रहे हैं प्रतिबंध
ब्रिटेन में भले ही पाबंदियां हटने जा रही हैं. लेकिन अब भी वहां ओमिक्रॉन का कहर जारी है. अब भी बड़ी संख्या में बुजुर्ग और बच्चे संक्रमित हो रहे हैं. ब्रिटेन में गुरुवार से मास्क की अनिवार्यता खत्म कर दी है. साथ ही नाइट क्लब और सार्वजनिक स्थलों में एंट्री के लिए कोविड पास की शर्त को भी खत्म कर दिया गया है. सरकार ने पिछले हफ्ते वर्क फ्रॉम होम की सलाह दी थी, उसे भी वापस ले लिया है.
ब्रिटेन के अलावा दूसरे यूरोपीय देश भी पाबंदियों को खत्म करने की तैयारी शुरू कर चुके हैं. नीदरलैंड्स में बुधवार से ही कई सारी पाबंदियां हटा दी गई हैं. वहां फिर से बार, पब और रेस्टोरेंट को खोलने की इजाजत दे दी गई है. ओमिक्रॉन के कारण नीदरलैंड्स में 19 दिसंबर से 14 जनवरी तक सख्त लॉकडाउन था.
नए नियमों के मुताबिक, नीदरलैंड्स में अब सुबह 5 से रात 10 बजे तक क्लब, सिनेमा हॉल, बार, म्यूजियम, कंसर्ट हॉल और स्पोर्ट्स क्लब खुल सकेंगे. हालांकि, अभी मास्क पहनना और दूरी बनाए रखना जरूरी होगा.
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डेनमार्क में कोरोना अब गंभीर बीमारी नहीं
डेनमार्क दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने कोरोना को गंभीर बीमारी की कैटेगरी से बाहर कर दिया है. डेनमार्क में 1 फरवरी से सबकुछ नॉर्मल हो जाएगा. वहां सारी पाबंदियां 1 फरवरी से हट जाएंगी. मास्क लगाना और आइसोलेट होना भी जरूरी नहीं रह जाएगा.
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने इस बात का ऐलान किया. उन्होंने बताया कि मास्क पहनना, दूरी बनाए रखना और आइसोलेशन में जाना जैसे नियमों का पालन 1 फरवरी से जरूरी नहीं होगा. रेस्टोरेंट, होटल में भी अब पहले की तरह ही सामान्य जीवन चलेगा.
इसके अलावा अब फिनलैंड में भी फरवरी से पाबंदियों में छूट मिलने वाली है. वहां अब होटल और रेस्टोरेंट रात 9 बजे तक 75% कैपेसिटी के साथ खुल सकेंगे. ऑस्ट्रिया में भी 31 जनवरी से अनवैक्सीनेटेड लोगों के लिए लगा लॉकडाउन खत्म होने जा रहा है. ऑस्ट्रिया ने नवंबर से वैक्सीन नहीं लेने वालों के लिए लॉकडाउन लगा दिया था. हालांकि, सरकार का कहना है कि लोगों को वैक्सीन लगवानी होगी. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो जुर्माना लगाया जाएगा.
स्पेन ने कोरोना को आम फ्लू घोषित किया
स्पेन ने जनवरी की शुरुआत में ही कोरोना को आम फ्लू घोषित कर दिया. स्पेन वो देश है जहां कोरोना महामारी आने के बाद तीन महीने का सख्त लॉकडाउन लगाया गया था. लोगों को एक्सरसाइज करने तक के लिए बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी. लेकिन अब यहां कोरोना से आम फ्लू की तरह ही निपटा जाएगा.
स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सैंचेज ने यूरोपियन यूनियन से अपील की थी कि वो भी इसी तरह के बदलावों पर विचार करे, क्योंकि ओमिक्रॉन ने दिखाया है कि ये बीमारी अब कम घातक होती जा रही है. उन्होंने कहा कि अब महामारी के बाद की दुनिया देखनी होगी.
यूरोप के कई देश भले ही कोरोना की वजह से लगी पाबंदियों में राहत देने जा रहे हों, लेकिन जर्मनी ने अभी कुछ भी राहत देने से मना कर दिया है.
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लेकिन सवाल ये कि राहत क्यों?
इसकी दो वजहें हैं. पहली वैक्सीन और दूसरा हॉस्पिटलाइजेशन में कमी. दुनियाभर में यही ट्रेंड देखा गया कि ओमिक्रॉन वैरिएंट भले ही बहुत ज्यादा तेजी से फैला लेकिन इससे लोग इतने गंभीर बीमार नहीं हुए कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़े.
इसके अलावा यूरोपीय देशों में वैक्सीनेशन भी तेजी से हो रहा है. ब्रिटेन में 12 साल से ऊपर की 84% आबादी को वैक्सीन की दो डोज लग चुकी है. डेनमार्क में 80 फीसदी आबादी को दो डोज लग चुकी है. वहीं 50 फीसदी आबादी को बूस्टर डोज भी दी जा चुकी है.
प्रतिबंध हटाने पर विशेषज्ञों की क्या है राय?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के इमरजेंसी चीफ डॉ. माइकल रेयान ने कहा कि कोरोना को एंडेमिक तब तक नहीं माना जा सकता जब तक ये प्रिडिक्टेबल न हो जाए. उन्होंने कहा कि सिर्फ मामलों की संख्यों मायने नहीं रखती बल्कि इसकी गंभीरता और इसका प्रभाव भी मायने रखता है.
अमेरिका के टॉप इन्फेक्शियस डिसीज एक्सपर्ट डॉ. एंथनी फौची का कहना है कि कोरोना को तब तक एंडेमिक नहीं माना जा सकता, जब तक ये बीमारी बड़े स्तर पर लोगों को प्रभावित करना बंद नहीं कर देती.
क्या एंडेमिक फेज में जा रहा है कोरोना?
कोरोना को लेकर अब ज्यादातर एक्सपर्ट ऐसे हैं जो मान रहे हैं कि बीमारी जल्द ही एंडेमिक फेज में जा सकती है. एंडेमिक फेज में जाने का मतलब यही होता है कि बीमारी अब ज्यादा घातक नहीं रही और बड़ी आबादी को प्रभावित नहीं कर रही है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) में महामारी विज्ञान के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा का कहना है कि अगर कोई नया वैरिएंट नहीं आया तो 11 मार्च तक कोरोना एंडेमिक फेज में चला जाएगा. उनका कहना है कि अगर ऐसा होता तो 11 मार्च के बाद भारत में कोरोना के नए मरीज मिलने लगभग बंद हो जाएंगे.